Detail: जिस लेख पर बवाल मचा आखिर योगी आदित्यनाथ ने उसमें लिखा क्या?
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को कांग्रेस उनके पुराने लेख के जरिए घेरने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस सीएम बनने से पहले लिखे गए लेख के जरिए सीएम योगी आदित्यनाथ पर महिला विरोधी होने का आरोप लगा रही है. कल कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया था कि इस लेख में आदित्यनाथ ने महिलाओं को ‘कम करके आंका’ है. योगी आदित्यनाथ ने ऐसा करके महिलाओं का अपमान किया है.
लेख के वो कौन से हिस्से हैं जिसको लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाया था? योगी ने लेख में लिखा था, ''हमारे शास्त्रों में जहां स्त्री की इतनी महिमा वर्णित की गई है वहां उसकी महत्ता और मर्यादा को देखते हुए उसे सदा संरक्षण देने की बात भी कही गई है. जैसे ऊर्जा को खुला और अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो वह व्यर्थ और विनाशक भी हो सकता है. वैसे ही शक्ति स्वरूपा स्त्री को भी स्वतंत्रता की नहीं, उपयोगी रूप में संरक्षण और चैनलाइजेशन की आवश्यकता है.''
योगी ने लेख में लिखा था, ''स्त्री शक्ति की रक्षा बचपन में पिता करता है, योवन में पति करता है और बुढ़ापे में उसका पुत्र करता है. इस प्रकार स्त्री सर्वथा स्वतंत्र या मुक्त छोड़ने योग्य नहीं है. पुरुषों में यदि पुरुषोचित गुणों के साथ-साथ स्त्रियों के भी गुण आ जाएं तो वे देवता हो जाते हैं. किन्तु यदि स्त्रियों में पुरुषों के गुण आ जाएं तो वो राक्षस हो जाती हैं.''
लेख छापने वाले अखबार के पूर्व संपादक ने क्या कहा? कांग्रेस के आरोप पर जिस अखबार में योगी आदित्यनाथ का लेख छपा था उस अखबार के संपादक रहे प्रदीप राव प्रतिक्रिया सामने आयी है. हिंदवी अखबार के संपादक का कहना है कि योगी का ये लेख पुराना है और ये तब लिखा गया था जब वो महिला आरक्षण का विरोध कर रहे थे. कांग्रेस इस पर अनावश्यक रूप से विवाद खड़ा कर रही है. योगी ने महिला आरक्षण का विरोध इसलिए किया था क्योंकि वो मानते हैं कि महिलाओं को बराबरी का हक मिले. आरक्षण मिले तो 33% नहीं 50% आरक्षण मिले.
योगी खुद भी रहे हैं हिन्दवी अखबार के संपादक योगी आदित्यनाथ पांच साल पत्रकारिता भी कर चुके हैं. गोरखपुर से योगी एक साप्ताहिक अखबार चलाते रहे जिसके प्रधान संपादक रहते उन्होंने ज्वलंत मुद्दों पर संपादकीय भी लिखा. योगी आदित्यनाथ जिस अखबार के संपादक थे उसका नाम ‘हिंदवी’ है.
ये अखबार आज से दस साल पहले शुरू हुआ था और पांच सालों तक पढ़ा गया. यहां बता दें कि अखबार में संपादकीय किसी मुद्दे पर अखबार की राय होती है जिसे संपादक खुद लिखते हैं.
16 पेज का अखबार हर हफ्ते सोमवार को बाजार में आता था. शुरू में पांच हजार प्रतियां छपती थीं जो 15 हजार तक बढ़ गई थीं. इस अखबार में पूर्वांचल से लेकर नेपाल और देश-विदेश के ज्वलंत मुद्दों पर खबरें और लेख प्रकाशित होते थे.