सबसे पहले वैक्सीन का टीका उन हेल्थ वर्कर को लगने जा रहा है जो कई महीनों तक कोविड के मरीजों का इलाज करते रहे, वैक्सीन आने लगने को लेकर हमने उनके मन की बाद जानने की कोशिश की...
1-डॉ. गौतम टकाल और उनकी पत्नी डॉ उज्जवला टकाल
मुंबई के मीरारोड कोविड अस्ताल में कई महीनों तक कोविड मरीजों का इलाज करने वाली ये डॉ पति और पत्नी की वो जोड़ी है जो कोविड की वैक्सीन आने के बाद बेहद खुश नजर आ रहे हैं और इस बात की इन्हें और खुशी की सरकार ने सबसे पहले उन हेल्थ वर्कर को वैक्सीन लगाने के लिये चुना है जो अपनी जान हथेली पर रख कर अपना फर्ज निभाने के लिये कोविड काल में भी रात दिन कोरोना मरीजों का इलाज करते रहें. डॉ गौतम और उनकी पत्नी बताती हैं की शुरू में दोनों लोगों को लिये ये निर्णय लेना कठिन हो रहा था कि दोनों लोग कोविड अस्पताल में मरीजों का इलाज करने के लिये जाएं. वजह थी घर पर उनकी एक लड़की . लेकिन अपना डॉ का फर्ज इस डॉक्टर दम्पत्ति पहले देखा और मरीजों के इलाज में जुट गये। जैसे जैसे स्थितिया खराब हो रही थी इन्हें डर सता रहा था और हर दिन इन्हें इंतजार थी कब कोविड की वैक्सीन की खबर आये और अब जब कोविड की वैक्सीन इन हेल्थ वर्कर को लगने जा रही है वो बेहद खुश हैं और महीनों की थकान से थोड़ा रिलैक्स महसूस कर रहे हैं . वैक्सीन का आना अब हमारी असली जीत होगी.
2- डॉ अर्चना मसराम
ये हैं डॉ अर्चना मसराम . महाराष्ट्र के अमरावती की रहने वाली डॉ अर्चना कई महीनों तक अपने परिवार वालों से भी नही मिल सकी थी. अमरावती में अपनी एक बेटी और परिवार को छोड़कर लगातार मुंबई में कोविड के मरीजों को इलाज करती रही. डॉ अर्चना बताती हैं की ये कोविड और कोरोना के मरीजों के बीच बीता वक्त जिंदगी भर याद रहे रहेगा. कोविड काल में मरीजों के इलाज के दौरान वो मानसिक और शारीरिक रूप से इतना थक चुकी थी हर दिन उन्हें वैक्सीन का इंतजार था. अब जब खबर आ गयी है कि 16 जनवरी से वैक्सीनेशन का काम शुरू होने जा रही और सबसे पहले हेल्थ वर्कर को सरकारी ने वरीयता दी है वो बेहद खुश हैं. वो चाहती है कि जल्द से जल्द सभी लोगों तक वैक्सीन पहुंचे और कोरोना की महामारी से लोगों को निजात मिले .
कोरोना काल में कोविड अस्तालों में सबसे अहम और हिम्मत वाला काम करने वाले वो हेल्थ कर्मचारी थे जिनका सामना सबसे पहले अस्पताल में आने वाले किसी भी कोविड के मरीज से होता था. एंबुलेंस के आते ही वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी फिर मरीजो को स्ट्रेचर पर लेकर जाने वाले स्वास्थकर्मी रात दिन मरीजों के सेवा में लगे वो कर्मचारी जो मरीजो को खाने , खिलाने, शौचालय जाने तक के काम को देखते थे. जिनका काम अस्पताल में सबसे अहम माना जा रहा था. जब कोविड अस्पताल के आसपास से लोग गुजरना नही चाहते थे ऐसे अस्पताल में आने वाले कोरोना के मरीजों को ये कर्मचारी कैसे ये उठाते थे, बैठाते थे, खिलाते थे वो डर आज भी इनके जेहन में जिंदा है लेकिन वैक्सीन की खुशी अब चेहरे और आवाज में देखने को मिली सबका यही मानना है कि जल्द जल्द ये महामारी खत्म हो.