नई दिल्ली: नोटबंदी के ऐलान के बाद जैसे जैसे बैंकों में जमा होने वाली रकम के आंकडे़ आ रहे हैं सबके मन में एक ही सवाल आ रहा है सरकार को नोटबंदी से क्या फायदा होगा? दो, ढाई, तीन या चार लाख करोड़? इस सवाल पर जानकारों की राय अलग-अलग है. हालांकि उनमें एक बात पर जरूर सहमति है कि नोट कम आएं या ज़्यादा, टैक्स से होने वाली कमाई से सरकार को ज़रूर फायदा होगा.


न्यू डेवलपमेंट बैंक यानी ब्रिक्स बैंक के प्रमुख के वी कामथ का दावा है कि कि नोटबंदी से सरकार को ढाई लाख करोड़ रुपये तक का फायदा हो सकता है.


ये फायदा दो तरीकों से हो सकता है.


सरकार को होने वाले फायदे का पहला जरिया बन सकती है गरीब कल्याण योजना. इस योजना के तहत जमा होने वाले काले धन को सफेद बनाने पर लगे टैक्स से सरकार को कमाई होगी.


दूसरा फायदा हो सकता है 500 और 1000 रुपये के उन रद्द हुए नोटों से जो बैंक में वापस नहीं आते. इन नोटों के बराबर की रकम सरकार को डिविडेंड यानी लाभांश के तौर पर मिल सकती है.


जानकारों का कहना है कि रद्द की गई कितनी करेंसी बैंकों में वापस नहीं आएगी, इसका सटीक अनुमान लगाना आसान नहीं है.


नोटबंदी के ऐन पहले यानी 8 दिसम्बर को 500 और 1000 रुपये के 15.44 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि इसमें से 11-12 लाख करोड़ रुपये ही वापस जाएंगे. लेकिन जिस तरह से नोट जमा कराने की रफ्तार बढ़ी, उसके बाद ये आंकड़ा लगातार घटता जा रहा है.


रिजर्व बैंक के मुताबिक 10 दिसंबर तक 12 लाख 44 हजार करोड़ रुपये के पुराने नोट बैंकों में वापस जमा कराए जा चुके हैं. वित्त मंत्रालय और बैंकों का कहना है कि वास्तव में ये रकम कम है, क्योंकि कुछ मामलों में जमा रकम दो बार गिन ली गयी है.

मसलन, डाकघर में जमा पुराने नोट पहले वहां गिने गए. फिर वही नोट जब भारतीय स्टेट बैंक में जमा कराए गए तो उसकी गिनती दोबारा हो गई.


जानकारों के मुताबिक जो नोट वापस नहीं आएंगे, उनकी कीमत को सरकारी खजाने में पहुंचाने के लिए एक लंबी कानूनी प्रक्रिया पर अमल करना होगा. आयकर विभाग और जानकारों का आकलन है कि गरीब कल्याण योजना के तहत स्वेच्छा से बैंक में रकम जमा करने का एलान करने वालों से सरकार को सवा लाख करोड़ रुपये तक की रकम मिल सकती है.