कांग्रेस मुख्यमंत्रियों के साथ राहुल गांधी की बैठक में क्या हुआ?
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की थी. राहुल गांधी की इस पेशकश को कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने नकार दिया था. इसी के बाद से राहुल गांधी के इस्तीफे को लेकर कशमकश जारी है.
नई दिल्ली: राहुल गांधी को मनाने पहुंचे पांच कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों की राहुल से मुलाकात तो दो घन्टे चली लेकिन नतीजा शून्य रहा. मुख्यमंत्रियों ने राहुल को समझाया कि चुनाव में जीत-हार राजनीति का हिस्सा है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी सामूहिक है अकेले कांग्रेस अध्यक्ष की नहीं. ऐसे में वो पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का अपना फैसला राहुल बदलें और पद पर बने रहें. हालांकि राहुल गांधी ने मुख्यमंत्रियों को कोई आश्वासन नहीं दिया.
बैठक के अंदर क्या हुआ? पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायण सामी ने एबीपी न्यूज को बताया कि राहुल गांधी ने ध्यान से सभी मुख्यमंत्रियों की बातों को सुना लेकिन अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हालांकि सामी ने उम्मीद जताई कि राहुल अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं.
मुख्यमंत्रियों ने राहुल के सामने क्या दलील दी? नारायण सामी के मुताबिक सभी मुख्यमंत्रियों ने राहुल गांधी को समझाया कि चुनाव में कांग्रेस की हार जरूर हुई है लेकिन राहुल ने अपनी तरफ से पूरी मिहनत की और जनता के बुनियादी मुद्दों पर चुनाव लड़ा. पार्टी को लगभग 12 करोड़ लोगों ने वोट दिया. अगर राहुल गांधी इस्तीफा देंगे तो पार्टी कार्यकर्ताओं का दिल टूट जाएगा. हार की जिम्मेदारी अकेले अध्यक्ष की नहीं, सबकी है. वैसे भी उनके अलावा कोई दूसरा नेता कांग्रेस का नेतृत्व नहीं कर सकता. आने वाले महीनों में कई राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में राहुल अपने पद पर बने रहें.
मोदी ने राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को बहकाया: गहलोत राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा ना देने का अनुरोध करने के लिए सभी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री राहुल के घर पहुंचे. इनमें पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायण सामी शामिल थे.
बैठक के बाद सभी मुख्यमंत्री एक साथ मीडिया से मुखातिब हुए. अशोक गहलोत ने कहा कि "बैठक अच्छी रही. हमने अपने और कार्यकर्ताओं के दिल की बात राहुल गांधी से कही है, उम्मीद है कि वो सही फैसला करेंगे". गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी ने मुद्दों पर चुनाव लड़ा जबकि दूसरी तरफ मोदी ने सेना की आड़ लेकर राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को बहकाया. विकास, अर्थव्यवस्था और रोजगार की बात नहीं की."
इस बैठक के ठीक पहले कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने मांग की थी कि हार की जिम्मेदारी लेते हुए सभी मुख्यमंत्री इस्तीफा दें. क्या आप सबने इस्तीफे की पेशकश की? इस सवाल का गोलमोल जवाब देते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने एक सुर में राहुल गांधी को पार्टी में फेरबदल करने का अधिकार दिया हुआ है.
क्या है राहुल का रुख? मुख्यमंत्रियों से मुलाकात से पहले संसद में जब पत्रकारों ने राहुल से कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर सवाल पूछा तो राहुल ने दो टूक कहा कि "मेरा स्टैंड (इस्तीफा) साफ है. आप सबको मेरा स्टैंड मालूम है". यानी वो अपने इस्तीफे पर कायम है और पार्टी अध्यक्ष नहीं रहना चाहते.
सूत्रों के मुताबिक नए कांग्रेस अध्यक्ष पर फैसला जल्द हो सकता है. जब तक नए अध्यक्ष का एलान नहीं हो जाता राहुल पार्टी अध्यक्ष के तौर पर रूटीन काम देख रहे हैं. जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं वहां के नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं. सोमवार को राहुल ने जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ मुलाकात की और चुनाव तैयारियों का जायजा लिया.
राहुल को मनाने के लिए सोमवार को भी पार्टी मुख्यालय में दलित कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और पार्टी के एससी डिपार्टमेंट के प्रमुख नितिन राउत ने इस्तीफा दिया. मंगलवार से कुछ कांग्रेस नेता पार्टी मुख्यालय में अनशन पर बैठेंगे. सवाल यही है कि क्या नेताओं और कार्यकर्ताओं के मान-मनौवल और मुख्यमंत्रियों की दलीलें राहुल गांधी के फैसले में तब्दीली ला सकेगी?