गुजरात के नरोदा गाम मामले में अहमादाबाद के विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया है. SIT मामलों के विशेष जज एस के बक्शी की कोर्ट ने नरोदा गाम दंगा मामले में 67 आरोपियों को बरी कर दिया है. इनमें पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी का नाम भी शामिल है.


दरअसल, साल 2002 में हुए इस दंगे में 11 लोगों की मौत हुई थी. जिसमें पुलिस ने जांच के आधार पर गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी व बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी सहित 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इस मामले में 86 आरोपी थे जिसमें से ट्रायल के दौरान 18 की मौत हो चुकी है.


क्या है पूरा मामला 


घटना साल 2002 के 27 फरवरी की है, उस दिन साबरमती एक्सप्रेस अयोध्या से गुजरात पहुंची थी. गुजरात में एंट्री लेने के कुछ देर बाद वडोदरा के पास गोधरा में इस ट्रेन को घेरकर इसके S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई. यह डिब्बा कारसेवकों से भरा हुआ था जो अयोध्या से लौट रहे थे. आग लगने से 59 लोग मारे गए.


इस आगजनी के एक दिन बाद गुजरात में सांप्रदायिक तनाव फैल गया. गोधरा कांड के अगले दिन यानी कि 28 फरवरी को गोधरा में कर्फ्यू लगा दिया गया. सभी स्कूल, दुकानें और बाजार बंद कर दिए गए. भीड़ में शामिल लोगों ने हर किसी पर पथराव करना शुरू कर दिया. धीरे धीरे माहौल और खराब होता गया और पथराव के बाद आगजनी, तोड़फोड़ शुरू हो गई. इस दौरान 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. 


गोधरा में हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद नरोदा पाटिया गांव में भी दंगे शुरू हो गए. इन दोनों इलाकों में इस सांप्रदायिक हिंसा के दौरान लगभग 97 लोगों की मौत हो गई थी. इस हिंसा के बाद पूरे राज्य में जगह-जगह पर दंगे हुए.  


भारत के तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल ने 11 मई 2005 को गुजरात दंगों में मारे गए लोगों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर राज्यसभा में लिखित बताया था कि गुजरात में हुए दंगे में 790 मुसलमान और 254 हिंदू यानी कुल 1,044 लोग मारे गए थे.


वहीं 223 लोग ऐसे थे जो उस वक्त तक लापता बताए गए थे जिन्हें बाद में मरा हुआ मान लिया गया था. इन 223 लापता लोगों को शामिल करने के बाद भारत सरकार की ओर से दिए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक गुजरात दंगों में कुल 1267 लोग मारे गए थे. हालांकि स्थानीय लोगों और कुछ ग़ैर-सरकारी संगठन की माने तो दंगों में दो हज़ार से भी ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी. 


वहीं अगर इंसाफ की बात की जाए तो इन 20 सालों में गुजरात दंगों से जुड़े कुल 9 केस दर्ज किए गए थे. इनमें 8 का ट्रायल पूरा हो चुका है. इनमें गोधरा कांड, बेस्ट बेकरी, सरदारपुरा मामला, नरोदा पाटिया, गुलबर्ग सोसाइटी, ओडे विलेज, दीपडा दरवाजा और बिलकिस बानो का केस शामिल हैं. 


माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया गया 


नरोदा गाम मामले में 2009 में अदालती कार्यवाही शुरू हुई थी. जिसमें में 327 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे. साल 2012 में SIT मामलों की विशेष अदालत ने माया कोडमानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षडयंत्र रचने का दोषी पाया था.


पूर्व बीजेपी विधायक माया कोडनानी पर आरोप है कि उन्होंने गोधरा कांड से गुस्साए हजारों लोगों की भीड़ को भड़काया था, जिसके बाद नरोदा गाम में मुसलमानों की हत्या हुई. इस हिंसा में 11 लोगों की जानें गई थीं और 82 लोगों को आरोपी बनाया गया था.


जबकि माया कोडनानी का कहना है कि दंगे की सुबह गुजरात विधानसभा में थी. माया का कहना है कि इस जिस दिन दंगा हुआ उसी दिन दोपहर में वे गोधरा ट्रेन हत्याकांड में मारे गए कार सेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं. जबकि चश्मदीद गवाहों ने कोर्ट में कहा है कि माया कोडनानी दंगों के समय नरोदा में मौजूद थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाया था.


इन धाराओं में चल रहा मुकदमा


नरोदा गाम मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चल रहा है. 


अमित शाह गवाह के रूप में पेश हो चुके हैं


नरोदा गाम मामले में पिछले 13 सालों से सुनवाई चल रही है. साल 2017 के सितंबर महीने में अमित शाह भी माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर कोर्ट में पेश हो चुके हैं. 


गुजरात दंगों से जुड़े 9 अहम केस के बारे में जानते हैं...


1. नरोदा पाटिया: नरोदा पाटिया दंगा केस साल 2002 में हुए गोधरा कांड से जुड़ा है. 27 फरवरी को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को जला देने के बाद विश्व हिंदू परिषद ने 28 फरवरी, 2002 को नरोदा पाटिया इलाके को बंद करने का आह्वान किया था. उसी दिन आक्रोशित भीड़ ने नरोदा पाटिया इलाके में कई घरों को जला दिया था. इस घटना में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में 32 लोगों को दोषी करार किया गया है. 29 आरोपी बरी हो गए थे. 


2. सरदारपुरा:  साल 2002 में 1 मार्च को हिंदुओं मुसलमानों में हुए सांप्रदायिक दंगों में 33 लोगों को जिंदा जला कर मार डाला गया था. इस मामले में 17 लोग दोषी करार हुए थे और 14 आरोपी को बरी कर दिया गया था. 


3. नरोदा गाम: गुजरात में फैले दंगे के दौरान हुए नरोदा गाम मामले में अहमदाबाद की विशेष अदालत ने आज यानी   20 अप्रैल को अपना फैसला सुना दिया है. इस मामले में भारतीय जनता पार्टी की पूर्व विधायक माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी सहित 86 लोग शामिल थे. जिसमें से ट्रायल के दौरान 18 की मौत हो चुकी है. SIT मामलों के विशेष जज एस के बक्शी की कोर्ट ने नरोदा गाम दंगा मामले में 67 आरोपियों को बरी कर दिया है.


4. गुलबर्ग सोसाइटी: 27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे. इसे दौरान उपद्रवियों ने अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती 'गुलबर्ग सोसाइटी' को भी निशाना बनाया था. यह सोसाइटी पूर्वी अहमदाबाद में स्थित है.


इस हिंसा में जकिया जाफरी के पति और पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी और 69 लोग मारे गए थे. मारे गए 69 लोगों में केवल 38 लोगों के ही शव बरामद हुए थे. पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 31 लोगों को लापता बताया गया था. इस मामले में 24 लोगों को दोषी करार किया गया और 36 आरोपी बरी हो गए. 


5. गोधरा: 2002 के फरवरी महीने में उत्तर प्रदेश के अयोध्या से साबरमती एक्सप्रेस गुजरात पहुंची थी. यहां गोधरा में इस ट्रेन में आग लगा दी गई थी. उस वक्त ये ट्रेन कारसेवकों से भरी हुई थी और इस आगजनी से 58 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में 35 लोगों को दोषी करार किया गया था. 


6. ओडे विलेज: गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद 1 मार्च 2002 को गुजरात के आणंद ज़िले के ओडे कस्बे के पीरवाली भगोल इलाके के एक घर में आग लगा दी थी. इस आगजनी में अल्पसंख्यक समुदाय के 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था. इन 23 लोगों में नौ महिलाएं और 9 बच्चे भी शामिल थे.  इस मामले में 9 लोगों को दोषी करार दिया गया जबकि 32 आरोपी बरी हुए.


7. दीपडा दरवाजा: 10 साल पहले हुए गुजरात दंगे के दौरान दंगाइयों ने एक ही परिवार के 11 लोगों की हत्या कर दी थी. इस मामले में बीजेपी विधायक प्रहलाद गोसा सहित 85 लोगों को आरोपी बनाया गया था. जिस वक्त दंगा हुआ उस वक्त यहां 26 मुस्लिम परिवार रहते थे जिनमें से 50 लोग बचकर निकल गए थे लेकिन यूसुफ का परिवार दंगाइयों का शिकार हो गया था. इस मामले में 22 लोग दोषी करार हुए और 61 आरोपियों को बरी कर दिया गया. 


8. बिलकिस बानो: साल 2002 में गुजरात सांप्रदायिक हिंसा की शिकार बिलकिस बानो भी हुईं. 3 मार्च 2002 को लगभग 30 से 40 लोगों ने बिलकिस के परिवार पर हमला बोला और उनकी हत्या कर दी. दंगाइयों ने बिलकिस बानो समेत उनके परिवार की 4 महिलाओं के साथ रेप किया गया. इस मामले में  11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 2 मई को अंतिम सुनवाई करेगा.


9. बेस्ट बेकरी: गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए सांप्रदायिक दंगे में वडोदरा के निकट स्थित बेस्ट बेकरी में एक फरवरी 2002 को 14 लोगों को जलाकर मार दिया गया था. बेस्ट बेकरी ज़ाहिरा शेख़ के परिवार वालों का था और मरने वालों में उनके परिवार वाले और बेकरी में काम करने वाले कुछ कारीगर शामिल थे. बेस्ट बेकरी केस में 14 लोग मारे गए थे. 4 दोषी करार हुए और 5 आरोपी बरी किया गया.   


गुजरात दंगे के बाद सरकार पर उचित कदम नहीं उठाने के आरोप


साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाए जाने और कारसेवकों की मौत के बाद पूरे गुजरात में जगह-जगह हिंदू और मुसलमानों के बीच हिंसक टकराव हुए थे. उस वक्त 2 दिनों तक गुजरात सरकार दंगों को काबू करने में नाकाम रही थी. तीसरे दिन दंगों को काबू करने के लिए सेना उतारनी पड़ी थी. नरेंद्र मोदी पर यह आरोप लगाया जाता रहा है कि उन्होंने दंगे रोकने के लिए ज़रूरी कदम नहीं उठाए.


अमित शाह ने दिए थे विवादित बयान 


साल 2022 में गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अमित शाह ने निशाना तो कांग्रेस पर ही साधा लेकिन उनके मुंह से निकल गया कि, "गुजरात में पहले असामाजिक तत्व हिंसा में लिप्त होते थे और कांग्रेस उनका समर्थन करती थी लेकिन साल 2002 में 'सबक सिखाने' के बाद अपराधियों ने ऐसी गतिविधियां बंद कर दीं और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य में 'स्थायी शांति' कायम की."


हालांकि शाह ने दावा किया कि गुजरात में साल 2002 में दंगे इसलिए हुए क्योंकि अपराधियों को लंबे समय तक कांग्रेस से समर्थन मिलने के कारण हिंसा में शामिल होने की आदत हो गई थी.