बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी की शिकायत पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को विशेषाधिकार हनन के मामले में लोकसभा सचिवालय की ओर से नोटिस भेजा गया है. लोकसभा सचिवालय ने उन्हें 15 फरवरी तक जवाब देने के लिए कहा है. 


बीते 7 फरवरी को संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने सदन को संबोधित करते हुए उद्योगपति गौतम अडानी के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा था. उस दौरान इस्तेमाल की गई उनकी भाषा पर बीजेपी सांसदों की ओर से सवाल उठाया गया है. 


ऐसे में एक सवाल सामने आता है कि आखिर संसद में विशेषाधिकार हनन का मामला क्या होता है और राहुल गांधी पर कार्रवाई क्यों शुरू की गई है. 


क्या होता है विशेषाधिकार हनन



  • जब कोई व्यक्ति या प्राधिकरण व्यक्तिगत रूप से संसद में सदस्यों और सामूहिक रूप से सभा के किसी विशेषाधिकार और अधिकार की अवहेलना करता है या उन्हें चोट पहुंचाता है तो इसे विशेषाधिकार का उल्लंघन कहा जाएगा.

  • सदन के दौरान अगर कोई सदस्य ऐसी टिप्पणी करता है जो संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाती हो तो ऐसी स्थिति में उस सदस्य पर संसद की अवमानना और विशेषाधिकार हनन के तहत कार्रवाई की जा सकती है.


विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव कैसे लाया जाता है


संसद में सदन के दौरान जब किसी सदस्य को लगता है कि कोई और सदस्य सदन में झूठे तथ्य पेश करके सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन कर रहा है तो वह सदस्य विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश कर सकता है.  विशेषाधिकारों का दावा तभी किया जाता है जब व्यक्ति सदन का सदस्य हो. जब वह सदस्य नहीं रहता है तो उसके विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया जाता है. 


विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने के लिए सांसद को लोकसभा के महासचिव को सुबह 10 बजे से पहले लिखित में सूचना जारी करनी होती है. अगर यह सूचना 10 बजे के बाद जारी होता है तो उसे अगले दिन की बैठक में शामिल किया जाता है. 


विशेषाधिकार से संबंधित नियम क्या हैं? 


लोकसभा नियम पुस्तक के अध्याय 20 में नियम संख्या 222 और इसके बाद राज्यसभा की नियमपुस्तिका के अध्याय 16 में नियम 187 विशेषाधिकार को नियंत्रित करता है. इसके अनुसार सदन का सदस्य, अध्यक्ष या सभापति की सहमति से एक प्रश्न उठा सकता है. जिसमें सदन का या किसी समिति के विशेषाधिकार के उल्लंघन का मामला शामिल है. 


विशेषाधिकार समिति क्या है, दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान 


लोकसभा स्‍पीकर विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव की जांच करने के लिए 15 सदस्यों की समिति का गठन करते हैं. यह कमेटी जांच करती है कि विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव सही है या नहीं. विशेषाधिकार समिति अगर किसी भी सदस्य को विशेषाधिकार या अवमानना का दोषी पाती है तो वह सजा की सिफारिश कर सकती है.  


क्या है पूरा मामला 


7 फरवरी को संसद बजट सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी भाषण के कुछ अंशों को सदन की कार्यवाही से (रिकॉर्ड से) भी हटाया गया था. राहुल पर भ्रामक, अपमानजनक, असंसदीय और आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगा है. जिसकी शिकायत बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा सचिवालय में की. 


शिकायत के मुताबिक, सदन में बोलते हुए राहुल गांधी ने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, उससे विशेषाधिकार का हनन हुआ है. लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी का पक्ष जानने के लिए उनसे जवाब तलब किया है. सचिवालय ने राहुल गांधी से नोटिस प्राप्त होने पर उसकी सूचना उपलब्ध कराने को भी कहा है.


राहुल गांधी पर इस नियम के उल्लंघन का आरोप 


संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के अनुसार राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान सदन के कामकाज के नियम 353 और 369 का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि नियम 353 के तहत उस व्यक्ति पर आरोप नहीं लगाए जा सकते जो अपने बचाव के लिए सदन में मौजूद नहीं है. इस नियम के तहत ऐसा करने के लिए पहले नोटिस देना होता है और लोकसभा अध्यक्ष से पूर्व अनुमति लेनी होती है. इसी तरह नियम 369 के तहत सदन में दिखाये गये किसी कागज को सत्यापित करना होता है जो कांग्रेस सदस्य ने नहीं किया.


इस कांग्रेस नेता पर भी आरोप


राहुल गांधी के अलावा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर भी सदन में असंसदीय भाषा इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है. हालांकि खरगे का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं बोला है फिर भी उनके शब्द रिकॉर्ड से हटाए गए.