मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के गंभीर आरोपों के बाद कई और वकीलों ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और जांच की मांग की थी. उन तमाम याचिकाओं में से कोर्ट ने एडवोकेट डॉक्टर जयश्री पाटिल की याचिका पर सीबीआई जांच के आदेश दिए. कोर्ट ने कहा कि हम इस बात को मानते हैं जो की सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि परमबीर सिंह द्वारा लगाए आरोप काफी गंभीर हैं जिसका असर एडमिनिस्ट्रेशन पर भी हो सकता है.


इस मामले में जयश्री पाटिल ने कोर्ट में आने से पहले ही मुम्बई पुलिस को शिकायत भी की थी. पाटिल ने कोर्ट के संज्ञान में यह बात लाई की कैसे मलबार हिल पुलिस उनकी शिकायत पर किसी भी प्रकार का एक्शन लेने में फेल रहा है.


सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा, ''मुद्दे ऐसे हैं कि पुलिस विभाग के कामकाज पर नागरिकों का बहुत विश्वास है जो कि दांव पर हैं. यदि इस तरह के आरोपों में कोई सच्चाई है, तो निश्चित रूप से राज्य में पुलिस तंत्र में नागरिकों के विश्वास पर इसका सीधा असर पड़ता है. इसलिए, ऐसे आरोपों को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है और इस पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है जब ये किसी कॉग्निजेबल ऑफेंस की ओर इशारा करता है.''


सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, ''जनता का विश्वास जगाना और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना, यह आवश्यक है की एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की जाए. कोर्ट इसे सर्वोपरि जनहित में मानता है कि वर्तमान परिस्थितियों में एक स्वतंत्र जांच न्याय के सिरों को पूरा करेगी. क्योंकि अनिल देशमुख गृह मंत्री हैं. पुलिस विभाग उसके नियंत्रण और निर्देशन में है.''


हाई कोर्ट ने कहा, ''कोर्ट को तत्काल कारण नहीं दिखता है की सीबीआई को आदेश दे कि एडवोकेट पाटिल के आधार पर एफआईआर दर्ज किया जाए. कोर्ट मानती है कि सीबीआई को पहले प्राथमिक जांच करनी चाहिए. अगर परमबीर सिंह को लगता है कि पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के संबंध में कोई शिकायत है तो वो उन शिकायतों को उठाने के लिए स्वतंत्रता है.'' कोर्ट ने इस मामले में दायर की गई अन्य याचिकाओं को डिस्पोज़ ऑफ कर दिया है.


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