लखनऊ: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बरसाना में होली खेली. उस से पहले उन्होंने अयोध्या में दिवाली मनाई. यूपी का सीएम बनते ही वे पीएम नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी के सबसे लोकप्रिय नेता बन गए हैं. लेकिन आज हम बात योगी की नहीं, उनकी सेना और उनके सैनिकों की करेंगे. हिन्दू युवा वाहिनी के लोगों का सपना था योगी को मुख्यमंत्री बनाना. पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान नारे लगते थे देश में मोदी और प्रदेश में योगी. अब जब योगी सीएम बन गए हैं, तो फिर क्या कर रही है उनकी सेना ?
2002 में बनी थी हिन्दू युवा वाहिनी
योगी आदित्यनाथ तब गोरखपुर के सांसद बन चुके थे. लेकिन 1999 का लोकसभा चुनाव उनके लिए कांटों का रहा. योगी बड़ी मुश्किल से 7 हज़ार वोटों से चुनाव जीते थे. ये उनके लिए खतरे की घंटी थी. उग्र हिंदुत्व की छवि वाले योगी आदित्यनाथ अपने लिए नौजवानों की एक फ़ौज बनाना चाहते थे. जो उनके एक इशारे पर कभी भी कुछ भी करने के लिए तैयार हो. बस इसी बात पर हिन्दू युवा वाहिनी की नींव पड़ी. सोलह साल पहले 2002 में रामनवमी के दिन गोरखनाथ मंदिर में योगी ने वाहिनी के गठन का एलान कर दिया. कहने को तो इसे सांस्कृतिक संगठन बताया गया. साथ ही कहा गया कि वाहिनी के लोग हिन्दू विरोधी और राष्ट्र विरोधी काम को रोकेंगे. योगी आदित्यनाथ अब भी इस संगठन के सरंक्षक है.
सीएम बनते ही नए सदस्य बनाने पर लगाई रोक
योगी आदित्यनाथ के सीएम बनते ही हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता फॉर्म में आ गए. इसका सदस्य बनने के लिए नौजवानों में होड़ मच गयी. बड़े बड़े आईएएस और आईपीएस अफसरों ने वाहिनी के नेताओं के फोन घुमाने शुरू कर दिए. योगी तक पहुँचने के लिए लोगों ने हिन्दू युवा वाहिनी का रास्ता ढूंढ निकाला. योगी भी समझ गए थे उनकी ही बनाई सेना उनके लिए भस्मासुर बन सकती है. हर पार्टी के लोग वाहिनी में शामिल होने की जुगाड़ में लग गए. लेकिन तभी योगी ने एक बड़ा फैसला ले लिया. उन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी में नए सदस्य बनाने पर रोक लगा दी. अब साल भर हो गए, लेकिन अभी भी रोक हटी नहीं है.
कार्यकर्ताओं पर है योगी की ट्रेनिंग का असर
योगी आदित्यनाथ के सैनिक उन्हें महाराज जी कहते हैं. हिन्दू युवा वाहिनी का एक एक कार्यकर्ता अपने को शेर समझता है. योगी की सोलह सालों की ट्रेनिंग का ये असर है. हिन्दू युवा वाहिनी और विवादों का पुराना नाता रहा है. हिंदुत्व को जगाने का कोई भी मौक़ा हो, योगी के सैनिक सड़कों पर उतर आते है. बात फिल्मों के विरोध से लेकर लव जिहाद की करें तो वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने गोरखपुर से लेकर अलीगढ तक अपनी ताकत दिखा चुके हैं.
सीएम बनने के बाद हिन्दू युवा वाहिनी को लेकर थे सवाल
योगी आदित्यनाथ जब यूपी के सीएम बने, तब सबसे अधिक चर्चा इस बात की थी कि अब हिन्दू युवा वाहिनी का क्या होगा ? क्या बीजेपी में इसका विलय हो जाएगा? योगी के समर्थक कहीं उनके लिए ही तो सरदर्द नहीं बन जाएंगे? लेकिन योगी ने बड़ी समझदारी से हिन्दू युवा वाहिनी के समर्थकों को अलग काम पर लगा दिया. वो भी सांप मर जाए और लाठी भी न टूटे के फार्मूले पर.
सरकार का प्रचार प्रसार करते हैं कार्यकर्ता
योगी राज में हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं के चाल चलन और बोल वचन बदल गए हैं. अब वे सरकारी अफसरों को डराते नहीं, बल्कि उनका हाथ बंटाते हैं. गांव गांव जा कर योगी के सैनिक लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में बताते हैं. राशन कार्ड कैसे बनता है? आधार कार्ड क्यों जरूरी है? पीएम आवास योजना में घर कैसे मिलेगा? बिहार से सटे कुशीनगर ज़िले में हिन्दू युवा वाहिनी इन दिनों स्वच्छता अभियान चला रही है. दलित बस्तियों में जा कर लोगों को समझाया जा रहा है कि घर के आस पास साफ़ सफाई कैसे रखें? वाहिनी के जिला महामंत्री फूल बदन कुशवाहा कहते है " इस इलाके में हर साल इन्सेफ्लाइटिस से हज़ारों बच्चे बीमार हो जाते है, इस से बचने का तरीका हम बता रहे हैं."
दूसरे राज्यों में भी है हिन्दू वाहिनी के कार्यकर्ता
यूपी के सभी 75 जिलों में हिन्दू युवा वाहिनी सगठन काम कर रहा है. गुजरात, बिहार, हिमाचल प्रदेश और उत्ताराखंड जैसे राज्यों में भी वाहिनी के कार्यकर्ता हैं. लेकिन यूपी के पूर्वांचल में तो योगी आदित्यनाथ की सेना एक बड़ी ताकत बन गयी है. कुशीनगर और महाराजगंज जैसे ज़िलों में बीजेपी से भी अधिक वाहिनी के कार्यकर्ताओं की संख्या है. हिन्दू युवा वाहिनी में रह चुके या फिर काम कर रहे कई लोग बीजेपी से विधायक भी बन गए हैं. वाहिनी के प्रदेश संयोजक राघवेंद्र सिंह खुद सिद्धार्थनगर से एमएलए हैं. योगी के सीएम बनने पर शुरुआती महीनों में कई जगहों पर वाहिनी और बीजेपी के समर्थकों में झगडे भी हुए. टेंडर और ठेके को लेकर कन्नौज और मुरादाबाद जैसे ज़िलों में मारपीट हुई. कुछ जगहों पर योगी के सैनिकों ने तो पुलिस वालों को भी पीट दिया. ऐसी ख़बरें जब योगी के पास उन्होंने वाहिनी के कार्यकर्ताओं की जमकर क्लास लगाई. वाहिनी के प्रदेश महामंत्री पीके मल्ल बताते हैं " हिन्दू युवा वाहिनी के जिस कार्यकर्ता के खिलाफ शिकायत आती है, उसे तुरंत बाहर कर दिया जाता है." कभी बात बात पर क़ानून हाथ में लेने वाले वाहिनी के कार्यकर्ता तो अब पुलिस के मददगार बन गए हैं. यूपी में बीजेपी की सरकार बनते ही जो अवैध मीट शॉप बंद हुए थे, उनकी जानकारी हिन्दू युवा वाहिनी ने ही दी थी. एक सीनियर आईपीएस अधिकारी ने बताया कि वाहिनी के सुझाव पर ही पिछले साल सावन में कांवड़ियों को डीजे बजाने की छूट दी गयी.
अपने सैनिकों के लिए योगी ने बनाए कड़े नियम
योगी आदित्यनाथ ने अपनी सेना और सैनिकों के लिए कई कड़े नियम बना दिए हैं. अब किसी तरह के धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी गयी है. योगी का आदेश है कि कोई भी कार्यकर्ता सोशल मीडिया में आपत्तिजनक बातें ना पोस्ट करे. सरकारी संपत्ति बर्बाद करने वाले वाहिनी के समर्थकों की अब खैर नहीं है. योगी ने अपने सैनिकों को मीडिया से दूर रहने को कहा है. एक पुरानी कहावत है खाली दिमाग शैतान का घर होता है, इसीलिए योगी ने अपने सैनिकों को सरकार के कामकाज के प्रचार प्रसार में लगा दिया है.
हिन्दू युवा वाहिनी को योगी ने दी नई पहचान
एक दौर था जब लोग हिन्दू युवा वाहिनी के नाम से ही डर जाते थे. वाहिनी के कई कार्यकर्ताओं पर हत्या से लेकर मार पीट और दंगा भड़काने के आरोप लगे. दादरी में अख़लाक़ की हत्या के बाद हिन्दू युवा वाहिनी ने सभी हिन्दुओं को हथियार देने का एलान किया था. वाहिनी के कार्यकर्ताओं के अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को आतंकियों का अड्ड़ा कहने पर बड़ा हंगामा हुआ था. भले ही महाराज जी की सरकार बन गयी है लेकिन योगी के सैनिकों ने अपनी ट्रेनिंग नहीं छोड़ी है. लाठी चलाने से लेकर कुश्ती के दांव पेंच अब भी सीखे और सिखाये जाते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में वाहिनी के ऑफिस में हर शाम लोग अब भी लाठियां भांजते मिल जाते है. योगी की सेना उनकी ताकत भी है और कमजोरी भी. अपने सैनिकों के दम पर ही योगी आदित्यनाथ आज यूपी में सत्ता के शीर्ष पर हैं. लेकिन अपने सैनिकों की मनमानी से उनका राजनैतिक भविष्य भी बर्बाद हो सकता है. वक्त की नजाकत को समझते हुए योगी अपनी हिन्दू युवा वाहिनी को एक नई पहचान देने में कामयाब रहे हैं.