MS Swaminathan: दिवंगत कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (9 फरवरी) को यह घोषणा की. स्वामीनाथन भारत में 'हरित क्रांति' के जनक माने जाते हैं. उन्होंने गेहूं और चावल की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे भारत के कम आय वाले किसानों को अधिक उपज करने में मदद मिली.
इतना ही नहीं उन्होंने देश के लिए खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित की. उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में भी जाना जाता है जिसने भारत को 'भूख के ट्रैप' से बाहर निकाला. इसके अलावा उन्होंने भारत में कृषि की प्रोडेक्टिविटी बढ़ाने के लिए के एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसे स्वामीनाथन रिपोर्ट कहा जाता है, जो आज तक लागू नहीं की गई.
क्या है स्वामीनाथन रिपोर्ट?
प्रोफेसर एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में 2004 में राष्ट्रीय किसान आयोग (NCF) का गठन किया गया था. एमसीएफ ने 2004 और 2006 के बीच पांच रिपोर्टें पेश कीं, जिनमें भारत में मेजर फार्मिंग सिस्टम की प्रोडक्टिविटी, प्रॉफिटेबिलिटी और स्थिरता को बढ़ाने के तरीके सुझाए गए थे. सामान्य भाषा में इन रिपोर्टों को स्वामीनाथन रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है.
स्वामीनाथन रिपोर्ट में दिए गए सुझाव
- देश में खाद्य और न्यूट्रिशन सिक्योरिटी के लिए रणनीति बनाई जाए.
- फार्मिंग सिस्टम की प्रोडक्टिविटी और स्थिरता में सुधार किया जाए.
- किसानों को मिलने वाले कर्ज का फ्लो बढ़ाने के लिए सुधार हो.
- शुष्क भूमि के साथ-साथ पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों में किसानों के लिए फार्मिंग प्रोग्राम.
- कृषि से जुड़े सामान की क्वालिटी और कोस्ट में सुधार.
- वैश्विक कीमतें गिरने पर किसानों को आयात से बचाना.
- बेहतर कृषि के लिए स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना.
C2+50% फार्मूला
इसके अलावा उन्होंने किसानों की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनश्चित करने का सुझाव भी दिया. इसे C2+50% फार्मूला भी कहा जाता है. रिपोर्ट में किसानों को उनकी फसल की औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक एमएसपी देना का सुझाव दिया था.
अब तक लागू नहीं हो सकी रिपोर्ट
स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिशों को राष्ट्रीय किसान नीति 2007 में शामिल नहीं किया गया था. उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी. हालांकि, रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद मनमोहन सिंह सरकार 8 साल तक सत्ता में रही.
मोदी सरकार का MSP बढ़ाने का दावा
इस बीच केंद्र की मोदी सरकार ने दावा किया कि उसने 2018-19 के लिए सभी खरीफ और रबी फसलों और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि की है, जिसमें उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत का रिटर्न मिलेगा. वहीं, किसानों का दावा है कि सरकार अपना फॉर्मूला लागू करती है, जिससे एमएसपी काफी कम हो जाती है.
किसानों की औसत आय
किसान सभी पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं. देश में किसानों की संख्या लगभग 15 करोड़ हैं. कृषि परिवारों की औसत मासिक आय की बात करें तो 2002-03 में किसान के परिवार की कुल आय औसतन 2115 रुपये महीने थी. जो अगले 10 साल में बढ़कर 6426 हो गई. वहीं, 2015-16 में किसान परिवार की औसतन आय 8059 रुपये महीना हो गई, जो 2018-19 में 10,218 रुपये प्रति माह पहुंच गई.
क्या है एमएसपी का फार्मूला?
फिलहाल सरकार 22 अनिवार्य कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है. इसमें CACP की सिफारिशों के आधार पर गन्ने के लिए उचित मूल्य तय किए जाते हैं. इसे राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के साथ विचार करने के बाद लागू किया जाता है.
साल 1966-67 में यह पहली बार था कि केंद्र सरकार ने MSP लागू किया गया था. पहली बार गेहूं की कीमत 54 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय की गई थी. हरित क्रांति के लिए भारतीय नीति निर्माताओं ने महसूस किया कि किसानों को खाद्य फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता है.
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