Nagaland Civilians Killings: नागालैंड में सेना की पैरा-एसएफ यूनिट के गलत ऑपरेशन और फिर उग्र भीड़ पर फायरिंग के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि राज्य से आफ्सपा (AFSPA) हटा देना चाहिए या नहीं. खुद नागालैंड के मुख्यमंत्री अब राज्य से आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पावर एक्ट यानि (AFSPA) हटाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन सवाल ये खड़ा होता है कि सुरक्षाबलों को मिलने वाले इस विशेष-अधिकार की आखिर जरूरत क्यों पड़ती है और इससे सैनिकों को कानून से 'इम्युनिटी' कैसे मिलती है. 


क्या है AFSPA ?


आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पावर एक्ट यानि (AFSPA) संसद द्वारा बनाया गया कानून है जिसे वर्ष 1958 में लागू किया गया था. इस कानून को अशांत-क्षेत्र में लागू किया जाता है जहां राज्य सरकार और पुलिस-प्रशासन कानून-व्यवस्था संभालने में नाकाम रहती है. ये ऐसी 'खतरनाक स्थिति' में लागू किया जाता है जहां पुलिस और अर्द्धसैनिक बल आतंकवाद, उग्रवाद या फिर बाहरी ताकतों से लड़ने में नाकाम साबित होती हैं. 


भारतीय सेना के पूर्व डिप्टी जज एड़वोकेट जनरल (डिप्टी जैग), कर्नल अमित कुमार (रिटायर) ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में बताया कि अफस्पा कानून को केंद्र सरकार लागू करती है. अमूमन राज्य सरकार जब कानून व्यवस्था संभालने में नाकाम रहती हैं और केंद्र सरकार से मदद मांगती हैं तो केंद्र सरकार उस क्षेत्र को 'डिस्टर्ब एरिया' घोषित कर आंतरिक सुरक्षा के लिए सेना को तैनात कर देती है. 


कहां और क्यों लागू होता है अफस्पा ?


केंद्र सरकार को अगर ऐसा लगता है कि ये इलाका या फिर इस राज्य में अलगाववाद चरम पर है और यहां के लोग गणराज्य से अलग एक देश की मांग कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में भी केंद्र सरकार आफ्सपा कानून लागू कर सेना की तैनाती कर सकती है. जैसाकि नागालैंड की हालात पिछले पचास सालों से रहे हैं. वहां नागा समुदाय के अलगाव वादी और चरमपंथी संगठन अपने को स्वतंत्र घोषित करते हैं.


उनकी राज्य में पैरलल-सरकार चलती है. वे राज्य के दुकानदारों, व्यवसायियों और व्यापारियों से टैक्स के रूप में जबरन वसूली, रंगदारी, फिरौती के लिए अपहरण करते आए हैं. सीमापार से इन संगठनों को फंड से लेकर हथियारों तक की सप्लाई होती आई है. कई संगठनों ने अपनी खुद की मिलिशिया-फोर्स तक खड़ी कर रखी है और उनके रैंक ठीक वैसे ही होते हैं जैसे कि सेना में होते हैं. 
 
केंद्रीय गृह मंत्रालय हर छह महीने के लिए (AFSPA) कानून को लागू करता है और जरूरत पड़ने पर फिर से इसे लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर देता है. 


अफस्पा लागू होने से सेना को क्या अधिकार मिल जाते हैं ?


AFSPA कानून के तहत सैनिकों को बिना किसी अरेस्ट वॉरेंट के किसी भी नागरिक को गिरफ्तार करने का अधिकार है. हालांकि, अब गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस के हवाले ही कर दिया जाता है. इसके अलावा, गोली चलाने के लिए भी किसी की इजाजत नहीं लेनी पड़ती है. अगर सेना की गोली से किसी की मौत हो जाती है तो उसपर हत्या का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. अगर राज्य सरकार या फिर पुलिस-प्रशासन सैनिक या फिर सेना की किसी यूनिट के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज कर भी लेती है तो अदालत में अभियोग के लिए केंद्र सरकार की इजाजत जरूरी होती है. 


अफस्पा को लेकर सेना का क्या तर्क है ?


अफस्पा कानून को लेकर सेना और सैनिकों को अपना तर्क है. सेना का मानना है कि आंतरिक सुरक्षा या फिर किसी राज्य में कानून-व्यवस्था सुधारने के लिए सेना के पास पुलिस जैसे आईपीसी, सीआरपीसी इत्यादि कानून नहीं हैं. ऐसे में शांति बहाली के लिए सेना को अफस्पा कानून बेहद जरूरी है. साथ ही सैनिकों की हर दो-तीन साल में पोस्टिंग बदलती रहती है यानि तबादला होता रहता है. सैनिकों की तैनाती देश के अलग-अलग हिस्सों में या फिर सीमावर्ती दूरस्थ इलाकों में रहना होता है. ऐसे में उनके लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाना बेहद मुश्किल काम है.  


कर्नल अमित कुमार (रिटायर) के मुताबिक, सैनिकों को किसी भी ऑपरेशन में जाते वक्त अपने दिलो-दिमाग में ये नहीं सोचना चाहिए कि किसी आतंकवादी या उग्रवादी को मारने के बाद हत्या का मामला तो दर्ज नहीं हो जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो राष्ट्रीय सुरक्षा को बहुत नुकसान हो सकता है. सेना की लीगल-ब्रांच का हिस्सा बनने से पहले इंफेंट्री बटालियन का हिस्सा रह चुके कर्नल अमित कुमार ने नागालैंड की घटना पर खेद जताया लेकिन उन्होनें ये भी कहा कि किसी भी ऑपरेशन में पहली कार्रवाई बेहद महत्वपूर्ण होती है. अगर ऐसा नहीं किया गया तो पुलवामा जैसे बड़े हमले हो जाते हैं.


कर्नल अमित कुमार के मुताबिक, सैनिकों का जोश हमेशा हाई रहना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे अपना कर्तव्य ठीक प्रकार से नहीं कर पाएंगे. कर्नल अमित कुमार ही सुप्रीम कोर्ट में उन 300 सैनिकों का केस लड़ रहे हैं जो कश्मीर में मेजर आदित्य के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज करने के बाद दायर किया गया था. इसके अलावा वे मणिपुर के उन एनकाउंटर मामलों में सीबीआई द्वारा आरोपी बनाए गए उन सैन्य अफसरों के लिए भी उच्चतम न्यायलय में केस लड़ चुके हैं.


किन-किन राज्यों में लागू है अफस्पा ?
 
आपको बता दें कि इस वक्त AFSPA कानून जम्मू-कश्मीर के अलावा उत्तर-पूर्व के अधिकतर राज्यों में लागू है. मणिपुर की राजधानी, इम्फाल और अरूणाचल प्रदेश के कुछ जिलों को छोड़ दें तो लगभग पूरे उत्तर-पूर्व में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम कानून (अफस्पा) लागू है. लेकिन हाल के वर्षों में कश्मीर हो या उत्तर-पूर्व के राज्य, इस कानून को हटाने की मांग उठती रही है. मणिपुर एनकाउंटर मामलों में सुप्रीम कोर्ट अफस्पा कानून और सेना की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर चुकी है.


आलोचना का ये नतीजा है कि सेना-प्रमुख के दस प्रमुख चार्टर में किसी भी ऑपरेशन के दौरान स्थानीय पुलिस को सूचना देने का साफ निर्देश है. लेकिन नागालैंड का (गलत) ऑपरेशन क्योंकि स्पेशल-फोर्सेज़ का था इसलिए पुलिस को पहले से जानकारी नहीं दी गई थी.


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