Ashoka University Row: अशोका यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर सब्यसाची दास के इस्तीफे के बाद एक और प्रोफेसर पुलापरे बालाकृष्णन ने इस्तीफा दे दिया है. पूरा अर्थशास्त्र विभाग सब्यसाची दास के समर्थन में है और यूनिवर्सिटी की गवर्निंग बॉडी को ओपन लेटर लिखकर प्रोफेसर दास को उनके पद पर बहाल करने की मांग की और फैकल्टी के पलायन की भी संभावना जताई है.


यह पूरा विवाद 25  जुलाई को छपी एक रिसर्च से शुरू हुआ. 'डेमोक्रेटिक बैकस्लाइडिंग इन द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट डेमोक्रेसी' रिसर्च पेपर में प्रोफेसर सब्यसाची दास ने 2019 के चुनावो में धांधली की संभावना का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने धांधली करवाई, खासतौर से उन राज्यों में जहां पर बीजेपी की सरकार थी. इस वजह से पार्टी को इतनी बड़ी जीत मिली. 25 जुलााई को सोशल साइंस रिसर्च नेटवर्क पर यह रिसर्च पेपर पब्लिश किया गया. आउटलुक की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोफेसर दास ने यह भी कहा उनके पास इस बात के सबूत हैं कि वोटिंग और  वोटरों के रजिस्ट्रेशन के समय किस तरह गड़बड़ी की गई. 


यूनिवर्सिटी ने रिसर्च से बनाई दूरी
रिसर्च छपने के बाद नया राजनीतिक विवाद शुरू हो गया. वहीं, यूनिवर्सिटी ने सब्यसाची दास के रिसर्च पेपर से दूरी बनाते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी 160 से ज्यादा फैकल्टी को रिसर्च को प्रोत्साहित करता है, लेकिन किसी फैकल्टी मेंबर को विशेष रिसर्च के लिए निर्देशित या अप्रूव नहीं करता है. साथ ही रिसर्च की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए यूनिवर्सिटी ने यह भी कहा कि रिसर्च की उसी क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा नहीं की गई.


अर्थशास्त्र विभाग ने गवर्निंग बॉडी को लिखा ओपन लेटर
इसके बाद सब्यसाची दास ने इस्तीफा दे दिया और यूनिवर्सिटी ने स्वीकार भी कर लिया. प्रोफेसर दास के समर्थन में अर्थशास्त्र विभाग के उनके सहोगियों ने गवर्निंग बॉडी को ओपन लेटर लिखकर प्रोफेसर दास उनके पद पर वापस लाने की मांग की. पत्र में लिखा गया, 'प्रोफेसर दास ने एकेडमिक प्रैक्टिस के किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया. उनके रिसर्च पेपर का समीक्षा के जरिए व्यवसायिक तौर पर मूल्यांकन किया गया है. उनकी स्टडी को लेकर गवर्निंग बॉडी का हस्तक्षेप संस्थागत उत्पीड़न, शैक्षणिक आजादी को सीमित और रिसर्चर्स को डर वाले माहौल में रहने के लिए दबाव बनाता है.'


इसमें यह भी कहा गया कि हम इसकी निंदा करते हैं और पुष्टि करें कि गवर्निंग बॉडी रिसर्च के इवैल्यूएश में कोई भूमिका न निभाए. इंग्लिश एंड क्रिएटिव राइटिंग डिपार्टमेंट भी इस मांग का सपोर्ट कर रहे हैं. अशोका यूनिवर्सटी की गवर्निंग बॉडी में चांसलर रुद्रांगशु मुखर्जी, वाइस चांसलर सोमक रायचौधरी, मधु चंदक, पुनीत डालमिया, आशीष धवन, परमाथ राज सिन्हा, सिद्धार्थ योग, दीप कालरा और जिया लालका हैं.


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