नई दिल्ली: भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी द्वारा साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले गए मैच में अपने दस्तानों पर 'बलिदान बैज' लगाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. ICC ने इसको हटाने को कहा है तो वहीं BCCI ने धोनी का समर्थन करते हुए ICC को खत लिखकर इसकी इजाजत मांगी है. ऐसे में जब 'बलिदान बैज' को लेकर चर्चा है तो आप भी यह जानने में इच्छुक होंगे की आखिर यह 'बलिदान बैज' होता क्या है ? आज हम आपको इसका जवाब देने जा रहे हैं..
क्या होता है बलिदान बैज
यह कोई आम बैज नहीं होता, बलिदान बैज पैराशूट रेजिमेंट के विशेष बलों के पास होता है और इसलिए वही इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसका इस्तेमाल कोई अनय व्यक्ति नहीं कर सकता. इस बैज पर हिन्दी में बलिदान लिखा होता है. यह बैज चांदी की धातु से बना होता है, जिसमें ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है. इसे सिर्फ भारतीय सेना के पैरा कमांडो ही लगा सकते हैं. पैरा स्पेशल फोर्स को पैरा एसएफ भी कहा जाता है.
स्पेशल यूनिट
पैरा स्पेशल फोर्स इंडियन आर्मी की स्पेशल ऑपरेशन यूनिट होती है. कई मौकों पर देश के लिए पैरा स्पेशल फोर्स ने काम किया है. इस यूनिट ने पाकिस्तान युद्ध (1971), ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984), लिट्टे के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन (1987), करगिल युद्ध (1999) में हिस्सा लिया था. इसके अलावा 2016 में पीओके में हुए सर्जिकल स्ट्राइक में भी अहम भूमिका थी.
हालांकि क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को वर्ष 2011 में प्रादेशिक सेना में मानद ले.कर्नल की उपाधी दी गई थी. ये सम्मान पाने वाले धोनी कपिलदेव के बाद दूसरे क्रिकेटर हैं. धोनी पैरा ट्रूपिंग की ट्रेनिंग ले चुके हैं. धोनी ने पैरा बेसिक कोर्स पूरा किया है.
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