नई दिल्ली:  राजधानी दिल्ली और एनसीआर के इलाके में हर साल प्रदुषण की समस्या भयावह हो जाती है. इस दौरान लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इसकी बड़ी वजह हरियाणा और पंजाब में धान फसल की कटाई के बाद जलाई जाने वाली पराली है. पराली जलाए जाने को लेकर दिल्ली से लेकर हरियाणा तक सियासत भी होती रहती है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार चिंता जताई है. लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली हो, पंजाब हो या हरियाणा हर जगह लोगों का स्वास्थ्य अच्छा होना बेहद जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा था कि वह  किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए टास्क फोर्स बनाए. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर यह पराली है क्या और इसे जलाने पर क्यों बवाल होता है. साथ ही हम आपको बताएंगे कि इसको जलाने से जो प्रदूषण होता है उसका लोगों के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है.


पराली क्या है?


पराली धान के बचे हुए हिस्से को कहते हैं जिसकी जड़ें धरती में होती हैं. किसान धान की फसल पकने के बाद फसल का ऊपरी हिस्सा काट लेते हैं क्योंकि वही काम का होता है बाकी का हिस्सा जो होता है वह किसान के लिए किसी काम का नहीं होता. अगली फसल बोने के लिए खेत खाली करने होते हैं तो इसलिए किसान फसल के बाकी हिस्से को यानी सूखी पराली को आग लगा देते हैं.


पराली जलाने को लेकर  क्या है समस्या?


हरियाणा और पंजाब के किसान 6-6 महीने पर गेहूं और धान की खेती करते हैं. इस दौरान एक फसल की कटाई के बाद खेत को साफ करने के लिए वह पराली जलाते हैं. पराली जलने के बाद उठने वाले धुएं से वायू प्रदूषण होता है. खासकर हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा जलाए गए पराली से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है. इसे लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. जहां पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट और एनडजीटी दोनों ही निर्देश जारी कर रखा है तो वहीं किसान विकल्प की मांग कर रहे हैं.


 किसानों का क्या है कहना? 


पराली न जलाने के निर्देश के बाद भी किसान ऐसा कर रह हैं. इसको लेकर उनका साफ कहना है कि या तो उनको अन्य विकल्प सुझाए जाएं या फिर वह ऐसा करते रहे. हरियाणा के जींद में भारतीय किसान यूनियन ने प्रशासन को खुले तौर पर चुनौती देते हुए पराली जलाकर मामले दर्ज करने की बात कही तो दूसरी तरफ कृषि विभाग पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. जिला जींद में ही कई किसानों को नोटिस दिया जा चुका है. कई किसानों पर एफआईआर भी दर्ज हुआ है.


किसानों का यह भी कहना है कि पराली को जमीन में दबाने वाली विदेशी मशीन काफी महंगा होती है और आम किसान के लिए लेना बहुत मुश्किल है. सरकार इसका समाधान निकाले.


क्या हैं एनजीटी के आदेश


एनजीटी ने पराली जलाने को लेकर साफ मना कर दिया है. उसके आदेशानुसार पराली जलाने पर 2500 रुपये का जुर्माना 2 से 5 एकड़ जमीन पर और 5 एकड़ से ज्यादा जमीन पर पराली जलाने पर 5 हजार रुपये का जुर्माना है. एनजीटी यह फाइन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए लिया जा रहा है.


पराली जलाने से स्वास्थ्य पर क्या होता नुकसान


पराली जलाने से जो धुआं निकलता है उसमें कार्बन मोनो ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड गैसों से ओजोन परत फट रही है इससे अल्ट्रावायलेट किरणें, जो स्किन के लिए घातक सिद्ध हो सकती है सीधे जमीन पर पहुंच जाती है. इसके धुएं से आंखों में जलन होती है. सांस लेने में दिक्कत हो रही है और फेफड़ों की बीमारियां भी होने की सिकायत आ रही है.