ड्रग्स रेगुलेटर ऑफ इंडिया (DCGI) की तरफ से कोरोना की 2 वैक्सीन को मंजूरी देने के बाद स्वदेशी भारत बायोटेक की वैक्सीन को लेकर कई तरह से सवाल खड़े किए जा रहे हैं. लोगों की तरफ से सवाल उठाया जा रहा है कि जब पहले और दूसरे चरण के ही ट्रायल के डेटा आए हैं और तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा हो तो फिर भारत बायोटेक की वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी क्यों दी गई? इन तमाम सवालों के बीच एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बड़ी बेबाकी से हर सवाल का जवाब दिया.
जल्दी से लोगों का हो वैक्सीनेशन
रणदीप गुलेरिया ने कहा कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन जिसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट की तरफ से तैयार किया गया है, उसका ज्यादातर ट्रायल का डेटा देश का बाहर का है. भारत का ट्रायल डेटा कम है. इसी तरह, भारत बायोटेक का सारा डेटा देश का ही है. उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक का फेज-1 और फेज-2 का डेटा आ चुका है और वैक्सीन के बेहतर नतीजे आए हैं. जबकि, तीसरे चरण के ट्रायल का डेटा आने में 4 से 6 हफ्ते का वक्त लगेगा.
क्लिनिकल मोड में हो लोगों को वैक्सीनेशन
गुलेरिया ने कहा कि चूंकि हम महामारी से मुक्ति के लिए जल्दी से जल्दी लोगों में वैक्सीनेशन करना चाहते हैं. इसलिए यह आपात मंजूरी दी गई है. यह पूरी तरह से सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि रेगुलेटर की तरफ से यह कहा गया है कि जब भी वैक्सीन दोगे तो क्लिनिकल ट्रायल मोड में दोगे. चिंता का विषय है यूके, यूरोप में केस बढ़ने का, जहां फिर से लॉकडाउन किया गया है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगा देंगे तो कोरोना के नए मामलो में कमी आ सकती है. इसलिए, हमें इन चीजों में प्रो-एक्टिव होकर कदम अपनाना चाहिए, ताकि लोगों का जीवन सामान्य हो पाए.
गुलेरिया बोले- गलत सूचना से बचें
रणदीप गुलेरिया ने आगे कहा- वैक्सीनेशन को कंपनी नियमित तौर पर निगरानी करेगी. हमें यह आइडिया नहीं है कि कितनी देर तक यह वैक्सीन इम्युनिटी देगा. कहीं फिर से वैक्सीनेट की जरूरत नहीं, इसका पता चलेगा. जिन लोगों को वैक्सीनेट किया जाएगा, हमें उसका फॉलो अप करना होगा. कितनी देर तक वैक्सीन असरदार रहेगी, हर पॉपुलेशन में वैसी ही रहेगी, यह देखने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगाकर अपने रिश्तेदार को बचा सकते हैं तो यह सबसे बेहतरीन होगा. इसलिए जरूरी है कि हम सब ये सोचें. ऐसा नहीं होना चाहिए कि वैक्सीन के डर से वैक्सीन न लगाए और किसी को आईसीयू में जाना पड़े. गौरतलब है कि एक्सपर्ट पैनल की तरफ से 1 जनवरी को ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड को मंजूरी देकर उसे डीसीजीआई के पास अंतिम फैसले के लिए सिफारिश की गई थी. उसके बाद 2 जनवरी को एक्सपर्ट पैनल ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भी मंजूरी देकर डीसीजीआई के पास अंतिम फैसले के लिए सिफारिश की थी. 3 जनवरी को डीसीजीआई ने दोनों ही वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी.
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