लोकसभा के नए सत्र का पुराणों से क्या है कनेक्शन, पीएम मोदी ने संसद शुरू होने से पहले बताया
PM Modi: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने 18वीं लोकसभा और पुराणों के बीच संबंध बताया.
First session of the 18th Lok Sabha: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत हो गई है. ये सत्र तीन जुलाई तक चलेगा. इसके अलावा बुधवार को बुधवार को नए लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित किया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने इस लोकसभा का संबंध पुराणों से बताया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'संसदीय लोकतंत्र में आज का दिन गौरव मय है,यह वैभव का दिन है. आजादी के बाद पहली बार हमारे अपने नए संसद में यह शपथ हो रहा है, अब तक ये प्रक्रिया पुराने संसद में होती थी. आज के इस महत्वपूर्ण दिन पर मैं सभी नव निर्वाचित सांसदों का स्वागत करता हूं सबका अभिनंदन करता हूं और सबको शुभकामनाएं देता हूं.'
'देश चलाने के लिए आम सहमति जरूरी'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'अगर हमारे देश के नागरिकों ने लगातार तीसरी बार किसी सरकार पर भरोसा किया है, तो इसका मतलब है कि उन्होंने सरकार की नीतियों और नीयत पर मुहर लगाई है. मैं आप सभी के समर्थन और भरोसे के लिए आभारी हूं. सरकार चलाने के लिए बहुमत ज़रूरी है, लेकिन देश चलाने के लिए आम सहमति जरूरी है.'
PM मोदी ने बताया पुराणों से संबंध
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, '18वीं लोकसभा में युवा सांसदों की संख्या अच्छी खासी है. हमारे यहां 18 अंक का बहुत सात्विक मूल्य है. गीता के 18 वे श्लोक से करुणा और कर्तव्य करने की शिक्षा मिलती है. पुराण भी 18 है. इसी उम्र में मताधिकार का अधिकार भी मिलता है.'
इमरजेंसी को लेकर साधा निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "कल 25 जून हैं. जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा से समर्पित हैं, जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर निष्ठा रखते हैं, उनके लिए 25 जून न भूलने वाला दिवस है. कल 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, उसके 50 वर्ष हो रहे हैं. भारत की नई पीढ़ी ये कभी नहीं भूलेगी की संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था, भारत को जेलखाना बना दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था.'
उन्होंने आगे कहा, 'इमरजेंसी के ये 50 साल इस संकल्प के हैं कि हम गौरव के साथ हमारे संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए देशवासी ये संकल्प करेंगे कि भारत में फिर कभी कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा, जो 50 साल पहले की गई थी और लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा दिया गया था.'
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