One Nation One Election: देश में एक साथ हुआ लोकसभा-विधानसभा चुनाव तो कितना होगा खर्चा? 'वन नेशन, वन इलेक्शन' कमिटी ने कर दिया खुलासा
One Nation One Election Cost: बीजेपी की तरफ से हमेशा से ही 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की मांग की जाती रही है. इस संबंध में हाल ही में एक रिपोर्ट तैयार की गई है.
Election 2024: देश में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' यानी एक देश, एक चुनाव को लेकर बहस काफी पुरानी है. इस चुनावी सिस्टम के विरोधियों का कहना है कि अगर ये व्यवस्था आएगी, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. उनका ये भी कहना है कि इससे राज्य स्तर पर स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनाव नहीं होंगे. वहीं, समर्थकों का कहना है कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' से काफी पैसा बचाया जा सकता है, क्योंकि बार-बार चुनाव के लिए होने वाली तैयारियों को एक बार में अंजाम दिया जाएगा.
हालांकि, अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर एक साथ चुनाव करवाने में कितना पैसा खर्चा होगा? इस सवाल का जवाब मिल गया है, क्योंकि हाल ही में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए गठित पैनल ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी है. 'वन नेशन, वन इलेक्शन' कमिटी का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के जरिए किया गया. समिति की तरफ पेश रिपोर्ट में बताया गया है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने पर कितना खर्च आएगा.
'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर कितना खर्च होगा?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगर 2029 में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ करवाए जाएं, तो चुनाव आयोग को ईवीएम और वीवीपैट खरीदने के लिए कम से कम 8000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. चुनाव आयोग से मिले जवाब के आधार ही इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है.
अगर इस हिसाब से देखें और ये मानकर चलें कि विधानसभा चुनाव पर कोई खर्च नहीं किया जाएगा, क्योंकि उनके लिए भी वोटिंग लोकसभा चुनाव के दौरान ही होगी, तो 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर लगभग 8000 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं. 2014 में हुए लोकसभा को करवाने में 3800 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
चुनाव आयोग ने समिति को क्या कहा?
रिपोर्ट के अनुसार, हितधारकों के साथ बातचीत करने के मकसद से कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल ने 12 जनवरी और 20 फरवरी को चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर उसके विचार मांगे थे. हालांकि, चुनाव आयोग ने समिति के साथ बैठक नहीं की थी. मगर आयोग ने 17 मार्च, 2023 को लॉ कमीशन को लॉजिस्टिक और फंडिंग को लेकर जो रिस्पांस दिया था, वहीं जवाब समिति को भी भेजा गया.
चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि एक साथ चुनाव करवाने पर उसके फैसले में कोई बदलाव नहीं हुआ है. चुनाव आयोग ने कोविंद पैनल को यह भी बताया कि ईवीएम, कर्मियों और जरूरी सामग्री पर होने वाले खर्च को लेकर जो आकलन किया गया है, उसमें स्थानीय निकायों के लिए होने वाले खर्च को शामिल नहीं किया गया है. स्थानीय निकाय चुनाव करवाने की जिम्मेदारी राज्य चुनाव आयोग की होती है.
चुनाव आयोग का आकलन क्या कहता है?
मार्च 2023 में किए चुनाव आयोग के आकलन के मुताबिक, मतदान केंद्रों की संख्या 2019 में 10.38 लाख से 15% बढ़कर 2024 में 11.93 लाख होने की उम्मीद है, जिससे जरूरी सुरक्षा कर्मियों और ईवीएम की संख्या में भी इजाफा होगा. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की कंपनियों की संख्या 2019 में 3,146 कंपनियों से 50% बढ़कर 2024 में 4,719 कंपनियों तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया.
आयोग ने कहा कि यदि विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ-साथ होते हैं, तो ये संख्या और बढ़ जाएगी. चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम को तैयार करने के लिए पर्याप्त समय भी चाहिए होगा. 2029 में एक साथ मतदान के लिए कुल 53.76 लाख बैलेट यूनिट, 38.67 लाख ईवीएम और 41.65 लाख वीवीपैट की जरूरत होगी. इसके लिए कुल मिलाकर 7,951.37 करोड़ रुपये की जरूरत होगी.