DCW Recruitment Scam: दिल्ली महिला आयोग भर्ती घोटाले को लेकर दिल्ली के एंटी करप्शन ब्यूरो ने 2016 में 19,जनवरी को पीओसी एक्ट की धारा 13(1)(d) और आईपीसी की धारा 409 और 120B के तहत एफआईआर दर्ज की थी.
ये एफआईआर पूर्व विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत पर एसीबी ने दर्ज की थी. इस मामले में साल 2017 में एंटी करप्शन ब्रांच ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. चार्जशीट में बताया गया है कि स्वाति मालीवाल के खिलाफ भर्ती घोटाले की जांच में पुख्ता सबूत मिले हैं.
गैर-कानूनी तरीके से हुई 90 लोगों की भर्ती
चार्जशीट के मुताबिक, स्वाति मालीवाल ने गैर-कानूनी तरीके से अपने अधिकारों से बाहर जाकर दिल्ली महिला आयोग में 90 लोगों की नियुक्तियां कीं. चार्जशीट के मुताबिक 06.08.2015 से लेकर 01.08.2016 के बीच दिल्ली महिला आयोग में ये भर्तियां की गईं. इनमें से 71 लोग कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर थे. आरोप है कि स्वाति मालीवाल ने DCW में 26 एग्जिस्टिंग सैंक्शन पोस्ट के बदले ये 90 भर्तियां कीं, जिनमें से 20 लोग सीधे तौर पर आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए थे.
हालांकि एंटी करप्शन ब्यूरो को अपॉइंटमेंट से जुड़े 3 लोगों के कोई भी कागजात बरामद नही हुए थे. चार्जशीट के मुताबिक राज मंगल प्रसाद नाम के शख्स को DCW में एडवाइजर के पद पर नियुक्त किया गया. राजमंगल को 1 लाख रुपए सैलरी दी जा रही थी. राज मंगल प्रसाद साल 2014 में आम आदमी पार्टी से बिहार से लोकसभा का चुनाव लड़ चुका था.
सीएम केजरीवाल के ऑफिस में काम करते थे नौकरी पाने वाले लोग
चार्जशीट के मुताबिक गौतम सिंह और बंटेश्वर सिंह को DCW चेयरमैन के रिसर्च असिस्टेंट और पर्सनल असिस्टेंट के तौर पर नियुक्त किया गया था. यह दोनों इससे पहले स्वाति मालीवाल के साथ चीफ मिनिस्टर के ऑफिस में काम करते थे.
उस समय स्वाति मालीवाल मुख्यमंत्री के पब्लिक ग्रीवांस सेल की एडवाइजर थीं. इस दौरान गौतम सिंह और बटेश्वर सिंह उनके साथ ही ग्रीवांस सेल में काम करते थे. उस समय इन दोनों को ₹25000 महीना और ₹22000 महीने की सैलरी मिलती थी. इन दोनों की सैलरी डीसीडब्ल्यू में बढ़कर 50000 और 45000 रुपए महीना कर दी गई थी.
दिल्ली हाई कोर्ट में चल रही मामले की सुनवाई
एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से दायर चार्जशीट के मुताबिक मालीवाल ने नियुक्तियां करने से पहले प्रक्रिया का पालन नहीं किया, पब्लिक में बगैर विज्ञापन निकाले हुए ऐसे लोगों को नियुक्ति दी गई, जिनमें कुछ आम आदमी पार्टी के नेताओं के परिवारों के सदस्य थे तो कई लोग इस पार्टी के कार्यकर्ता थे. ब्यूरो की जांच में पाया गया कि गलत तरीके से नियुक्तियां करने की वजह से मालीवाल ने न सिर्फ अपराध किया, बल्कि सरकारी खजाने को नुकसान भी पहुंचाया.
एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच में पाया गया कि स्वाति मालीवाल ने जीएफआर यानी सामान्य वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया. जांच में यह भी पाया गया कि स्वाति मालीवाल ने नियम-कायदों को ताक पर रखकर खुद ही इन लोगों के पे-स्केल तय कर दिए. फिलहाल राउज एवेन्यू कोर्ट में मामले की सुनवाई पर रोक लगी हुई है, क्योकि स्वाति मालीवाल की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
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