क्या होता है भूकंप, रिएक्टर पर कैसे तय होती है तीव्रता? आसान भाषा में जानें इसके पीछे का विज्ञान
धरती की ऊपरी सतह टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है, जहां भी ये प्लेट एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. यहां जानिए भूकंप से जुड़ी सारी अहम जानकारी.
Science Behind Earthquake: नेपाल में आए 6.6 तीव्रता वाले भूकंप से छह लोगों की मौत हो गई. वहीं नेपाल की सीमा से लगे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के पास हिमालयी क्षेत्र में मंगलवार देर रात 6.3 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया. भारत के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र (NCS) के अनुसार, देर रात एक बजकर 57 मिनट पर 6.3 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से लगभग 90 किलोमीटर पूर्व-दक्षिण पूर्व में नेपाल में था. इस क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से कम तीव्रता के भूकंप के झटके कई बार महसूस किए गए. चलिए अब आपको भूकंप के पीछे का विज्ञान समझाते हैं.
क्यों आता है भूकंप?
धरती की ऊपरी सतह टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है, जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. भूकंप तब आता है जब से प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं. प्लेट्स एक दूसरे से रगड़ खाती हैं और उससे अपार ऊर्जा निकलती है. उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर की धरती डोलने लगती है, कई बार धरती फट तक जाती है. ऐसे में कई बार तो कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है. फिर भूकंप आते रहते हैं और इन्हें आफ्टरशॉक कहते हैं.
रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता का असर
- भूकंप की जांच रिक्टर स्केल से होती है
- 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है
- 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर हल्का कंपन होता है
- 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर किसी भी व्यक्ति को कंपन का अहसास होता है
- 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर खिड़कियां टूट सकती है, दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं
- 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर फर्नीचर हिल सकता है
- 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर इमारतों की नींव दरक सकती है
- 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर इमारतें गिर जाती हैं, जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं
- 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं
- 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर पूरी तबाही होती है
मध्यम और बड़े भूकंप कौन से होते हैं ?
- रिक्टर स्केल पर 5-5.9 के भूकंप मध्यम दर्जे के होते हैं और हर साल 800 झटके लगते हैं
- 6-6.9 तीव्रता के तक के भूकंप बड़े माने जाते हैं और साल में 120 बार आते हैं
- 7-7.9 तीव्रता के भूकंप साल में 18 आते हैं
- 8-8.9 तीव्रता के भूकंप साल में एक आ सकता है
- 9 से बड़े भूकंप 20 साल में एक बार आने की आशंका रहती है
भारत में आए 5 बड़े भूकंप
- 20 सितंबर 2011- सिक्किम में 6.8 तीव्रता का एक भूकंप आया, जिसमें कम से कम 68 लोग मारे गए
- 26 जनवरी 2001- गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता का एक भूकंप आया, जिसमें 10 हजार से अधिक लोग मारे गए
- 2 मई 1997- एमपी के जबलपुर में 8.2 तीव्रता वाले भूकंप, 41 लोग इस घटना में मारे गए थे
- 30 सितम्बर 1993- महाराष्ट्र के लातूर में 6.3 की तीव्रता के भूकंप में 7601 की मौत
- 20 अक्टूबर 1991- तत्कालीन यूपी के उत्तरकाशी में 6.6 की तीव्रता वाले भूकंप में 768 लोगों की मौत
दुनिया में आए 5 बड़े भूकंप
- 11 मार्च 2011- जापान- उत्तर पूर्वी तट पर समुद्र के नीचे 9.0 की तीव्रता के भूकंप आने के बाद आई सुनामी से करीब 18 हजार 900 लोगों की मौत
- 12 जनवरी 2010- हैती - 7.0 तीव्रता वाले भूकंप में 3,16,000 लोगों की मौत हुई थी
- 12 मई 2008- चीन के दक्षिण पश्चिम प्रांत सिचुआन - 8.0 की तीव्रता वाले भूकंप से 87 हजार से ज्यादा लोगों की मौत
- 8 अक्टूबर, 2005- उत्तरी पाकिस्तान- 7.6 तीव्रता का भूकंप, 86 हजार लोग मारे गए
- 26 दिसंबर 2004- इंडोनेशिया के सुमात्रा - 9.1 की तीव्रता से आया था जिसमें 2,27,898 मौतें हुई
भूकंप संभावित इलाके
देश में भूकंप के इतिहास को देखते हुए भूगर्भ विशेषज्ञों ने देश के लगभग 59% भू क्षेत्र को भूकंप संभावित क्षेत्र घोषित किया है. इनमें 11% उच्च जोखिम वाले 5, 18% उच्च क्षेत्र वाले 4, 30% मध्य जोखिम क्षेत्र 3 हैं. गुवाहाटी और श्रीनगर भूकंप जोन 5 में स्थित हैं. वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जोन 4 और मेगा सिटी मुम्बई, कोलकता और चेन्नई जोन 3 में स्थित हैं. इसके अलावा, देश के 38 शहर जिनकी आबादी 5 लाख से 10 लाख के बीच में है, भूकंप के इन तीन क्षेत्रों में स्थित हैं.