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क्या है ED का PMLA कानून, जिसने दिग्गज नेताओं को पहुंचा दिया सलाखों के पीछे, जानिए इसके बारे में सबकुछ

अगर सिर्फ महाराष्ट्र की बात करें तो पता चलता है कि चाहे छगन भुजबल हों, अनिल देशमुख हों या फिर नवाब मलिक ही क्यों न हों, जो भी इस कानून की चपेट में आया वो लंबे समय तक सलाखों के पीछे रहा.

ED's PMLA Law: प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के पीएमएलए कानून (PMLA Law) के हाथ इतने लंबे है कि इसकी चपेट मे कोई आया तो उसे जल्दी अदालत भी नहीं छोड़ सकती. इस कानून के शिकार इस के जन्मदाता समेत अब तक अनेक राजनेता मुख्यमंत्री और नौकरशाह हो चुके हैं. इस कानून के चलते ही इसको बनाने वाले ही इसे हटाने की मांग कर रहे हैं. शिवसेना (Shivsena) का मुखर चेहरा संजय राउत (Sanjay Raut) प्रवर्तन निदेशालय (ED) के इसी एक्ट की चपेट में आ चुके हैं.

संजय राउत अभी कितने दिनों की न्यायिक हिरासत में रहेंगे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकता है. अगर सिर्फ महाराष्ट्र की बात करें तो पता चलता है कि चाहे छगन भुजबल हों, या फिर अनिल देशमुख हों या नवाब मलिक ही क्यों न हों जो भी इस कानून की चपेट में आया तो वो लंबे समय तक सलाखों के पीछे ही रहा.

सीएम छगन भुजबल पर क्या कार्रवाई हुई थी?
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक महाराष्ट्र के पूर्व सीएम छगन भुजबल 14 मार्च 2016 को गिरफ्तार किए गए. उनकी जमानत याचिका कुल 5 बार रद्द की गई और 2 साल से ज्यादा का समय उन्होंने जेल में बिताया. 2018 में उनको जमानत मिली. वहीं महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को 2 नबंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया, वह अभी भी जेल में है. इसी प्रकार महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक भी 23 फरवरी को गिरफ्तार हुए और अभी तक जेल में हैं. इन नेताओं के अलावा और भी ऐसे चेहरे हैं जो एक बार ईडी के लपेटे में आए तो लंबे गए . 

किसने बनाया था ये कानून?
इन नामों में एक और बड़ा नाम वित्त मंत्री पी.चिदंबरम का भी है. चिदंबरम ने ही इस कानून को बनाने में सबसे बड़ी भूमिका अदा की थी. जिन्होंने इस कानून को बनाने में सबसे बड़ी भूमिका अदा की थी. इसी कानून के चलते चिदंबरम को दो महीने से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा था. दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत पिछले दो महीनों से सलाखों के पीछे हैं.

कैसे काम करता है ये कानून?
कानून की बात करें तो ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केवल उन मामलों की ही जांच शुरू करता है जिनमें पहले किसी और एजेंसी ने मामला दर्ज कर लिया हो. यानी ईडी के पास भले ही डायरेक्ट किसी के खिलाफ मामला दर्ज करने की ताकत नहीं हो लेकिन एक बार जांच शुरू होने पर उससे बड़ी कोई पावर नहीं है.

कितना कठोर है ये कानून?
मनी लांड्रिंग कानून की कठोरता के चलते ही बाहर भागने वाले आर्थिक अपराधी वापस स्वदेश नहीं लौटना चाहते हैं. विजय माल्या और नीरव मोदी इसी कानून की डर की वजह से फरार चल रहे हैं. क्योंकि इस कानून के तहत गिरफ्तारी होगी तो अपराध के पैसों से बनाई गई सारी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी. 

इसी कानून की वजह से अनेक राजनीतिक पार्टियां और नौकरशाह परेशान हैं. झारखंड (Jharkhand) के पूर्व सीएम मधु कोड़ा (Madhu Koda) हों, आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) घोटाले में गिरफ्तार दीपक कोचर (Deepak Kochhar) हों या फिर ठग सुकेश चंद्रशेखर (Sukesh Chandrashekhar) सबको लंबा समय जेल में ही बिताना पड़ा. इनमें से कई लोग अभी भी जेल में बंद है.

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