जहांगीरपुरी के बाद अब दक्षिणी दिल्ली नगर निगम अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के लिए तैयार है. इसके लिए दिल्ली पुलिस से एक्स्ट्रा फोर्स मांगी गई है. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम शाहीन बाग, कालिंदी कुंज, जसोला, एमजी रोड, करणी सिंह शूटिंग रेंज इलाकों में बुलडोजर से अतिक्रमण हटाएगा. नगर निकाय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार महीनों में एमसीडी ने लगभग 623 किलोमीटर सड़क से अतिक्रमण हटा लिया है, फुटपाथ मुक्त कर दिए गए हैं. अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम क्षेत्र में 66.4 किमी, नजफगढ़ क्षेत्र में 162.9 किमी, दक्षिण क्षेत्र में 288.8 किमी और मध्य क्षेत्र में 104.5 किमी सड़क मुक्त कर दी गई है. लेकिन अतिक्रमण होता क्या है और इसको हटाने के लिए कानूनी प्रावधान क्या कहते हैं. आइए आपको बताते हैं.
दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट 1957 में कई खास प्रावधान हैं, जिसके तहत सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथ और अन्य जगहों पर अतिक्रमण गैर कानूनी है.
सेक्शन 320: सड़कों में रुकावट पैदा करने वाले ढांचे- (1) कोई शख्स बिना कमिश्नर की इजाजत के किसी सड़क पर दीवार, कांटेदार जाली, रेलिंग, बूथ या अन्य ढांचा नहीं बना सकता, चाहे वो स्थायी हो या अस्थायी हो.
(2) इस धारा की कोई बात किसी ऐसे कंस्ट्रक्शन या वस्तु पर लागू नहीं होगी जिस पर धारा 325 की उप-धारा (1) लागू होती है.
सेक्शन 321: गलियों में सामान जमा करने पर बैन-(1) कोई भी शख्स, कमिश्नर की इजाजत के बिना किसी भी सड़क, गली या किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई स्टॉल, कुर्सी, बेंच, बॉक्स, सीढ़ी, गठरी या कोई ऐसी चीज नहीं लगा सकता, जो जगह पर रुकावट या अतिक्रमण का कारण बने. सब-सेक्शन (1) में कुछ भी निर्माण सामग्री पर लागू नहीं होता.
सेक्शन 322: इस सेक्शन के तहत अतिक्रमण पर कार्रवाई की जाती है. कमिश्नर किसी नोटिस या बिना इसके भी कोई भी ऐसी चीज, जो रुकावट का कारण है, उसे हटा सकता है.
अतिक्रमण हटाने का आदेश
सेक्शन 343: इस सेक्शन के तहत म्युनिसिपल कमिश्नर ढांचे को गिराने के आदेश देता है. हालांकि, यह प्रावधान कहता है कि कमिश्नर को एक आदेश पारित करना होगा, जिसमें इस तरह के कंस्ट्रक्शन या काम को वो शख्स ध्वस्त करेगा, जो संपत्ति का मालिक है और संपत्ति के मालिक को ऐसा ढांचा तोड़ने की सूचना देने के लिए कम से कम 5 और अधिकतम 15 दिन का समय देना होगा.
यह प्रावधान यह भी कहता है कि ढांचा गिराने का कोई आदेश तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि शख्स को नोटिस न दिया गया हो. यह प्रावधान कारण बताओ नोटिस के खिलाफ अपील की भी इजाजत देता है. दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) सेकंड एक्ट, 2011 में कहा गया है कि जब तक झुग्गी निवासियों का पुनर्वास नहीं किया जाएगा, तब तक विध्वंस नहीं किया जा सकता.
भारत के भूमि अतिक्रमण कानून के तहत कितना लगेगा जुर्माना
आईपीसी के सेक्शन 441 जमीन और संपत्ति अतिक्रमण पर लागू होता है. सेक्शन 441 के तहत अतिक्रमण तब लागू होता है, जब कोई गैर-कानूनी तरीके से किसी की संपत्ति पर जबरन कब्जा कर लेता है. आईपीसी के सेक्शन 447 के तहत जुर्माना लगाया जाता है. अगर कोई शख्स दोषी पाया जाता है तो उसे 550 रुपये जुर्माना और 3 महीने की सजा काटनी होगी. जुर्माना अपराध के मुताबिक तय होता है.
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