India-Canada Row: भारत और कनाडा के बीच चल रहे राजनयिक गतिरोध के बीच एक अमेरिकी राजनयिक ने एक बड़ा खुलासा किया है. कनाडा में मौजूद एक टॉप अमेरिकी राजनयिक डेविड कोहेन ने इस बात की पुष्टि की है कि कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाले 'फाइव आइज' सहयोगियों के साथ खुफिया जानकारी साझा की गई थी. इसके आधार पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप ट्रूडो ने भारत पर लगाया था.  


भारत पहले ही इस बात को खारिज कर चुका है कि निज्जर की हत्या में उसका हाथ नहीं है. दूसरी ओर कोहेन की पुष्टि के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स में एक आर्टिकल छापा गया है. इसमें सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि जून में ब्रिटिश कोलंबिया में निज्जर के मारे जाने के बाद अमेरिका ने कनाडा को कुछ खुफिया जानकारी सौंपी थी. अमेरिका भी इस 'फाइव आई' गठबंधन का हिस्सा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर ये 'फाइव आइज' क्या चीज है. 


क्या है 'फाइव आइज' खुफिया गठबंधन? 


'फाइव आइज' एक खुफिया गठबंधन है, जिसकी स्थापना 1941 में की गई थी. इसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. ये देश बहुपक्षीय यूके-यूएसए समझौते में भी शामिल हैं, जो सिग्नल इंटेलिजेंस में सहयोग के लिए एक संधि है. फाइव आइज में शामिल ये पांच देश एक-दूसरे के साथ खुफिया जानकारी साझा करते हैं. इसे दुनिया के सबसे घनिष्ठ बहुपक्षीय समझौतों में से एक माना जाता है. इनकी आपसी दोस्ती भी बहुत ज्यादा मजबूत है. 


कनाडा सरकार की वेबसाइट के मुताबिक, फाइव आइज का हिस्सा ये पांचों देश अलग-अलग समाजों से आते हैं. लेकिन सभी के यहां पर कानून का शासन और लोकतंत्र है. इसके अलावा मानवाधिकार पर इनका रुख बिल्कुल साफ है. साथ ही इन पाचों देशों की भाषा भी एक जैसी ही है. फाइव आइज देशों की इन खूबियों की वजह से पांचों मुल्कों में जानकारी को साझा करना काफी आसान हो जाता है. ये सभी देश अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा भी करते हैं. 


दुनिया में पहली बार सामने आने के बाद से ही ये खुफिया गठबंधन बड़ा भी हुआ है. इसे कभी-कभी 'नाइन आइज' और '14 आइज' गठबंधन भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इसमें ज्यादा से ज्यादा देशों को शामिल किया गया है. 'नाइन आइज' में नीदरलैंड्स, डेनमार्क, फ्रांस और नॉर्वे शामिल हैं. जबकि '14 आइज' में ऊपर बताए गए सभी देशों के अलावा बेल्जियम, इटली, जर्मनी, स्पेन और स्वीडन भी शामिल हैं. 


यह भी पढ़ें: ‘फाइव आइज' पैक्ट में भारत को शामिल करने का आ चुका है प्रस्ताव, जानिए अगर ऐसा हुआ तो भारत को क्या होगा फायदा?