गुपकार घोषणा में शामिल दलों पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से मंगलवार को ट्वीट कर जोरदार हमला बोला गया. इसके बाद एक बार फिर से गुपकार घोषणा सुर्खियों में आ गई है. गुपकार घोषणा में शामिल दलों को गृह मंत्री ने 'गुपकार गैंग' करार दिया और कहा कि राष्ट्र हित के खिलाफ काम करने पर उनका खात्मा हो जाएगा. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या है गुपकार घोषणा और इस बार इतना बवाल क्यों मचा है?


गुपकार घोषणा क्या है?


दरअसल, श्रीनगर में एक गुपकार रोड है और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का यहीं पर आवास है. यहीं पर 4 अगस्त 2019 को 8 दलों ने एक साथ बैठक की थी. उस समय देश में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी कि आखिर केन्द्र सरकार क्या कदम उठाने जा रही है, जो इतनी बड़ी तादाद मे जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. इस असमंजस भरे माहौर में राजनीतिक दलों की फारूक अब्दुल्ला के आवास पर बुलाई गई बैटक में पारित प्रस्ताव को गुपकार घोषणा का नाम दिया गया.


गुपकार घोषणा क्या कहती है?


गुपकार घोषणा में यह कहा गया, 'हम आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए, जम्मू-कश्मीर के संविधान, इसके राज्य के दर्जे की वापसी के लिए साझी लड़ाई को लेकर समर्पित हैं। हमें राज्य के बंटवारा बिल्कुल नामंजूर है। हम सर्वसम्मति से यह दोहराते हैं कि हमारी एकता के बिना हमारा कुछ नहीं हो सकता।' इसमें आगे कहा गया, '5 अगस्त, 2019 को लिए गए फैसले असंवैधानिक थे जिनका मकसद जम्मू-कश्मीर को अधिकारों से वंचित करना और वहां के लोगों की मूल पहचान को चुनौती देना है।'


उन राजनीतिक दलों ने संयुक्त बयान में कहा, 'हम लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारी सभी राजनीतिक गतिविधियां 4 अगस्त, 2019 तक जम्मू-कश्मीर के प्राप्त दर्जे की वापसी की राह में होंगी।'  22 अगस्त, 2020 को फिर से 6 राजनीतिक दल- नैशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, सीपीआई(एम) और अवामी नैशनल कॉन्फ्रेंस ने फिर से गुपकार घोषणा दो पर दस्तखत किया। इन सभी ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए की वापसी की लड़ाई साथ लड़ने का संकल्प लिया।


कौन-कौन से दल थे शामिल?


गुपकार बैठक में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपल्स कॉन्फेंस, कांग्रेस, सीपीआई (एम) पीपल्स यूनाइटेड फ्रंट, पैंथर्स पार्टी और अवामी नैशनल कॉन्फ्रेंस ने हिस्सा लिया था। बैठक की अध्यक्षता फारूक अब्दुल्ला ने की थी जबकि महबूबा मुफ्ती, मजुफ्फर हुसैन बेग, अब्दुल रहमान वीरी, सज्जाद गनी लोन, इमरान रजा अंसारी, अब्दुल गनी वकील, ताज मोहिउद्दीन, एमवाई तारिगामी, उमर अब्दुल्ला, जस्टिस हसनैन मसूदी, मुहम्मद अकबर लोन, नारिस सुगामी, शाह फैसल, अली मोहम्मद सागर, मुजफ्फर शाह , उजैर रोंगा और सुहैल बुखारी ने हिस्सा लिया था। अगले ही दिन 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए को हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्रशासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव संसद में पेश कर दिया।