बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए मां का दूध सबसे ज्यादा जरूरी है. जन्म के बाद आने वाले 6 महीने तक केवल मां का दूध न सिर्फ बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है बल्कि उसका मौलिक अधिकार भी है. यह बच्चे को केवल पोषण ही नहीं, बल्कि स्वस्थ्य जीवन की बुनियाद को मजबूत करने में एक अहम भूमिका निभाता है. लेकिन भारत में करोड़ों ऐसे बच्चे हैं जिन्हें मां का दूध नहीं मिल पाता.


इसके पीछे कई कारण हैं, उदाहरण के तौर पर नवजात बच्चे को जन्म देने के बाद मां कोई दवाएं ले रही हो तो डॉक्टर उन्हें शिशु को अपना दूध नहीं पिलाने की सलाह देते हैं. इसके अलावा कई बार मां या शिशु की चिकित्सा स्थिति या अन्य जोखिमों की वजह से से स्तनपान न कराने की स्थिति बन जाती है. यही वजह है कि हमारे देश में हर दूसरा बच्चा कुपोषित है. 


संयुक्त राष्ट्र बाल सुरक्षा कोष की एक रिपोर्ट की मानें तो भारत में नवजात शिशु की मृत्यु होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को 14 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है. लेकिन अगर 0 महीने से लेकर 23 महीने तक लगातार बच्चे को मां का दूध पिलाया जाए तो इससे हर साल वैश्विक स्तर पर 80,0000 बच्चों को जीवनदान दिया जा सकता है. आंकड़ों की माने तो 99499 नवजात बच्चे दस्त और निमोनिया का शिकार होते हैं. इस बीमारी के होने के मुख्य कारणों में एक अपर्याप्त स्तनपान भी है. 


भारत, चीन, ब्राजील, मेक्सिको और इंडोनेशिया में हर साल अपर्याप्त स्तनपान के कारण 23, 6000 बच्चों की मौत हो जाती है. इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि केवल दूध न मिलने पर कितने बच्चों की मौत हो सकती हैं. 




जन्म के आधे घंटे के भीतर मां का दूध जरूरी


डॉक्टरों की मानें तो नवजात बच्चे के जन्म के आधे घंटे के भीतर उन्हें मां का गाढ़ा दूध पिलाना बहुत जरूरी है. इन्हीं चुनौतियों से निपटने और नवजात बच्चों को मां का दूध उपलब्ध कराने के लिए दुनियाभर में मदर मिल्क बैंक खोले गए हैं. इस बैंक में उन नवजात शिशुओं को मां का दूध उपलब्ध कराया जाता है जिनकी अपनी मां किसी कारणवश स्तनपान करा पाने में असमर्थ हैं.


ह्यूमन मिल्क में प्रोटीन (व्हे प्रोटीन और केसीन प्रोटीन), फैट, विटामिन (विटामिन A, C, D, E, K और राइबोफ्लेविन, पैन्थोनीक), कार्बोहाइड्रेट, हार्मोन (प्रोलैक्टिन, रिलैक्सिन, एंडोर्फिन, कार्टिसोल, लेप्टिन, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन), मिनरल्स (आयरन, जिंक, कैल्शियम, सोडियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, क्लोराइड) और एंजाइम पाया जाता है.


ह्यूमन मिल्क बैंक क्या होता है?


यह एक गैर लाभकारी संस्था (Non Profit Organization) है, जो नवजात बच्चों के लिए मां का दूध उपलब्ध कराती है. इस बैंक में मां के दूध को 6 महीने तक स्टोर करके रखा जाता है. इसे स्टोर करने के लिए पाश्चराइजेशन यूनिट, रेफ्रिजरेटर, डीप फ्रीज और आरो प्लांट जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन आमतौर पर दूध की मांग इतनी ज्यादा है कि इन बैंक में मां का दूध 10 से 15 दिन ही रह पाता है. 


इस बैंक की शुरुआत करने के पीछे सबसे पहला उद्देश्य है नवजात मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर की संख्या में कमी लाना. इस बैंक में कोई भी महिला स्वेच्छा से दूध दान कर सकती हैं. इसके अलावा वह माएं भी यहां दान करतीं हैं जो अपने बच्चों को दूध नहीं पिला सकतीं. दरअसल जो मां अपने बच्चे को किसी कारण दूध नहीं पिला पाती और उनका दूध नहीं निकाला जाए तो मां के रोगी होने की आशंका बढ़ जाती है. उनके लिए दूध का दान करना अच्छा विकल्प है.




क्या है दूध को रखने की प्रक्रिया 


सबसे पहले दूध निकालने के बाद उसे -20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जाता है. माइनस 20 डिग्री पर रखे जाने के बाद इसकी जांच की जाती है. सैंपल लैब में दूध की एचआईवी/एचबीएसएजी/डब्लूबीआरएल जांच की जाती है. एक बार सभी रिर्पोट्स सही आ जाए तो इस इस रॉ-दूध को बच्चों को पिलाने लायक माना जाता है और बैंक से अस्पतालों में भेजा जाता है. 


भारत में कहां कहां है मिल्क बैंक 


भारत में सबसे पहले  ह्यूमन मिल्क बैंक साल की स्थापना साल 2016 में हुई थी. इस बैंक की शुरुआत ब्रेस्ट मिल्क फाउंडेशन ने की थी जिसका नाम अमारा मिल्क बैंक है. इस बैंक की स्थापना के बाद से अब तक इसने 5000 से 6000 बच्चों की जान बचाई है. यह बैंक  2016 से दिल्ली एनसीआर में दूध की सप्लाई कर रहा है.


इसके बाद साल 2017 में लेडी हार्डिंग कॉलेज में वात्सल्य मातृ अमृत कोष नाम के ह्यूमन मिल्क बैंक की शुरुआत की गई. इसके बाद पहली बार एक निजी अस्पताल में इस बैंक की शुरुआत की गई जिसे नाम दिया गया बाद यशोदा ह्यूमन मिल्क बैंक. वहीं मध्य भारत का पहला ह्यूमन मिल्क बैंक अमरावती के पंजाब राव देशमुख मेडिकल कॉलेज में स्थापित किया गया. हालांकि, इसकी क्षमता अभी तीन यूनिट तक ही है. इसके अलावा पिछले साल 2021 में केरल का पहला ह्यूमन मिल्क बैंक (HNB) खोला गया.