Women Reservation Bill In Lok Sabha: केंद्र सरकार ने मंगलवार (19 सितंबर) को विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल पेश करते हुए इसे 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल' बताया. 


बिल में क्या कुछ है? कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया 


बिल पेश करते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, ''संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधेयक है. आर्टिकल 239AA हम इसमें इंसर्ट कर रहे हैं, जिसके माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली में 33 परसेंट महिलाओं को रिजर्वेशन मिलेगा. उसके बाद हम आर्टिकल 330A में अमेंडमेंट कर रहे हैं, जिसके माध्यम से लोकसभा में एससी/एसटी के लिए सीटों का जो आरक्षण पहले से है, उसमें हम 33 परसेंट महिलाओं के आरक्षण की बात कर रहे हैं.''


कानून मंत्री ने कहा, ''एक आर्टिकल 332 है, जिसमें स्टेट लेजिस्लेटिव एसेंबली में 33 परसेंट महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था कर रहे हैं, ये बहुत महत्वपूर्ण बिल है.''






कानून मंत्री ने बताया कितनी अवधि होगी महिला रिजर्वेशन की


कानून मंत्री ने कहा, ''फिर आर्टिकल 334A में हम एक नया क्लॉज जोड़ रहे हैं, जिसके माध्यम से इस महिला रिजर्वेशन की जो अवधि होगी वो 15 साल के लिए होगी, अवधि अगर बढ़ानी होगी तो संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा.''


सदन में क्यों हुआ हंगामा?


बिल पेश करते हुए जैसे ही कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में बोलना शुरू किया, विपक्ष की ओर से हंगामा किया गया. विपक्ष की ओर से कहा गया कि बिना सर्कुलेट किए यह बिल पेश कैसे कर दिया गया.


विपक्ष सवाल उठाया कि बिल को जब सदन में पेश किया जाता है तो उसकी कॉपी सांसदों को देना जरूरी होता है. इस पर पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और फिर सत्ता पक्ष के मंत्रियों ने कहा कि बिल वेबसाइट पर अपलोड हो चुका है. स्पीकर ने यह भी बताया कि नई तकनीकी से काम हो रहा है.  


बता दें कि सोमवार (18 सितंबर) को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बिल को लोकसभा में पेश किए जाने को लेकर मंजूरी दी थी. 


यह भी पढ़ें- Women Reservation Bill: नई संसद की लोकसभा में पेश हुआ 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल', कानून बना तो 33 फीसदी सीटें होंगी आरक्षित