भारत की नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी : कैसे होगा फायदा, क्या कहते हैं एक्सपर्ट
National Logistics Policy में सिंगल रेफरेंस पॉइंट बनाया गया है जिसका मकसद अगले 10 सालों में लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत को 10 प्रतिशत तक लाया जाना है, जो अभी जीडीपी का 13-14 प्रतिशत है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन यानी 17 सितंबर को नई नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी (National Logistics Policy) लॉन्च की. जन्मदिन के खास मौके पर उन्होंने देश को एक बड़ी सौगात दी है. सरकार का यह कदम विकसित भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है. इस पॉलिसी की शुरुआत करते हुए पीएम ने जनता को इसकी तमान खूबियों से रूबरू करवाया और संबोधन में कहा कि विकास की ओर बढ़ते भारत को यह नीति एक नई दिशा देगी. इस बीच इस नई नीति को लेकर लोगों के मन में ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे की आखिर यह पॉलिसी काम कैसे करती है और इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा.
हमें क्यों है इस नीति की जरूरत
NLP के शुभारंभ के दौरान, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ सालों में सरकार सागरमाला, भारतमाला जैसी योजनाओं के साथ 'प्रणालीगत बुनियादी ढांचे के विकास' (Systemic Infrastructure Development) के माध्यम से कनेक्टिविटी में सुधार की दिशा में काम कर रही है. फिलहाल देशवासियों की जरूरत के सामान को विदेश से लाकर स्टोर करना और उसे जहां इसकी जरूरत है वहां पहुंचाने की इस लॉजिस्टिक्स प्रक्रिया में सड़क, जल परिवहन और हवाई यातायात का इस्तेमाल होता है और इसमें सबसे ज्यादा खर्च फ्यूल पर होता है.
इन सब के अलावा भी अगर माल सड़क के रास्ते ले जाया जा रहा है तो टोल टैक्स, रोड टैक्स सहित बहुत सारे ऐसे खर्चे होते हैं, जो अन्य देशों से बहुत ज्यादा कॉस्टली है. नई नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी इसी खर्च को कम करने और माल के डिस्ट्रीब्यूशन-ट्रांसपोर्टेशन संबंधी सभी चुनौतियों के समाधान के उद्देश्य से लॉन्च की गई है. नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी के जरिए सामान सप्लाई में जो दिक्कतें आ रही थी वो खत्म हो जाएगी और माल ढुलाई के वक्त होने वाले पर ईंधन की खपत को कम करने की दिशा में भी फायदा होगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में इस पॉलिसी के बारे में बात करते हुए कहा कि इस पॉलिसी की मदद से भारत की इकोनॉमी में तेजी से ग्रोथ होगा. उन्होंने इसकी उपयोगिता और खूबियों को भी गिनाया. पीएम ने कहा कि यह पॉलिसी निचले स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक आत्मनिर्भर भारत को नई उड़ान देने वाली होगी. कुल मिलाकर कहें तो नई नेशनल लॉजिस्टिक नीति कोविड से प्रभावित देश के इकोनॉमी को गति देने के लिए शुरू की गई है.
क्या है National Logistics Policy?
National Logistics Policy में सिंगल रेफरेंस पॉइंट बनाया गया है जिसका मकसद अगले 10 सालों में लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत को 10 प्रतिशत तक लाया जाना है, जो अभी जीडीपी का 13-14 प्रतिशत है. फिलहाल माल ढुलाई यानी लॉजिस्टिक्स का ज्यादातर का काम भारत में सड़कों के ज़रिए होता है. इस पॉलिसी के तहत अब माल ढुलाई का काम रेल ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ शिपिंग और एयर ट्रांसपोर्ट से होगा. इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सड़कों पर ट्रैफिक कम होगा और दूसरे ईंधन की बचत होगी. पैसे और समय दोनों कम लगेंगे.
क्या होता है लॉजिस्टिक
दरअसल भारत में दूर-दराज के गांव या शहरो में हर जगह ज़रूरी चीजें उपलब्ध नहीं होती हैं. खाने-पीने से लेकर डीज़ल-पेट्रोल, बड़े से लेकर छोटे सामान तक के लिए व्यापारियों को अपना माल, फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल, ज़रूरी ईंधन और तमाम तरह की चीजें एक जगह से दूसरी जगह ले जानी पड़ती हैं, कभी ये दूरी कम होती है तो कभी ये दूरी काफी लंबी होती है. इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क काम करता है जो चीजों को तय समय पर तय जगह पर पहुंचाता है. इसे ही माल ढुलाई कहते हैं.
कई बार इन जरूरत के सामानों को विदेश से लाना, कहीं भी भेजने से पहले उसे अपने पास स्टोर करना और फिर जहां जिस चीज की जरूरत है उसे वहां तक पहुंचाना शामिल है. इस पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा खर्च ईंधन का होता है. इसके अलावा, सड़कों से माल ले जाने में दूरी और तय जगह तक पहुंचने में देरी, टोल टैक्स और रोड टैक्स आदि, जो विकसित देशों में लॉजिस्टिक की सरल पद्धति के कारण आसान है और कम खर्चीला है.
नीति के तहत लक्ष्य क्या हैं?
इस नीति का लक्ष्य अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में लॉजिस्टिक कॉस्ट ज्यादा है. GDP के अनुपात के रूप में भारत की लॉजिस्टिक कॉस्ट लगभग 13-14 प्रतिशत मानी जाती है. सरकार का लक्ष्य इसे जल्द से जल्द सिंगल डिजिट में लाना है. इसके अलावा सरकार की कोशिश है कि ग्लोबल लॉजिस्टिक परफॉर्मेंस इंडेक्ट रैंकिंग (Global Logistics Performance Index Ranking) में साल 2030 तक भारत शीर्ष 25 देशों में शामिल हो जाए. फिलहाल लिस्ट के पिछले संस्करण में भारत 44वें स्थान पर था.
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने क्या कहा
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बीते शनिवार इस पॉलिसी के बारे में बात करते हुए कहा कि यह भारत में री-इंजीनियरिंग, डिजिटलीकरण और मल्टीमाडल परिवहन पर आधारित है. इस पॉलिसी से सभी उद्योगों और हितधारकों के लिए आसानी से कारोबार करने में मदद मिलेगी. गडकरी ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी देश के लाजिस्टिक क्षेत्र को पूरी तरह से बदल देगी. माल की निर्बाध आवाजाही को बढ़ावा मिलेगा और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी.'
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पिछले तीन साल से इस पॉलिसी पर काम कर रही है. वाणिज्य मंत्रालय ने 2019 में परामर्श के लिए एक ड्राफ्ट लॉजिस्टिक प़लिसी जारी की, लेकिन कोविड -19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई. इसके बाद 2022-23 के बजट में एक बार फिर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी की घोषणा की.
वहीं इस पॉलिसी पर बात करते हुए स्टेलर वैल्यू चेन सॉल्यूशंस के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अंशुमान सिंह ने कहा कि पीएम द्वारा जारी की गई ये नीति लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन इंडस्ट्री की सभी प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार की सकारात्मक मंशा को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि NLP क्षेत्र में लागत और परिचालन दक्षता (Cost and Operating Efficiency) के निर्माण के लिए एक अधिक परस्पर और तकनीक-संचालित ढांचा (Technology-Driven Framework) विकसित करने के लिए रोडमैप निर्धारित करती है.
इस पॉलिसी से न केवल सभी लॉजिस्टिक खिलाड़ियों के एक साथ आने और विश्व स्तर पर लॉजिस्टिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि उन इंवेस्टर्स का विश्वास भी बढ़ेगा जो लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में इंवेस्टमेंट करना चाहते हैं.
पॉलिसी के बारे में बात करते हुए डीपी वर्ल्ड सबकॉन्टिनेंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक रिजवान सोमर ने कहा, सरकार द्वारा बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्विस में सुधारों के लिए नीति में अपनाया गया बहु-आयामी दृष्टिकोण (Multi-pronged Investing Approach) इंवेस्टर को आकर्षित करेगा.
इंडस्ट्री के पॉलिसी के बारे में क्या कहा
CII के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने एक बयान में कहा कि पीएम द्वारा लॉन्च की गई ये नीति, भारतीय उद्योग के अनुसार व्यापार करने में आसानी और परिवहन लागत को कम करने में मदद करेगी. उन्होंने कहा कि कम सिपिंग कॉस्ट (Low Shipping Cost) और बढ़ी हुई लॉजिस्टिक कैपेसिटी कई तरह से अर्थव्यवस्था को सक्रिय करेगी और हमें वैश्विक विनिर्माण पावरहाउस के रूप में उभरने के कई कदम आगे ले जाएगी. "
ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टिक्स, CRISIL के निदेशक और प्रैक्टिस लीडर जगनारायण पद्मनाभन ने कहा कि यह लॉजिस्टिक्स वैल्यू चेन के सभी पहलुओं की क्षमता बढ़ाने का एक समग्र प्रयास है. पिछले पांच वित्त वर्षों में सरकार ने सड़क, रेल, बंदरगाह और हवाईअड्डों जैसे कठिन बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में करीब 15 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है. अगर इस पॉलिसी को अच्छे से लाया गया तो सप्लाई से लेकर माल ढुलाई की लागत में भी कमी आएगी.