लुटियंस दिल्ली: भारत में सत्ता का प्रतीक बन चुका एक इलाका, जहां रहते हैं 'खास लोग'
लुटियंस दिल्ली अंग्रेजों ने बसाई लेकिन उनके चले जाने के बाद भी इसकी अहमियत कम नहीं हुई है. भारत का हर नेता और नौकरशाह यहां रहने का ख्वाब देखता है.
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नई दिल्ली: लुटियंस दिल्ली या लुटियंस जोन यह नाम अक्सर आपने न्यूज, फिल्मों, राजनीतिक चर्चा में सुना होगा. भारत की राजनीति में लुटियंस जोन शब्द एक खास जगह रखता है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को 35 लोधी एस्टेट स्थित सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया है. इसके बाद लुटियंस दिल्ली फिर चर्चा में आ गई है. आखिर क्या है लुटियंस दिल्ली जो भारत की राजनीति में पावर का प्रतीक बनी हुई है और जहां पर घर होना हर नेता और नौकरशाह का सपना होता है.
लुटियंस दिल्ली का इतिहास सन 1911 में किंग जॉर्ज V और ब्रिटेन की महारानी मेरी भारत दौरे पर आए थे. तब भारत ब्रिटेन का एक उपनिवेश हुआ करता था. 15 दिसंबर 1911 को मौजूदा किंग्सवे कैंप के पास इन दोनों ने 'दिल्ली दरबार' की नींव रखी.
इसके बाद वर्ष 1912 में भारत की नई राजधानी बनाने का काम शुरू हुआ और ये 10 फरवरी वर्ष 1931 में पूरा हो गया जब इसका औपचारिक उद्घाटन किया गया.
भारत को आजादी मिलने के बाद भी लुटियंस दिल्ली की अहमियत कम नहीं हुई. इसे एक सत्ता का प्रतीक मान लिया गया और यहां रहना सत्ताधारी वर्ग में शामिल होने का प्रतीक बन गया.
यह मंत्रालय करता है आवास का आवंटन केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अधीन संपदा निदेशालय लुटियंस दिल्ली के आवासों का आवंटन करता है. लोकसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति और उपसभापति के अलावा सांसदों को ये आवास आवंटित किए जाते हैं. इसके अलावा हर मंत्रालय के लिए आवास आवंटित किए गए हैं.
वहीं सेना, न्यायपालिका और कार्यपालिका के लिए भी आवास निर्धारित किए गए है और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के लिए आवास निर्धारित किए गए हैं.
लुटियंस दिल्ली को पूल में बांटा गया है. संसद के दोनों सदनों के अलावा हर मंत्रालय के लिए आवास आवंटन के अलग-अलग 'पूल' बनाए गए हैं, जिसके तहत इन आवासों का आवंटन होता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि 600 से कुछ लोग इन आवासों में अनाधिकृत रूप से रह रहे हैं. इसका खुलासा इस साल फरवरी में हुआ जब आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने ऐसे आवासों की लिस्ट बनाई, जिन पर अनाधिकृत रूप से लोग रह रहे हैं.
दिल्ली शहरी कला आयोग का गठन भारत की संसद ने एक अध्यादेश के जरिये वर्ष 2015 में 'दिल्ली शहरी कला आयोग' का गठन किया था. इस आयोग का अध्यक्ष प्रोफेसर पीएसएन राव को बनाया गया था.
आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी जिसमें लुटियंस की दिल्ली में कई इलाकों को शामिल करने और कुछ इलाकों को इससे बहार निकालने की बात कही थी. इसके अलावा भी आयोग ने कुछ अन्य सिफारिशें की थीं.
निजी व्यक्ति को नहीं मिलता लुटियन दिल्ली में आवास लेकिन... साल 2000 के दिसंबर में आवास पर कैबिनेट की कमेटी ने लुटियंस दिल्ली में किसे घर आवंटित करने हैं, इसको लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे.
इनमें यह कहा गया था कि निजी व्यक्ति को आवास का आवंटन नहीं होगा लेकिन इस नियम का एक अपवाद उन लोगों के लिए रखा गया जिन्हें एसपीजी सुरक्षा मिली हुई है.
हालांकि यह तय किया गया कि इस कैटेगरी में जो लोग आवंटित घरों में रहेंगे उन्हें सरकारी घर का किराया बाजार की दर से पचास गुना ज्यादा देना होगा.
वर्ष 2019 में सरकार ने संसद में एक विधेयक भी पारित कराया. सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदख़ली) संशोधन विधेयक, 2019 विधेयक ने वर्ष 1971 में लाए गए विधेयक में कई संशोधन किए.
बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी को आवास खाली करने के लिए कहा गया है उसका आधार यही विधेयक है. कुछ समय पहले प्रियंका गांधी से एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गई थी और उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी गई थी. जेड प्लस में आवास आवंटन का प्रावधान नहीं है.
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