नई दिल्लीः पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी में विधानसभा चुनावों का ऐलान होते ही चुनावी आचार संहिता लागू हो जाएगा. आचार संहिता का मतलब साफ है कि अब सभी राजनैतिक दलों को कई नियमों का पालन करना होगा. आचार संहिता के दौरान सभी पार्टियों को चुनाव आयोग के हर फैसले को सख्ती के साथ पालन करना होगा. चुनाव आयोग के आदेशों का का पालन न होने पर आयोग को यह अधिकार होगा कि वह संबंधित नेताओं पर कार्रवाई करे. अब ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर यह आचार संहिता क्या है? इसके लागू होने से राजनैतिक पार्टियों को क्या-क्या निर्देश प्रभावी हो जाते हैं.
क्या होती है आचार संहिता
आचार संहिता एक नियमावली होती है जिसे चुनाव के दौरान सभी पार्टी के नेताओं को मानना होता है. दरअसल जैसे ही चुनावी तारीखों का ऐलान होता है तुरंत राजनेताओं के लिए गाइडलाइन जारी कर दिए जाते हैं. कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है. आयोग की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन चुनावी उम्मीदवारों को ना सिर्फ अपने भाषणों के दौरान करना होता है बल्कि सभी प्रकार के चुनावी प्रचार और यहां तक कि उनके घोषणापत्रों में भी करना होता है.
1- कोई भी उम्मीदवार आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी तरह से वोटर्स को प्रलोभन देने की कोशिश नहीं कर सकता है. कोई भी उम्मीदवार अपने वोटर्स को शराब या किसी भी प्रकार का रिश्वत देने की बात नहीं कर सकता. वह किसी वोटर को डरा-धमका भी नहीं सकता. अगर ऐसा करते पकड़ा जाता है तो चुनाव आयोग इस पर कार्रवाई कर सकता है.
2- कोई भी उम्मीदवार ऐसी बात नहीं कर सकता जिससे धार्मिक या जातिय भावना आहत हो या उसे उकसाने की कोशिश माना जाए. इस दौरान किसी के खिलाफ गलत भाषा का इस्तेमाल भी नहीं कर सकते हैं. कोई भी कोई भी राजनीतिक दल या नेता अपनी जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट की अपील नहीं कर सकते हैं.
3- चुनाव के दौरान किसी तरह से सरकारी गाड़ी या सरकारी विमान का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है. आचार संहिता लगने के बाद किसी भी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन के कार्यक्रम पर रोक लगा दिए जाते हैं.
4- पार्टियों को अगर कोई बैठक या सभा करनी होगी तो उसके लिए भी उस इलाके के स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी देनी होगी और इसके लिए संबंधित अधिकारी की अनुमति भी जरूरी है.
5- वे मतदाता जिनके पास चुनाव आयोग के द्वारा मान्य पास होगा केवल वे ही पोलिंग बूथ के अंदर जा सकते हैं.
6- चुनाव आयोग हर पोलिंग बूथ के बाहर एक निरीक्षक तैनात करता है कि जिससे अगर आचार संहिता का कोई उल्लंघन कर रहा है तो उसकी शिकायत उनके पास की जा सके.