असम के मोइदम्स को यूनेस्को की विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल किया गया है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए शुक्रिया अदा किया. उन्होंने शुक्रवार (26 जुलाई, 2024) को कहा कि पीएम मोदी ने इसके लिए पहल की और इसके लिए उनका आभार.


हिमंत बिस्वा सरमा ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत का भी शुक्रिया अदा किया. गजेंद्र शेखावत ने हिमंत बिस्व सरमा को फोन कर उस समय यह सूचना दी, जब वह गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. हिमंत बिस्व सरमा ने संवाददाताओं से कहा, 'यह असम के लिए बहुत अच्छी खबर है, क्योंकि चराइदेव मोइदम्स अब आधिकारिक तौर पर यूनेस्को विरासत स्थल है... असम इस सम्मान के लिए हमेशा केंद्र का कर्जदार रहेगा. यह कदम केवल असम के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए सम्मान का विषय है.'


क्या है मोइदम्स का इतिहास?
मोइदम्स का इतिहास 600 साल पुराना है और यह असम से जुड़ा है. अहोम राजवंश के सदस्यों को उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ टीले नुमा ढांचे में दफनाने की  यह पिरामिड की तरह टीलेनुमा एक संरचना है.  मोइदम्स पिरामिड सरीखी अनूठी टीले नुमा संरचनाएं हैं, जिनका इस्तेमाल ताई-अहोम वंश अपने राजवंश के सदस्यों को उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ दफनाने के लिए किया जाता था. ताई-अहोम राजवंश ने असम पर लगभग 600 साल तक शासन किया था.


मोइदम्स यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में जगह बनाने वाली पूर्वोत्तर भारत की पहली सांस्कृतिक संपत्ति है. असम सरकार ने 2023 में प्रधानमंत्री को इस बाबत एक डोजियर सौंपा था, जिन्होंने यूनेस्को की वर्ष 2023-24 की विश्व विरासत सूची में शामिल करने के लिए भारत की ओर से नामांकन के लिए भेजे जानी वाली धरोहरों की सूची में से मोइदम्स को चुना था.


हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, 'मोइदम्स की अनुशंसा करने की प्रधानमंत्री की पहल अहम थी, क्योंकि एक साल के लिए एक देश से केवल एक ही प्रविष्टि भेजी जा सकती है.' नई दिल्ली में आयोजित विश्व धरोहर समिति (WHC) के 46वें सत्र की पूर्ण बैठक में मोइदम्स को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने की घोषणा की गई.