नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए पटाखे बेचने पर पांबदी लगा दी. कोर्ट के इस फैसले के बाद लोगों ने अलग-अलग राय दी. कुछ ने फैसले को सराहा तो कुछ लोगों ने इसकी आलोचना भी की. अब दिवाली खत्म होने के बाद सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि प्रदूषण, भुखमरी, युद्ध और आतंकवाद से भी ज्यादा बड़ा और खुंखार हत्यारा है.


क्या है सोशल मीडिया का दावा


सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे के मुताबिक भुखमरी से ज्यादा प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की वजह से लोगों की जान चली जाती है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिवाली से ठीक पहले पटाखे बेचने पर रोक लगाना इस दावे के पीछे की वजह है.


क्या है इस दावे की सच्चाई


आतंकवाद की वजह से पूरी दुनिया में साल 2015 में 28328 लोगों की मौत हो गई. अकेले भारत में सिर्फ आतंकवाद की वजह से 2015 में 722 लोगों की जान चली गई. साल 2015 में युद्ध की वजह दुनिया में एक लाख 67 हजार मौत हुईं.


लेंसेट दुनिया का सबसे विश्ववसनीय मेडिकल जर्नल है. जो पिछले कई सालों से प्रदूषण से पर्यावरण को नुकसान के बारे में अध्ययन कर रही है. लेंसेट की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में प्रदूषण की वजह से दुनिया भर में 90 लाख लोगों की मौत हुई जबकि 2015 में प्रदूषण की वजह से भारत में 25 लाख लोगों की मौत हुई. एक साल में 25 लाख मौतों का ये आंकड़ा किसी भी युद्ध, आतंकवाद और भुखमरी से होने वाली मौतों से बहुत ज्यादा है.


ये जानकर आपको हैरानी होगी कि दुनिया में प्रदूषण से होने वाली मौत के मामले में भारत पहले नंबर पर है. प्रदूषण की वजह से दुनिया को हर साल 293 लाख करोड़ का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. जो विश्व की अर्थव्यवस्था का 6.2 फीसदी होता है. हमारी पड़ताल में प्रदूषण के भूख, आतंक और युद्ध से बड़े हत्यारे होने का दावा सच साबित हुआ है.


दिल्ली में इस बार क्या रहा  प्रदूषण का आंकड़ा


हवा कितनी जहरीली है इसको नापने के लिए जो एयर क्वालिटी इंडेक्स होता है उसको 300 के पार नहीं जाना चाहिए. 300 के पार जाते ही लोगों को घर से बाहर निकलने से मना किया जाता है लेकिन दिल्ली में दिवाली के बाद 19-20 अक्टूबर को एयर क्वालिटी इंडेक्स का कांटा 403 पर पहुंचा. मतलब दिल्ली की हवा बेहद बीमार करने वाली है. पिछले साल दिल्ली में दिवाली के बाद ये कांटा 445 पर पहुंचा था. यानि पिछले साल के मुकाबले इस साल हवा की गुणवत्ता में कोई खास सुधार नहीं हुआ है.


प्रदूषण कितना खतरनाक?


लंग केयर फाउंडेशन के चेयरमैन अरविंद कुमार कहते हैं, ‘’हम सबको याद रखना है कि सांस लेना एक ऐसी प्रक्रिया है जो 24 घंटे बिना रुके करते हैं. अगर हम किसी ऐसी जगह से गुजर रहे हैं जहां गंदा पानी और हमें प्यास लगी है तो हम कहेंगे कि हम 6 घंटे बाद पानी पी लेंगे. भूख लगी है अच्छा खाना नहीं है तो आप कहेंगे कि 24 घंटे भूखे रह लेंगे लेकिन अच्छा खाना खाएंगे...लेकिन सांस तो लेनी ही है जो आपको 25 हजार बार प्रतिदिन लेनी है.’’


एबीपी न्यूज से बातचीत में अरविंद आगे कहते हैं, ‘’25 हजार बार 350 से 400 एमएल हवा अंदर लेकर जा रहे हैं. जिसमें आर्सेनिक, सल्फर, लेड मरकरी , सारे टॉक्सिक पदार्थ लेकर जा रहे हैं. फेफड़े के अंदर जमा होने वाली गंदगी की सफाई नहीं हो सकती. जो लंग्स पर जमा हो गया वो जमा हो गया वो साफ नहीं हो सकता वो आपको नुकसान पहुंचाएगा.’’


जहरीली हवा का असर


अरविंद कुमार बताते हैं, ‘’कोई महिला जो गर्भवती है जब वो सांस लेती है जो वो टॉक्सिक अंदर जाते हैं. खून के जरिए वो गर्भ में शिशु तक पहुंचते हैं. ये टॉक्सिग शिशु के अंगों के बनने की प्रक्रिया तक को प्रभावित करते हैं. प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाली महिलाओं को बच्चे के स्वास्थ्य को गंभीर खतरों की आशंका होती है. इसकी वजह से हार्टअटैक और हाइपरटेंशन का खतरा होता है. ‘’ उन्होंने बताया कि फेफड़े के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं.