क्या है नेशनल हेराल्ड केस, जिसमें ईडी ने जब्त की 751 करोड़ की संपत्ति
ईडी ने कार्रवाई में एजेएल की 691.9 करोड़ और यंग इंडियन कंपनी की 90 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. ईडी ने संपत्ति कुर्क करने का आदेश धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जारी किया था.
पांच राज्यों- छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में जारी विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को (21 नवंबर) को यंग इंडियन (YIL) और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की साढ़े सात सौ करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. सूत्रों ने बताया कि कुर्क की गई अचल संपत्तियों में नेशनल हेराल्ड का दिल्ली में आईटीओ स्थित कार्यालय परिसर, लखनऊ के कैसरबाग के पास मॉल एवेन्यू स्थित नेहरू भवन और मुंबई में हेराल्ड हाउस शामिल हैं.
ईडी ने एक बयान में आरोप लगाया कि इस मामले में अंशधारक और कांग्रेस को चंदा देने वालों से एजेएल और पार्टी ने ठगी की. ईडी ने एजेएल और यंग इंडियन कंपनी के खिलाफ संपत्ति कुर्क करने का आदेश धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जारी किया था. एजेएल की 691.9 करोड़ और यंग इंडियन की 90 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई. नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड है और इसका स्वामित्व यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के पास है.
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने साल 1938 में 5 हजार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया था, लेकिन साल 2008 में इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया. नेशनल हेराल्ड का संचालन एसोसिएट जर्नल (AJL) करता था. एजेएल ने ही हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज़ और अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया था. एजेएल पर जवाहर लाल नेहरू का मालिकाना हक नहीं था क्योंकि इसे शुरू करने में 5 हजार स्वतंत्रता सेनानी भी शामिल थे. अखबार पर 90 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो चुकाया नहीं गया. साल 2010 में एक नई कंपनी यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड बनाई गई. यंग इंडियन को कांग्रेस ने 90 करोड़ का लोन ट्रांसफर कर दिया और एसोसिएट जर्नल ने भी अपना सारा शेयर नई कंपनी को दे दिया. बदले में यंग इंडियन ने एजेएल को 50 लाख रुपये दिए.
साल 2012 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कर धन के आपराधिक दुरुपयोग का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पार्टी के पैसों से एजेएल का लोन खरीदने के लिए साल 2010 में यंग इंडियन (YIL) कंपनी की स्थापना की गई. इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76 फीसदी की हिस्सेदारी है और 12-12 फीसदी शेयर मोतीलाल बोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास थे. स्वामी ने अपनी शिकायत में 2000 करोड़ रुपये की कंपनी को सिर्फ 50 लाख रुपये में खरीदने को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि महज 50 लाख खर्च कर 90 करोड़ की वसूली कर ली गई.
ईडी के क्या हैं आरोप
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास यंग इंडियन कंपनी के ज्यादातर शेयर हैं. दोनों के पास 38-38 प्रतिशत शेयर हैं. धनशोधन का यह मामला दिल्ली के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के एक आदेश से उपजा है, जिसमें नेशनल हेराल्ड के क्रियाकलाप में कथित अनियमितताओं के खिलाफ एक निजी शिकायत का 26 जून 2014 को संज्ञान लिया गया था. ईडी ने बताया कि अदालत ने पाया था कि यंग इंडियन सहित सात आरोपी व्यक्तियों और संस्थाओं ने प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक विश्वासघात के अपराध किए, जिसमें धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति के लेनदेन को प्रेरित करना, संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग और आपराधिक साजिश शामिल हैं.
ईडी का आरोप है कि आरोपी व्यक्तियों ने यंग इंडियन के जरिए एजेएल की करोड़ों रुपये की संपत्ति हासिल करने के लिए आपराधिक साजिश रची. ईडी का कहना है कि एजेएल को समाचारपत्र प्रकाशित करने के उद्देश्य से भारत के विभिन्न शहरों में रियायती दरों पर जमीन दी गई थी. ईडी ने आरोप लगाया है कि एजेएल ने 2008 में अपना प्रकाशन बंद कर दिया और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति का उपयोग करना शुरू कर दिया. इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी थर्ड पार्टी के साथ पैसों का लेनदेन नहीं कर सकती.
किस-किस को बनाया गया आरोपी
इस केस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को आरोपी बनाया गया था. एजेंसी ने मामले के सिलसिले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के नेता पवन बंसल, डी. के. शिवकुमार (कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री) और उनके सांसद भाई डी.के. सुरेश से पिछले साल पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए थे.
ईडी की कार्रवाई पर क्या बोली कांग्रेस?
कांग्रेस ने एजेंसी की कार्रवाई को प्रतिशोध का तुच्छ हथकंडा करार दिया और ईडी को भाजपा का गठबंधन साझेदार बताया. कांग्रेस ने कहा कि यह कार्रवाई पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की तय हार से ध्यान भटकाने का प्रयास है. पार्टी के प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक बयान में कहा, 'ईडी द्वारा एजेएल की संपत्तियां कुर्क किए जाने की खबरें पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों में भाजपा की निश्चित हार से ध्यान हटाने के लिए उनकी हताशा को दिखाती हैं.' उन्होंने यह भी कहा, 'पीएमएलए के तहत कार्रवाई केवल किसी मुख्य अपराध के परिणामस्वरूप हो सकती है. इस मामले में किसी भी अचल संपत्ति का कोई हस्तांतरण नहीं है, पैसों का कोई लेनदेन नहीं है...वास्तव में, ऐसा कोई शिकायतकर्ता नहीं है जिसने यह दावा किया हो कि उसे धोखा दिया गया है.' सिंघवी ने दावा किया, 'भाजपा का कोई भी गठबंधन सहयोगी-सीबीआई, ईडी या आयकर विभाग भाजपा की निश्चित आसन्न हार को नहीं रोक सकता.'
(इनपुट पीटीआई-भाषा)