किन कैदियों के लिए और क्या होती हैं खुली जेल, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने नौ मई को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि खुली जेलों की स्थापना जेलों में भीड़ का समाधान हो सकती है और इस व्यवस्था से कैदियों के पुनर्वास के मुद्दे का भी समाधान हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि देश में कार्यरत खुली जेलों के दायरे को कम करने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. आधी-खुली या खुली जेल व्यवस्था के तहत दोषियों को आजीविका कमाने के लिए दिन के दौरान परिसर से बाहर काम करने और शाम को वापस लौटने की अनुमति दी जाती है.
इस अवधारणा को दोषियों को समाज के साथ आत्मसात करने और मनोवैज्ञानिक दबाव को कम करने के लिए पेश किया गया था क्योंकि उन्हें बाहर सामान्य जीवन जीने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
खुली जेलों का नाम सुधारात्मक संस्थान किया गया
जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने उल्लेख किया कि एडवोकेट के. परमेश्वर ने कहा है कि केंद्र द्वारा एक आदर्श मसौदा नियमावली तैयार की गई है जिसमें खुले शिविरों/संस्थाओं/जेलों का नाम खुले सुधारात्मक संस्थान किया गया है. एडवोकेट के. परमेश्वर जेलों और कैदियों से संबंधित मामले में न्याय मित्र के रूप में सहायता कर रहे हैं.
पीठ ने 17 मई को पारित अपने आदेश में कहा, 'हम (केंद्रीय) गृह मंत्रालय को आदर्श जेल नियमावली, 2016 और आदर्श कारागार एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023 के आने के बाद खुले सुधार संस्थानों के संबंध में हाल के घटनाक्रमों पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हैं.'
पीठ ने कहा कि उसे सूचित किया गया है कि जयपुर में सांगानेर खुले शिविर का क्षेत्र कम करने का प्रस्ताव है. कोर्ट ने कहा, 'हम निर्देश देते हैं कि संबंधित स्थलों पर कार्यरत खुले शिविरों/संस्थानों/जेलों के क्षेत्र में कटौती का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल और पश्चिम बंगाल को निर्देश दिया कि वे खुले सुधार संस्थानों की स्थापना, विस्तार और प्रबंधन पर अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं, लागू नियमों, दिशानिर्देशों और अनुभव को राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) के साथ साझा करें. संबंधित राज्यों में ऐसी संस्थाएं बेहतर कार्य कर रही हैं.
पीठ ने मामले को जुलाई के दूसरे सप्ताह में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने नौ मई को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि खुली जेलों की स्थापना जेलों में भीड़ का समाधान हो सकती है और इस व्यवस्था से कैदियों के पुनर्वास के मुद्दे का भी समाधान हो सकता है.
क्या होती हैं ओपन जेल या खुली जेल?
खुली जेल या आधी खुली जेल ऐसा करागार होता है, जहां कैदियों को बंद कोठरी में नहीं रखा जाता है. इसमें रहने वाले कैदियों को दिन में कुछ दूरी तक जाकर रोजी-रोटी कमाने और काम करने की इजाजत होती है. हालांकि, जेल से बाहर जाने और रात को लौटने के लिए समय सीमा तय होती है, जो जेल प्रशासन तय करता है. जेल प्रशासन ही ओपन जेल का दायरा भी तय करता है.
किन कैदियों को खुली जेल में रखा जाता है?
खुली जेल या सेमी जेल में हर कैदी को नहीं रखा जाता है, इसमें कुछ चुनिंदा कैदियों को ही रहने की इजाजत होती. कौन सा कैदी उसमें रहेगा ये उसके आचरण और अनुशासन पर निर्भर पर करता है. अच्छे आचरण और नियमों का पालन करने वाले कैदियों को इन जेलों में रखा जाता है. इसके अलावा, उन कैदियों को यहां रहने की अनुमति मिलती है, जो तीन बार पैरोल पर रिहा हो चुके हों. या फिर जमानत से मिली अस्थाई रिहाई के दौरान जेल प्रशासन के पास उनके खिलाफ कोई शिकायत या गलत आचरण की कोई खबर न मिली हो.
(इनपुट पीटीआई-भाषा से)
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