नई राजनीतिक परिस्थिति में कौन सी राह लेनी चाहिए? अपनी ताकत क्या है? आगे क्या करना चाहिए?- इस जैसे सवालों के जवाब पंकजा मुंडे टटोल रही हैं. उन्होंने कहा है कि वो अपने समर्थकों से 12 दिसंबर के दिन यानी कि गोपीनाथ मुंडे के जन्मदिन पर बात करेंगीं. पंकजा की पोस्ट को देखकर सियासी हलकों में निष्कर्ष निकाला जा रही है कि उनके दिमाग में कुछ बड़ा चल रहा है. माना जा रहा है कि उस दिन पंकजा की तरफ से कोई चौंकाने वाला ऐलान हो सकता है.
पंकजा मुंडे महाराष्ट्र बीजेपी की एक दिग्गज नेता हैं. वो बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं. पंकजा दो बार विधायक चुनी जा चुकी हैं और फडणवीस सरकार में महिला ग्राम एवं बाल विकास मंत्री रह चुकी हैं. पंकजा की इमेज आक्रमक और भीड़ जुटाने वाली नेता के तौर पर रही है. 2014 में जब बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और जब तक सीएम पद का चेहरा तय नहीं हुआ था तो जिन नामों की चर्चा हो रही थी उनमें से एक पंकजा मुंडे भी थी. खुद पंकजा ने भी एक सभा में कह दिया था कि लोगों के मन की मुख्यमंत्री तो मैं ही हूं. हालांकि सीएम पद की रेस में देवेंद्र फडणवीस जीत गए. 2014 से लेकर 2019 के बीच भी बहुत कुछ हुआ इस दौरान पंकजा मुंडे पर चिक्की घोटाले का आरोप लगा हालांकि उसमें पंकजा को क्लीन चिट मिल गई. धनंजय मुंडे जो पंकजा मुंडे के चचेरे भाई हैं और एनसीपी से उनके खिलाफ चुनाव लड़ते आए हैं उन्हें देवेंद्र फडणवीस का करीबी माना जाता है. पिछला विधानसभा चुनाव भी धनंजय मुंडे ने पंकजा को हराकर जीता. इससे सियासी हलकों में चर्चा है फडणवीस और पंकजा के बीच कटुता और बढ़ गई. इस बीच नासिक में शिवसेना के नेता संजय राउत ने एक बयान दिया कि पंकजा मुंडे समेत महाराष्ट्र के कई नेता शिवसेना के संपर्क में हैं. यहां यह भी गौर करने वाली बात है पंकजा मुंडे ने हाल ही में उद्धव ठाकरे की तारीफ करते हुए और उन्हें बधाई देते हुए कई ट्वीट किए.
इन सभी बातों को देखते हुए कई लोग ये मतलब निकाल रहे हैं कि पंकजा पार्टी से खफा हैं और पार्टी छोड़ने जैसा कोई बड़ा फैसला ले सकती हैं. हालांकि महाराष्ट्र बीजेपी के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि पंकजा हार के बाद आत्म चिंतन के लिए वक्त चाहती हैं. उन्होंने इस बात को सीधे खारिज कर दिया कि वे बीजेपी छोड़कर कहीं और जा रही हैं.