जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में गुरुवार को आतंकियों ने सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला कर दिया. इस हमले में 4 जवान शहीद हो गए, जबकि तीन अन्य घायल हुए हैं. अधिकारियों के मुताबिक, शहीद हुए दो जवानों के शव क्षत विक्षत हालत में मिले. सुरक्षाबलों ने इलाके को घेरकर सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है. इस हमले की जिम्मेदारी पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने ली. PAFF पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा है. पहले इस हमले में 5 जवानों के शहीद होने की खबर थी, लेकिन व्हाइट नाईट कॉर्प्स ने ट्वीट कर 4 जवानों के शहीद होने की जानकारी दी है.
कब और कैसे हुआ हमला?
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, गुरुवार को सुरक्षाबलों के जवान दो वाहनों से पुंछ के सुरनकोट जा रहे थे. यहां सुरक्षाबलों को आतंकियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलाया जाना था. लेकिन शाम करीब पौने चार बजे ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर घात लगाकर बैठे आतंकियों ने एक ट्रक और एक जिप्सी पर अचानक हमला कर दिया. सुरक्षाबलों ने इस हमले का जवाब भी दिया. इस दौरान 4 जवान शहीद हो गए, अन्य 3 घायल हए हैं. अधिकारियों ने आतंकियों और जवानों के बीच आमने-सामने की लड़ाई होने की संभावना से इनकार नहीं किया. अधिकारियों के मुताबिक, ऐसी संभावना है कि जिन सैनिकों पर हमला किया गया, आतंकवादी उनके हथियार लेकर चले गए हैं.
घटनास्थल से कुछ व्यथित करने वाली तस्वीरों और वीडियो सामने आए हैं. इनमें सड़क पर पड़ा खून, सैनिकों के टूटे हुए हेलमेट और सेना के दो वाहनों के टूटे हुए शीशे दिखाई दे रहे हैं. इसके अलावा हमले वाली जगह पर दो जवानों के क्षत विक्षत शव मिले.
2019 में पहली बार चर्चा में आया था PAFF
आतंकी संगठन PAFF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. PAFF 2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद से चर्चा में आया. इस संगठन ने जम्मू कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है. इसी साल जनवरी में गृह मंत्रालय ने PAFF पर बैन लगाया था.
Hybrid आतंकी सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती
PAFF द रेसिस्टेंस फ्रंट, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट, और गजनवी फोर्स जैसे नए आतंकी संगठनों में से एक है, जो हाल के कुछ सालों में उभरे हैं. इन आतंकी संगठनों ने हमलों के लिए नई रणनीति बनाई है. ये छोटे-छोटे गुटों में रहते हैं और छिपकर हमला करते हैं. इतना ही नहीं PAFF समेत ये संगठन ऐसे स्थानीय युवाओं को भर्ती करते हैं, जिनका कोई क्रिमनल बैकग्राउंड नहीं होता. इन्हें Hybrid आतंकी भी कहते हैं, क्योंकि ये छिपकर हमला करते हैं, हमले के बाद ये फिर आम जीवन जीने लगते हैं. ऐसे में सुरक्षाबलों के लिए ऐसे आतंकियों को पकड़ना एक बड़ी चुनौती है.
घात लगाकर करते हैं हमला
इससे पहले पिछले महीने आतंकियों ने राजौरी के बाजीमाल के जंगलों में हमला कर दिया था. इस हमले में दो कैप्टन समेत 5 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद राजौरी में सुरक्षा बलों ने नवंबर में मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के शीर्ष कमांडर क्वारी समेत 2 आतंकियों को मार गिराया था. कारी ने अफगानिस्तान में ट्रेनिंग ली थी.
इससे पहले भाटा धुरियन जंगल में 20 अप्रैल को सेना के एक वाहन पर घात लगाकर आतंकियों ने हमला कर दिया था. इस हमले में 5 जवान शहीद हुए थे. इसके बाद मई में एक ऑपरेशन के दौरान चमरेर जंगल में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे. इस दौरान एक विदेशी आतंकी भी मारा गया था.
राजौरी, पुंछ में बढ़े आतंकी हमले
राजौरी, पुंछ और रियासी में इस साल आतंकी हमलों में 19 जवान शहीद हुए हैं. हालांकि, इसी दौरान इन इलाकों में सुरक्षाबलों ने 28 आतंकवादी मार गिराए. इससे पहले अक्टूबर 2021 में वन क्षेत्र में आतंकियों द्वारा किए गए दो अलग-अलग हमलों में 9 सैनिक शहीद हो गए थे. चमरेर में 11 अक्टूबर को एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) सहित 5 जवान शहीद हुए थे, जबकि 14 अक्टूबर को पास के जंगल में एक जेसीओ और तीन सैनिकों ने जान गंवाई थी.