Difference Between Pandemic And Epidemic: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने शुक्रवार (5 मई)  एलान किया है कि COVID-19 अब ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी नहीं रह गई है.


उन्होंने कहा, " बड़ी उम्मीद के साथ मैं COVID-19 के वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के खत्म होने का एलान करता हूं." दरअसल आज से 3 साल पहले मार्च 2020 में डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस के पैनडेमिक यानी महामारी होने का एलान किया था.


इसके साथ ही लोगों के जेहन में ये सवाल उठने लगा था कि आखिर महामारी किस बला का नाम है ? इसे ये नाम क्यों दिया जाता है और इसके फैलने का एलान कब किया जाता है. हम यहां इस बारे में ही बताएंगे कि कैसे एपिडेमिक (महामारी) और पैनडेमिक (सर्वव्यापी महामारी) अलग-अलग है.


इन दोनों के बीच अंतर केवल नाम का नहीं है बल्कि बीमारी के लिए इस्तेमाल किए इन अलग-अलग नामों से किसी बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लगता है. इसी के आधार पर भी उससे निपटने के कदम उठाए जाते हैं.


एपिडेमिक क्या है?


एक महामारी यानी एपिडेमिक एक ऐसी बीमारी है जो एक समुदाय, आबादी या क्षेत्र के अंदर बड़ी पैमाने पर लोगों पर असर डालती है. एक तय वक्त में फैले हुए भौगोलिक क्षेत्र में जनसंख्या के एक बड़े हिस्से पर ये बीमारी असर डालती है. ये एक वायरल बीमारी है. वहीं एनडेमिक (Endemic) एक ऐसी बीमारी है जो किसी खास शख्स या देश से संबंधित होती है.


आउटब्रेक (Outbreak) मतलब प्रकोप है. ये स्थानिक केसों यानी एनडेमिक की संख्या में अपेक्षा से अधिक बढ़ोतरी है. ये एक नए क्षेत्र में एक अकेला केस भी हो सकता है. यदि इसे जल्दी काबू नहीं किया गया जाए तो इस आउटब्रेक एक एपिडेमिक का रूप लेते देर नहीं लगती है.


पैनडेमिक क्या है ?


फरवरी 2020 में ही यूएन ने कोरोना वायरस की वजह से दुनिया पर खतरे के लेवल को बढ़ा कर "अति उच्च" किया था. इसके तहत कोविड-19 का  दुनिया में संक्रमण फैलना तय माना गया था.


वहीं जेनेवा में डब्ल्यूएचओ (WHO) का हेडक्वार्टर किसी भी बीमारी को "पैनडेमिक फेज" में रखने के लिए छह स्तरों पर परखता है. इस हिसाब से उस वक्त यूएन ने कोरोना वायरस के लिए जिस स्तर का एलान किया था वो खतरे का सबसे ऊंचा स्तर था.


यही वजह रही कि डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कोविड-19 को पैनडेमिक के तौर पर चिह्नित करने के लगभग 6 हफ्ते पहले 30 जनवरी 2020 में कोरोना वायरस के आउटब्रेक के अंतरराष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public Health Emergency Of International Concern- PHEIC) होने का एलान किया था.


इसका मतलब ये था अब दुनिया भर के वैज्ञानिकों और इतिहासकारों पर है कि वे इसे सर्वव्यापी महामारी यानी पैनडेमिक मानते हैं या नहीं. इसका साफ मतलब था कि ये अब यूएन के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है और अब राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और क्षेत्रीय स्वास्थ्य संस्थानों की जिम्मेदारी और जवाबदेही है कि वे अपने स्तर पर सेहत संबंधी चेतावनियां जारी करें. 


मतलब ये महामारी यानी एपिडेमिक नहीं बल्कि पैनडेमिक हो गई है. इन दोनों के बीच के अंतर को जानने का एक सरल तरीका पैनडेमिक में "पी" को याद रखना है, जिसका मतलब है कि इसका पासपोर्ट होता है. मतलब कि पैनडेमिक ऐसा एपिडेमिक है जो सफर करती है यानी एक देश से दूसरे देश, एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में फैलती है.


पैनडेमिक यानी सर्वव्यापी महामारी यानी उस बीमारी को कहा जाता है जो एक ही वक्त में दुनिया के अलग-अलग देशों में लोगों में फैल रही हो. ये लफ्ज़ सिर्फ़ उस संक्रमणकारी बीमारियों के लिए इस्तेमाल की किया जाता है जो बेहद रफ्तार से कई मुल्कों में एक साथ लोगों के आपसी संपर्क में आने फैलती है.


किसी भी बीमारी के पैनडेमिक होने की अधिक आशंका तब होती है जब वायरस बिल्कुल नया हो आसानी से लोगों में फैल रहा हो या लोगों के बीच आपसी संपर्क और छूने से असरदार तरीके से लगातार फैल रहा हो.कोरोना के वायरस पर ये सभी पैमाने फिट बैठे थे, इसलिए इसे पैनडेमिक कहा गया. कोरोना कई देशों या महाद्वीपों में एक साथ फैला था. 


जब डब्ल्यूएचओ के कोरोना वायरस के लिए PHEIC के एलान किया था. PHEIC को अमल में लाने के लिए कोरोना वायरस को लेकर अपनी सिफारिशों के पालन कराने के लिए डब्ल्यूएचओ और दुनिया के देशों के बीच एक समझौता हुआ.


इसके तहत दुनिया के हर देश ने खुद के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल का एलान किया था. ये एलान पूरी तरह से कानूनी था. खतरे को कम करने के लिए हर देश ने डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों यानी दिशा-निर्देशों का इस्तेमाल मार्शल संसाधनों और नियमों में छूट के लिए किया.


मार्शल संसाधनों का मतलब लोगों या चीजों को एक साथ लाने और उन्हें व्यवस्थित करने से है ताकि उनका असरदार तरीके से इस्तेमाल किया जा सके. मसलन इसी के तहत कोविड-19 प्रोटोकॉल तोड़ने पर जुर्माना, सजा और जेल भेजने जैसी नियम  और पाबंदियां लागू की गई थीं.


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