Hooch Tragedy: बिहार में जहरीली शराब पीने से हुई 70 से ज्यादा लोगों की मौत के मामले पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. बिहार में शराबबंदी के बावजूद भी अवैध रूप से शराब पीने के मामलों में कोई कमी नहीं आई है. आमतौर पर अवैध कच्ची शराब का शिकार गरीब वर्ग के लोग ही बनते हैं. लेकिन, नकली जहरीली शराब का मामला सिर्फ अवैध कच्ची शराब तक ही सीमित नहीं है. ब्रांडेड शराब की बोतलें भी अब शराब तस्करों के निशाने पर हैं. कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें शराब की ब्रांडेड बोतलों के अंदर नकली शराब भरी पाई गई है.
वैसे, नए साल का जश्न करीब आने के साथ ही पीने और पिलाने का दौर शुरू हो जाता है. तो लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए असली और नकली जहरीली शराब के बीच का अंतर पहचानना जरूरी हो जाता है. क्योंकि ब्रांडेड बोतलों में आने वाली शराब भी जानलेवा हो सकती है. आइए जानते हैं असली और नकली जहरीली शराब में क्या अंतर है और इसका पता कैसे चलता है?
असली शराब और नकली शराब में क्या है अंतर?
असली शराब बनाने में जिस केमिकल का इस्तेमाल होता है, उसे एथेनॉल (Ethanol) कहते हैं. शराब बनाने के लिए एथेनॉल को एक निश्चित मात्रा में ही इस्तेमाल किया जाता है. जबकि, नकली शराब बनाने में एथेनॉल की जगह स्प्रिट, मिथाइल अल्कोहल, इथाइल अल्कोहल, यूरिया, ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन जैसे कई केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. जो शराब को जहरीला बना देते हैं. सामान्य तौर पर शराब पीने वाले असली और नकली शराब में अंतर नहीं कर पाते हैं क्योंकि इनका स्वाद और गंध लगभग एक जैसी ही होती है. इसी का फायदा उठाकर शराब तस्कर असली के साथ अवैध नकली शराब भी खपा देते हैं, जो लोगों के लिए जानलेवा बन जाती है.
कैसे पहचानें जहरीली शराब?
एक ही स्वाद और गंध वाले रसायनों यानी केमिकल्स के इस्तेमाल की वजह से असली शराब और नकली शराब के बीच अंतर करना मुश्किल होता है. लेकिन, कुछ सावधानियां बरत कर नकली शराब का शिकार होने से बचा जा सकता है. उदाहरण के तौर पर शराब सिर्फ आधिकारिक दुकानों से खरीदें. लेकिन, कुछ दुकानदार ज्यादा मुनाफे के लिए नकली शराब की खपत को भी अंजाम देते हैं.
हालांकि, शराब की पैकेजिंग देखकर इससे आसानी से बचा जा सकता है. क्योंकि, नकली शराब के डिब्बे की खराब पैकिंग, कंपनी का गलत लोगो, नाम की स्पेलिंग में गलतियां जैसी चीजों पर नजर रख इससे बचा जा सकता है. नकली शराब में आमतौर पर लेबल और सील टूटे हुई होती हैं. जिन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है.
वैसे, अवैध कच्ची शराब को बनाने में किसी तरह की सावधानी नहीं बरती जाती है. तो, जहरीली शराब को पहचानना नामुमकिन होता है. लेकिन, जहरीली शराब पीने के बाद उभरने वाले लक्षणों से इसकी आसानी से पहचान की जा सकती है. वैसे, जहरीली शराब पीने वालों को तुरंत ही स्वास्थ्य निगरानी की जरूरत होती है. तो, इन लक्षणों को पहचान कर जहरीली शराब पीने वाले को तुरंत मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकती है.
जहरीली शराब पीने वालों में भ्रम की स्थिति, उल्टी, दौरे, कम या असंतुलित सांसें, स्किन पर नीलापन, हाइपोथर्मिया, बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं. इन लक्षणों को पहचान कर मरीज की जान को बचाया जा सकता है.
अवैध कच्ची शराब कैसे बन जाती है जहर?
अवैध कच्ची शराब को बनाने में सड़ी-गली चीजों के साथ कई तरह के केमिकल और दवाइयों का इस्तेमाल होता है. जब इनमें से कोई केमिकल और दवाई निश्चित मात्रा से ज्यादा इस्तेमाल हो जाती है. तो, ये कच्ची शराब अपनेआप ही जहरीली शराब में बदल जाती है.
आसान शब्दों में कहें, तो कच्ची शराब को और अधिक नशीला बनाने की कोशिश में केमिकल का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है. जो इसे जहरीला बना देता है. दरअसल, ये मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से मौजूद केमिकल्स से मिलकर रिएक्शन करते हैं. जिससे ऐसे जहर का निर्माण होता है. जो लोगों की जान लेने के लिए काफी होता है. वैसे, बिहार में जिस जहरीली शराब ने 70 से ज्यादा जिंदगियां लील लीं. वो भी कच्ची शराब ही थी.