पश्चिम बंगाल में 292 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के सामने बीजेपी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. टीएमसी के कई बड़े नेताओं को तोड़कर अपने खेमे में लाकर बीजेपी ने जहां उसे कमजोर करने की पूरी कोशिश की तो वहीं दूसरी तरफ कई केन्द्रीय मंत्रियों और दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चुनाव कैंपेन में झोंक दिया था. आइये जानते हैं कि आखिर वो क्या 5 कारण रहे जिसके चलते बीजेपी बंगाल में सत्ता तक पहुंचने में नाकामयाब रही?


 


1-राज्य में बड़े चेहरे का अभाव:


बंगाल के चुनावी मैदान में को जीतने की भले ही पूरी कोशिश की लेकिन एक सच्चाई ये है कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुकाबले उसके पास कोई बड़ा लोकप्रिय चेहरा नहीं था. बीजेपी ने यहां पर पीएम मोदी समेत दिल्ली के बड़े नेताओं को चुनाव में उतारा. बीजेपी को उसका फायदा भी हुआ. लेकिन, राज्य की सत्ता में नहीं पहुंचने का एक बड़ा कारण पार्टी के अंदर बड़े चेहरे की कमी रही. यही वजह थी कि बीजेपी ने आखिर तक ममता से मुकाबले के लिए  सीएम चेहरा का ऐलान नहीं किया


 


2-बाहरी मुद्दा


पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी ने मा, माटी और मानुष का नारा देकर बाहरी मुद्दे को जोरशोर से उछाला. इसकी काट में बीजेपी की तरफ से जोरदार बचाव किया गया. लेकिन, कहीं ना कही बंगाल की जनता ने बाहरी मुद्दा को भी ध्यान में रखकर वोट किया.


 


3-ध्रुवीकरण में कामयाबी नहीं


बीजेपी ने इस चुनाव को पूरी तरह से ध्रुवीकरण करने की कोशिश की. लेकिन ममता बनर्जी ने जोरदार तरीके से उसका मुकाबला किया. इसके लिए एक तरफ जहां ममता ने चंडी पाठ किया तो वहीं दूसरी तरफ ममता बेगम के जवाब में उन्होंने अपने गौत्र सांडिल्य तक लोगों के सामने बता दिया.


 


4-सत्ता विरोधी लहर नहीं भुना पाई


पश्चिम बंगाल में तीसरी बार ममता बनर्जी सत्ता में आई. लगातार दो साल सत्ता में बने रहने के बाद ममता सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी जो लहर चल रही थी, उसे बीजेपी पूरी तरह से भुनाने में नाकामयाब रही.


 


5-नहीं जीत पाई जनता का भरोसा


पश्चिम बंगाल में लेफ्ट की सत्ता से बेदखल के बाद जो जगह खाली रह गई है उसे कहीं ना कही बीजेपी कब्जा करने में अभी तक नाकामयाब रही. बीजेपी को भले ही 2019 लोकसभा चुनाव में 18 सीट मिली. इसके साथ ही, 2021 के विधानसभा चुनाव में भी काफी सीटों की बढ़त मिली, लेकिन जिस अनुरूप बीजेपी उम्मीद कर रही थी, वैसी सफलता उसे नहीं मिल पाई.


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