Bangladesh Hindu Violence: बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से अल्पसंख्यकों को निशाना बना जा रहा है. बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों पर लगातर हमले हो रहा है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी हमलों का मुद्दा अब लोकसभा में भी गूंज उठा है.
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हैदराबाद से लोकसभा सांसद ओवैसी ने सरकार से बांग्लादेशी हिंदुओं के मुद्दें पर सवाल पूछा. इस दौरान उन्होंने पूछा कि सरकार वहां हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर क्या कर रही है. उनके सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम नजर बनाए हुए हैं.
विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया जवाब
लोकसभा सांसद ओवैसी के सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, 'बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा पर हमारी सरकार लगातार नजर बनाए हुए है. इस मुद्दे को हमने बांग्लादेश की सरकार के सामने भी उठाया है. अभी हाल में ही हमारे विदेश सचिव भी बांग्लादेश के दौरे पर गए थे. इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश की सरकार के सामने इन मुद्दों को उठाया था.
सीडीपीएचआर ने पेश की रिपोर्ट
वहीं, मानवाधिकार संगठन ‘सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लुरलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स’ (सीडीपीएचआर) ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट पेश की जिसमें अगस्त 2024 में बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद अल्पसंख्यकों की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है. ‘बांग्लादेश माइनॉरिटीज अंडर सीज: ए वेक-अप कॉल फॉर द इंटरनेशनल कम्युनिटी’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में राजनीतिक परिवर्तनों के मद्देनजर देश में हिंदू समुदाय को प्रभावित करने वाली हिंसा और अशांति की घटनाओं का विवरण दिया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, हसीना के इस्तीफे के बाद पांच से नौ अगस्त के बीच लूटपाट के 190 मामले दर्ज किए गए, 32 घरों में आग लगा दी गई, 16 मंदिरों को अपवित्र किया गया और यौन हिंसा की दो घटनाएं दर्ज की गईं. इसमें कहा गया कि 20 अगस्त तक सामने आईं घटनाओं की संख्या में काफी वृद्धि हुई जिसमें हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के कुल 2,010 मामले, 69 मंदिरों को अपवित्र करने और 157 परिवारों पर हमलों की घटनाएं शामिल हैं.
'इस्कॉन के लिए परिस्थितियां कठिन'
इस्कॉन की कोलकाता इकाई के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने शुक्रवार को कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर जारी हमलों के कारण वहां संगठन के लिए परिस्थितियां कठिन हैं. दास ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों में कमी नहीं आने और कई बांग्लादेशी नेताओं द्वारा दिए गए कट्टरता को बढ़ावा देने वाले बयानों पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए इस तरह की बयानबाजी पर रोक लगनी चाहिए.