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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

इस बार भीषण गर्मी से निपटने के लिए क्या है सरकार का हीट एक्शन प्लान?

एक रिपोर्ट में 18 राज्यों के 37 हीट एक्शन प्लान की समीक्षा की गई. जिसमें पाया गया कि देश फिलहाल असामान्य गर्मी (हीटवेव) से निपटने के लिए तैयार नहीं है. 

देश के ज्यादातर इलाकों में गर्मी की शुरुआत हो चुकी है. कई शहर तो ऐसे भी हैं जहां गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि वहां का तापमान 35 से 37 डिग्री तक दर्ज किया जा रहा है. मौसम विभाग के मुताबिक फरवरी के महीने में भारत का औसत अधिकतम मासिक तापमान बढ़कर 29.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. 

पिछले साल यानी 2022 के दिसंबर महीने में इस भीषण गर्मी से निपटने की तैयारियों को लेकर राज्यसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा था, 'सरकार साल 2023 की गर्मी से निपटने के लिए तैयार है. 2023 तक हर राज्य और जिले में हीट एक्शन प्लान लागू कर दिया जाएगा. '

हालांकि हाल ही में आई सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की रिपोर्ट "हाउ इज इंडिया एडाप्टिंग टू हीट वेव्स?" में बताया गया है कि भारत आने वाले समय में बढ़ रहे तापमान का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है.

दरअसल 'हाउ इज इंडिया एडाप्टिंग टू हीट वेव्स' की इस रिपोर्ट में 18 राज्यों के 37 हीट एक्शन प्लान का विस्तार से समीक्षा किया गया है. इस रिसर्च में पाया गया कि देश असामान्य गर्मी (हीटवेव) से निपटने के लिए भारत के कई राज्य फिलहाल तैयार नहीं है. 

क्या होता है हीट एक्शन प्लान 

  • भारत को पिछले साल यानी 2022 में झुलसाने वाली गर्मी से जूझना पड़ा था. मौसम विभाग की मानें तो इस साल की गर्मी पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ सकती है. ऐसी ही स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार हीट एक्शन प्लान लागू करने की तैयारी कर रही है. 
  • यह प्लान आम तौर पर आर्थिक रूप से हानिकारक और जीवन के लिए खतरनाक गर्म हवाएं या लू के प्रभाव को कम करने के लिए क्या क्या करना चाहिए इसका खाका होता है. 
  • हीट एक्शन प्लान के तहत हर उस समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश की जाती है, जिससे बढ़ते तापमान के कारण लोगों को ज्यादा परेशानी न उठाना पड़े. अहमदाबाद साल 2013 में, हीट एक्शन प्लान बनाने वाला भारत और दक्षिण एशिया का पहला शहर बना था. 

हीट एक्शन प्लान में कलर कोड सिग्नल का क्या मतलब है

हीट अलर्ट जारी करने के लिए कलर कोड सिग्नल विकसित किए गए हैं. उसी अनुरूप कार्रवाई की जाती है. 

  • ग्रीन अलर्टः कोई कार्रवाई नहीं. यानी तापमान सामान्य है.
  • येलो अलर्टः अपडेटेड जानकारी प्रदान करना.
  • ऑरेंज अलर्टः कार्रवाई के लिए तैयार रहना.
  • रेड अलर्टः कार्रवाई करना.

हाउ इज इंडिया एडाप्टिंग टू हीट वेव्स की रिपोर्ट में क्या है?

1. रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर हीट एक्शन प्लान स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से नहीं बनाए गए हैं. रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि लगभग सभी हीट एक्शन प्लान (एचएपी) सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले लोगों की पहचान करने में विफल रहे हैं. 

2. भारत ने पिछले 10 सालों में कई दर्जन हीट एक्शन प्लान बनाकर काफी प्रगति की है. लेकिन हमारी समीक्षा ने इन प्लान में कई कमियों का पता लगाया है जिन्हें भविष्य की योजनाओं में पूरा करना होगा.

3. रिपोर्ट के अनुसार भारत में कितने एक्शन प्लान तैयार किए गए हैं इसकी सटीक संख्या की कोई जानकारी नहीं है. ऐसा दावा किया गया है कि देश भर में 100 से ज्यादा हीट एक्शन प्लान (एचएपी) मौजूद हैं. 

4. इसी रिपोर्ट में कहा गया कि आने वाले 7-8 सालों यानी 2030 तक गर्मी इतनी बढ़ जाएगी कि इसका असर काम करने वाले लोगों के वर्किंग आवर पर पड़ने लगेगा. 

5. रिपोर्ट के अनुसार देश में हीट एक्शन के लिए कोई राष्ट्रीय कोष नहीं है और बहुत कम हीट एक्शन को ऑनलाइन सूचीबद्ध किए गया है. यह भी स्पष्ट नहीं है कि इन एचएपी को समय-समय पर अपडेट किया जा रहा है या नहीं.

अब जानते हैं आखिर हीट वेव क्या होता है

हीट वेव लम्बे समय तक गर्म मौसम बरकरार रहने से बनती है. हीट वेव असल में किसी भी जगह के वास्तविक तापमान और उसके सामान्य तापमान के बीच के अंतर से बनती है. मौसम विभाग की माने तो किसी भी स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा पहुंच जाता है. तब ऐसा मानते हैं कि हीट वेव चल रही है. 

हीट वेव का असर

बिजली की खपत बढ़ जाती है: हीट वेव का पहला असर ये होता है कि पूरे देश में बिजली खपत अचानक और बहुत तेज़ी से बढ़ गई है. भारत में ज्यादातर बिजली थर्मल पॉवर प्लांट्स में बनती है तो जाहिर है कि ज्यादा बिजली का खपत के साथ ही ज्यादा कोयले की खपत भी होगी.

वहीं अचानक बढ़ी बिजली की खपत के साथ ही कोयले की सप्लाई पर दबाव भी बढ़ जाता है और देश को कोयले की कमी से जूझना पड़ता है. यही कारण है कि कई बार देश की राजधानी तक में इस बात की घोषणा कर दी जाती है कि आने वाले दिनों में नॉन-स्टॉप बिजली की सप्लाई बाधित हो सकती है. बिजली की बाधित सप्लाई के कारण मेट्रो या अस्पतालों जैसी अहम सेवाओं पर भी असर पड़ता है.

स्वास्थ्य पर पड़ता है असर: सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार ज्यादा गर्मी से लोगों के बीमार होने का खतरा सबसे बढ़ जाता है. बीमारी का शिकार शिशुओं से लेकर चार साल तक के बच्चे, 65 साल से ज्यादा उम्र के लोग, या वो लोग होते हैं जो ज्यादा दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. बिना एयर कंडीशनर वाले घरों में बेतहाशा गर्मी होती है, जिससे अचानक मौत का खतरा बढ़ता है.

भारत में 2000 से 2004 तक 65 साल से ज्यादा आयु के लोगों में सालाना 20,000 लोगों की मौत गर्मी की वजह से हुई, और ये आंकड़े 2017 और 2021 के बीच लगभग 31,000 तक बढ़ गए.

2022 में भी हीट वेव ने किया था लोगों का हाल बेहाल

साल 2022 में भारत में लोग चिलचिलाती गर्मी से परेशान हो गए हैं.  रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के कारण कई क्षेत्रों में अप्रैल के महीने में भयंकर लू चल रही थी, अप्रैल महीने में देश के तापमान ने 122 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया था. वहीं दूसरी तरफ अचानक बढ़े तापमान के कारण  भारत के कृषि उत्पादन पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ा था.

खराब मौसम का पूर्वानुमान हो तो सरकार क्या करती है?

बीबीसी की एक रिपोर्ट में इंडियन इंस्टीट्यूट फार ह्यूमन सेटलमेंट्स की सीनियर रिसर्चर चांदनी सिंह इस सवाल के जवाब में कहती है कि, 'ऐसी स्थिति में लोगों को आगाह किया जाता है कि आने वाले कुछ दिन या हफ़्तों में इन राज्यों में गर्मी बढ़ने वाली है.

वहीं अगर हीटवेव जैसी स्थिति का पता चलता है तो सरकार आगाह करती है कि वो खुद को कैसे ठंडा रखें. उन्हें काफी मात्रा में तरल लेने की सलाह दी जाती है. दिन के 11 बजे से शाम चार बजे तक जब दिन सबसे ज्यादा गर्म रहता है तब घर में रहने को कहा जाता है. ये भी सलाह दी जाती है कि अगर हीट स्ट्रेस के कोई लक्षण दिखाई दें तो तुरंत किसी अस्पताल जाएं."

बढ़ती गर्मी से चिंतित प्रधानमंत्री मोदी ने की थी बैठक 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 मार्च को आने वाले महीनों में होने वाली गर्मी की संभावना को देखते हुए बैठक की थी. इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव और कैबिनेट सचिव के अलावा कई आला अधिकारी शामिल हुए थे. यहां पीएम मानसून, गेहूं और अन्य रबी फसलों पर मौसम के प्रभाव और अन्य विषयों के बारे में जानकारी दी गई.

बैठक में पीएम ने क्या कहा, 3 प्वाइंट

  • प्रधानमंत्री ने बैठक में मौजूद सभी आला अधिकारियों को निर्देश दिया कि आने वाले महीने में बढ़ने वाली गर्मी में को देखते हुए सभी अस्पतालों में गर्मी के कारण लगने वाली आग का ऑडिट किया जाए. 
  • पीएम नरेंद्र मोदी ने आईएमडी से हर रोज दिए मौसम के बारे में दी जाने वाली जानकारी को इतने आसान तरीके से जारी करने को कहा है इसे समझने में किसी को कई दिक्कत न हो.  बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि टीवी न्यूज चैनल और एफएम रेडियो दैनिक मौसम पूर्वानुमान को समझाने के लिए रोजाना कुछ मिनट खर्च कर सकते हैं.
  • बैठक में सिंचाई के लिए पानी की सप्लाई, चारा और पेयजल की निगरानी के लिए चल रहे प्रयासों की भी समीक्षा की गई.

फरवरी अब तक का सबसे गर्म महीना 

मौसम विज्ञान विभाग की मानें तो 1901 के बाद से साल 2023 में भारत में सबसे गर्म फरवरी महीना दर्ज किया. वहीं अब तक के सबसे गर्म महीने की बात करें तो 2022 का मार्च महीना 121 वर्षों में तीसरा सबसे सूखा वर्ष था. 

गर्मी का मुकाबला कैसे करें, 3 प्वॉइंट्स...

1. इंसानी शरीर 40 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान झेलता है तो उसे हीट स्ट्रोक का शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में आपको ख्याल रखना चाहिए की ज्यादा से ज्यादा किसी ठंडी जगह पर रहे. कोई जरूरी काम पड़ने पर ही बाहर निकलें.

2. गर्मी के मौसम में सबसे जरूरी है शरीर में पानी की कमी नहीं होना. इसलिए हर किसी को पानी पीते रहना चाहिए. ज्यादा ऐसा खाना खाएं जिसमें पानी की मात्रा अधिक हो और आसानी से पच सके.

3. गर्मी के मौसम जरूरी है कि आप जब भी बाहर निकले तो खुद को ढककर रखें. सिर पर टोपी या हैट लगाना बेहतर होगा. इसके अलावा एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों के इस्तेमाल के अलावा फेस स्प्रे का इस्तेमाल और ठंडे पानी से नहाना भी शरीर को ठंडक पहुंचाने का कारगर तरीका है. कमरे को ठंडा रखने के लिए पर्दा लगाकर रखें.

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