प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुजरात दौरा खत्म कर उज्जैन पहुंचेंगे. जहां वह श्री महाकाल लोक का उद्घाटन करते हुए इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे. आज पीएम जिस श्री महाकाल लोक परियोजना का उद्घाटन करने जा रहे हैं वह काफी मायनों में खास है. इसका पहला चरण दर्शन करने आने वाले तीर्थयात्रियों को विश्व स्तर की आधुनिक सुविधाएं प्रदान कराएगा. जिससे तीर्थयात्रियों का अनुभव यादगार हो सके.


वहीं उद्घाटन के बाद पीएम पैदल कमलकुंड, सप्तऋषि, मंडपम और नवग्रह का अवलोकन करेंगे. पीएम के दौरे को लेकर मंदिर में कई खास तैयारियां की गई हैं. इसके अलावा मंदिर प्रशासन ने भी कई इंतजाम किए हैं. मंदिर के उद्घाटन के दौरान वहां 600 कलाकार, साधू संत मंत्रोच्चारण और शंखनाद करेंगे. कॉरिडोर के मुख्य गेट पर करीब 20 फीट का शिवलिंग धागे से बनाया गया है, इसपर से पर्दा उठाकर औपचारिक तौर पर कॉरिडोर का उद्घाटन किया जाएगा.


महादेव के भक्तों के लिए खुशी की बात ये है कि उद्घाटन के बाद इस ऐतिहासिक कॉरिडोर को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा. महाकाल मंदिर की हिंदू धर्म में बहुत महिमा मानी गई है.



महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास 


पुराणों के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी. प्राचीन काव्य ग्रंथों में भी महाकाल मंदिर का जिक्र किया गया है. ऐसा कहा जाता है कि इस भव्य मंदिर की नींव व चबूतरा पत्थरों से बनाया गया था और मंदिर लकड़ी के खंभों पर टिका था. ऐसी मान्यता है कि गुप्त काल से पहले मंदिर पर कोई शिखर नहीं था, मंदिर की छतें लगभग सपाट थीं. हालांकि महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ी वेबसाइट में इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि यह मंदिर पहली बार कब अस्तित्व में आया. इसलिए इसके बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. 


कहां से आया महाकाल नाम 


उज्जैन का प्राचीन नाम उज्जयिनी है और यही मौजूद है महाकाल वन. कहा जाता है कि इस वन में स्थित होने के कारण ही यह ज्योतिर्लिंग महाकाल कहलाया और आगे जाकर मंदिर को महाकाल मंदिर कहा जाने लगा.  स्कन्दपुराण के अवन्ती खण्ड में भगवान महाकाल का भव्य प्रभामण्डल प्रस्तुत किया गया है. इसके अलावा पुराणों में भी महाकाल मंदिर का उल्लेख है. दरअसल कालिदास ने मेघदूतम के पहले भाग में  महाकाल मंदिर का विवरण दिया है. वहीं शिवपुराण के अनुसार नन्द से आठ पीढ़ी पहले एक गोप बालक द्वारा महाकाल की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी. 




कैसा है महाकाल मंदिर का परिसर 


महाकाल मंदिर जिनता भव्य है उसका परिसर भी उतना ही भव्य है. यह मंदिर तीन मंजिला है जिसमें सबसे नीचे महाकालेश्वर, बीच में ओंकारेश्वर और सबसे ऊपर वाले हिस्से में नागचंद्रेश्वर के लिंग स्थापित है. सबसे ऊपर वाले हिस्से का दर्शन तीर्थ यात्री केवल नाग पंचमी पर ही कर सकते हैं. इस मंदिर-परिसर में कोटि तीर्थ नाम का एक बहुत बड़ा कुंड भी है, जिसकी शैली सर्वतोभद्र बताई जाती है. 


इस कुंड का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व माना जाता है. इस कुंड की सीढ़ियों से सटे रास्ते पर परमार काल के दौरान बनाए गए मंदिर की मूर्तिकला की भव्यता को दर्शाने वाले कई तस्वीर है. इस कुंड के पूरव में एक बहुत बड़ा आंगन है जिसमें गर्भगृह की ओर जाने वाला रास्ता है. इस आंगन के उत्तर की तरफ एक कमरा है, जिसमें श्री राम और देवी अवंतिका की पूजा की जाती है.


समय की गणना का केंद्र है उज्जैन 


उज्जैन को प्राचीनकाल में अवंति कहते था. प्राचीनकाल में अवंति यानी उज्जैन विज्ञान और गणित की रिसर्च केंद्र हुआ करता है. कई महान गणितज्ञ, जैसे भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त और वाराहमिहिर और खगोलविद् ने उज्जैन को अपने शोध का केंद्र बनाया हुआ था. शोध के लिए इसी जगह को चुनने की कई वजह थीं. उज्जैन प्रधान मध्याह्न रेखा का केंद्र हुआ करता था. जिसकी मदद से भारतीय गणितज्ञ समय की गणना करते थे. दुनियाभर में मानक समय इसी रेखा से तय किया जाता है. इसे ग्रीनविच रेखा के नाम से भी जाना जाता है.


क्या है श्री महाकाल लोक परियोजना


पीएम जिस श्री महाकाल लोक परियोजना का उद्घाटन करने जा रहे हैं वो कई मायनों में खास है. इस परियोजना के तहत मंदिर परिसर का करीब सात गुना विस्तार किया जाएगा. पूरी परियोजना की कुल लागत करीब 850 करोड़ रुपये है. मंदिर के मौजूदा तीर्थयात्रियों की संख्या, जो लगभग 1.5 करोड़ प्रति वर्ष है, दोगुना होने की उम्मीद है. उसी को देखते हुए यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. इस परियोजना के विकास की योजना दो चरणों में बनाई गई है.


इस प्रोजेक्ट में और क्या खास


इस प्रोजेक्ट के तहत महाकाल पथ में 108 स्तंभ (खंभे) हैं जो भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप (नृत्य रूप) को दर्शाते हैं. महाकाल पथ के किनारे भगवान शिव के जीवन को दर्शाने वाली कई धार्मिक मूर्तियां स्थापित की गई हैं. पथ के साथ भित्ति दीवार चित्र शिव पुराण की कहानियों पर आधारित है जिनमें सृजन कार्य, गणेश का जन्म, सती और दक्ष कहानियां आदि शामिल हैं. 2.5 हेक्टेयर में फैला प्लाजा क्षेत्र कमल के तालाब से घिरा हुआ है और इसमें फव्वारे के साथ शिव की मूर्ति भी स्थापित है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सर्विलांस कैमरों की मदद से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर द्वारा इस पूरे परिसर की चौबीसों घंटे निगरानी की जाएगी.