बीजिंग: चीन में इन दिनों युवा अपनी सरकार के लिए कोई काम नहीं करना चाहते हैं. चीन में ये आंदोलन का रूप ले चुका है जिसे 'LYING FLAT' का नाम दिया गया है. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि इस आंदोलन से चीन की सरकार बुरी तरह से डरी हुई है. 


दरअसल गांधी जी के असहयोग आंदोलन की तरह की तरह ही चीन के युवा अपनी सरकार के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया है, जिसका नाम है - Lying Flat यानी पड़े रहो. 


अब ये समझिए कि इसका मतलब क्या हुआ, काम नहीं करना, घर नहीं खरीदना, खर्च नहीं करना, शादी नहीं करना , बच्चे पैदा नहीं करना, कोई करियर नहीं बनाना, अपनी इच्छाओं को  खत्म करना, जिंदा रहने के लिए कम से कम खर्च करना.


अब अगर किसी देश के युवा ये तय कर लें कि उन्हें काम नहीं करना है, खर्चा नहीं करना है, शादी नहीं करना कोई करियर नहीं बनाना है. कम से कम पैसों में जिंदा रहना है, तो फिर वहां की अर्थव्यवस्था का तो बर्बाद होना तय है... और चीन के साथ यही हो रहा है. 


अब आपको ये बताते हैं कि चीन में इस आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई. चीन का एक सर्च इंजन है, जिसका नाम बाइडू है. चीन में गूगल पर पाबंदी है तो बायडू में अप्रैल 2021 में एक लेख छपा था जिसका शीर्षक था, पड़े रहना न्याय है. ये लेख लुओ हुआजॉन्ग ने लिखा था. उन्होंने अपने लेख में लिखा कि मैं दो सालों से काम नहीं कर रहा हूं, सिर्फ मजे करता हूं और मुझे इसमें कुछ गलत भी नहीं लगता


हुआजॉन्ग का लिखा ये आर्टिकल पूरे चीन में हिट हो गया. वहां सोशल मीडिया पर लाइंग फ्लैट के नाम से अलग अलग ग्रुप बनने लगे. हजारों लाखों लोग इस आंदोलन से जुड़ने लगेऔर इसकी बड़ी वजह थी, चीन में 9,9,6 फैक्टर. आपको शायद पता नहीं होगा कि चीन में सुबह 9 बजे से रात को 9 बजे तक वो भी हफ्ते के 6 दिन काम करने का नियम है और पिछले कई दशकों से यही नियम चल रहा है.  


पूरी दुनिया में चीन के काम का उदाहरण दिया जाता है. कहा जाता है कि चीन में सबसे ज्यादा सस्ती लेबर मिलती है, वहां काम जल्दी हो जाता है और प्रोडेक्शन बहुत जल्दी होता है. इसी वजह से चीन मैन्युफैक्चरिंग में नंबर वन है, सबसे ज्यादा निर्यात करता है. 


आपको नहीं शायद पता होगा कि चीन ने ये मुकाम हासिल करने के लिए किस हद तक अपने लोगों का शोषण किया है. इससे पहले की पीढ़ी को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया. उनसे सुबह 9 बजे से रात के 9 बजे तक और वो भी हफ्ते में 6 दिन काम कराया. अब इतना काम पुरानी पीढ़ी ने तो कर लिया, लेकिन नई पीढ़ी नहीं करना चाहती.. इसीलिए जब चीन में लाइंग फ्लैट नाम की ये कैंपेन चली तो लोग इससे जुड़ने लगे.


लेकिन अगर चीन का युवा काम की हड़ताल कर देगा, तो फिर चीन तो बर्बाद हो जाएगा. मैंडरिन में आराम करने की मुद्रा में पड़े रहने को तांगपिंग कहा जाता है. इसीलिए सरकार ने तय किया कि वो इसके खिलाफ जाएगी.


सरकार ने सबसे पहले इंटरनेट के जरिए इस आंदोलन पर रोक लगाई.  सरकार ने इंटरनेट पर जहां भी तांगपिंग को देखा, उसे हटाया. लाइंग फ्लैट आंदोलन वाले सारे ग्रुप्स को बंद कर दिये. चीन के सरकारी अखबारों में लाइंग फ्लैट के खिलाफ लेख छपे, लोगों को काम न करने को शर्मनाक कहा गया.


चीन में पहले सिर्फ वन चाइल्ड पॉलिसी थी, यानी लोगों को सिर्फ एक ही बच्चा पैदा करने की इजाजत थी. उस दौर में पैदा हुए चीन के युवाओं के ऊपर अब बहुत सी जिम्मेदारियां हैं, उन्हें अपने माता पिता को भी पालना है और उनके साथ ही अपने बीवी बच्चों को भी. इसलिए चीन के इन युवा थक गए हैं, वो सिर्फ पड़े रहना चाहते हैं. घर महंगे हैं और सैलरी कम है.


चीन में 16 से 24 साल के युवाओं की चीन में बेरोगजारी दर 13.1 प्रतिशत है. पूरे देश की बेरोजगारी दर 5.5 प्रतिशत है.  2021 में चीन में करीब 21.8 करोड़ लोग यूनिवर्सिटी ग्रेजुएट हैं. ये 2010 से 73 प्रतिशत ज्यादा है,  यानी हर साल 80 से 90 लाख नए कामगारों की फौज तैयार हो रही है.


अब इतने लोगों को चीन नौकरी कहां से देगा क्योंकि उसकी हरकतों की वजह से उस का एक्सपोर्ट कम हो रहा है. चीन की दूसरी समस्या ये भी है कि वहां अमीर और गरीब के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है. चीन में 60 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनकी महीने की आय 10 हजार रुपये से कम है. 20 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो घर चलाने के लिए एक से ज्यादा काम करते हैं.


चीन की समस्या ये भी है कि उसकी एक बहुत बड़ी जनसंख्या बूढ़ी हो रही है. इसी वजह से पहले उसने 2016 में दो बच्चों की नीति लागू की और अब 2021 में उसे 3 बच्चे पैदा करने की नीति लागू करनी पड़ी है.