मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होने वाला है. जिसे लेकर दोनों ही पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. भाजपा ने राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि को एक बार फिर नई लोकप्रियता देने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है.  


आने वाले दिनों में बीजेपी जनता के सामने और कई आकर्षक योजनाएं पेश कर सकती है इसके अलावा पार्टी राज्य में प्रौद्योगिकी संचालित संगठनात्मक गतिविधियों (Technology-Driven Organisational Activities) पर भी ध्यान केंद्रित करेगी.


राज्य के घटनाक्रमों से परिचित बीजेपी नेताओं का कहना है कि आने वाले दिनों में राज्य इकाई में कई नए बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं. पार्टी के अंदर आने वाले कुछ महीनों में बहुत सारे लोग जुड़ेंगे. दरअसल पार्टी चाहती है कि मतदाताओं के बीच पुराने चेहरे को हटाकर नया और लोकप्रिय चेहरा लाया जाना चाहिए.


महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में बीजेपी


बीजेपी ने राज्य के अलग-अलग तबकों को लुभाने की कवायद शुरू भी कर दी है. इसी क्रम में आने वाले कुछ दिनों में बीजेपी महिलाओं के लिए एक बहुत बड़ी योजना का ऐलान कर सकती है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में भी असम के अरुणोदय योजना की तरह ही महिलाओं के लिए योजना शुरू की जा सकती है. 


पिछले महीने ही चौहान सरकार ने घोषणा की थी कि समाज के सभी वर्गों की महिलाएं जो इनकम टैक्स नहीं भरती हैं, उन्हें "लाडली बहना" योजना के तहत हर महीने 1,000 रुपये और हर साल के 12 हजार रुपए दिए जाएंगे. इस योजना के बारे में बात करते हुए सीएम ने बताया कि लाड़ली बहना योजना का लाभ प्रदेश की उन्ही महिलाओं को मिलेगा जिनकी सालाना इनकम 2 लाख 50 हजार रुपए से कम है.


इसके अलावा गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की लड़कियों के लिए मध्य प्रदेश सरकार की एक और योजना "लाड़ली लक्ष्मी" भी है.


क्या है लाडली लक्ष्मी योजना


मध्यप्रदेश सरकार इस योजना के तहत बच्ची के जन्म से लेकर उसकी शादी तक पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता करती है. सरकार बच्ची के जन्म पर 11,000 रुपये की मदद करती है. बेटी के स्कूल एडमिशन के समय 5,000 रुपये की मदद, क्लास 6, 9, 10 और 12 वीं में जाने पर बच्ची को 5,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है.


शादी पर 1 लाख की मदद


वहीं बच्ची की 21 साल की उम्र पूरी होने के बाद सरकार उसकी शादी के लिए 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता उसके परिवार को देती है. अगर किसी बच्ची की शादी 21 साल से कम में होती है, तो उसे यह लाभ नहीं मिलेगा. अगर कोई बच्ची बीच में ही स्कूल छोड़ दे, तो उसे यह मदद नहीं मिलेगी. इस योजना की शुरुआत मध्यप्रदेश सरकार द्वारा साल 2007 में की गई थी. इसके बाद कई दूसरे राज्यों ने देखा-देखी इस तरह की योजना शुरू कर दी है.


भाजपा नेता ने कहा, "ये योजनाएं इस बात का उदाहरण है कि सरकार किस तरह राज्य के महिलाओं के बारे में सोचती आई है और आगे भी इन योजनाओं पर काम करती रहेगी."


मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस योजना को सीएम शिवराज का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. 


मंदिर के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च


इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार सागर जिले में 15वीं शताब्दी के संत-कवि संत रविदास के मंदिर के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी. चौहान सरकार ने सरकारी स्कूल के पाठ्यक्रम में हिंदू शास्त्रों को भी शामिल किया है और ओरछा और चित्रकूट में मंदिर गलियारों के निर्माण पर जोर दे रही है. 


आदिवासी वोटरों को लुभाने में लगी बीजेपी 


BJP मिशन 2023 के लिए पूरी तरह एक्टिव हो चुकी है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सरकार आदिवासी क्षेत्रों में सीट कम आने से चली गई थी. लेकिन इस बार पार्टी और राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए जनजातीय नायकों की प्रतिमाओं की स्थापना से लेकर आदिवासी नायकों के जन्मस्थान और बलिदान स्थली को भी डेवलप किया जा रहा है.


इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार आदिवासी युवाओं के लिए हायर स्टडीज स्कीम और वोकेशनल ट्रेनिंग के अलावा रोजगार, स्वरोजगार की योजनाएं चला रही है. ताकि इन युवाओं के जरिए शिवराज और मोदी सरकार के मैसेज को उनके परिवारों तक पहुंचाया जा सके.


सोशल मीडिया से गांव और घर तक पहुंचाने की कोशिश


इन चुनावी तैयारियों में बीजेपी डिजिटल कनेक्ट प्रोग्राम (Digital Connect Programme) पर भी फोकस कर रही है. बीजेपी नेताओं की मानें तो राज्य के लगभग हर घर में एक स्मार्ट फोन है. ऐसे में पार्टी इस प्रोग्राम के जरिए नए युवाओं को पार्टी से जोड़ृकर सीधे संदेश घर तक पहुंचा सकते हैं. इस प्रोग्राम का एक फायदा ये भी है कि अगर कोरोना या किसी भी कारण चुनाव से पहले जनसभाएं और भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों पर रोक लगी तो मोबाइल और सोशल मीडिया के जरिए सीधे संदेश घरों तक पहुंचाया जा सके.


कर्ज माफी के मुद्दे ने फिर पकड़ा तूल 


किसान कर्ज माफी मध्यप्रदेश के लिए एक बड़ा मुद्दा रहा है. यह साल 2018 के विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक हावी है. मध्य प्रदेश में डिफाल्टर किसानों की संख्या करीब 12 लाख है. हाल ही में पीसीसी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि हमारी सरकार में लाखों किसानों का कर्ज माफ हुआ है और हमारी सरकार बनेगी तो किसानों का कर्ज माफ होगा.


वर्तमान में किसान प्रदेश सरकार की ब्याज मुक्त अल्पावधि ऋण योजना का फायदा ले रहे हैं. यह लोन खरीफ और रबी फसलों के लिए दिया जाता है, लेकिन जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की उतनी रिकवरी नहीं है जितनी होनी चाहिए. 


किसानों पर बैंकों का कुल 19417 करोड़ रुपए बकाया है और इसी बकाया राशि को नहीं चुका पाने वाले किसानों को डिफाल्टर किसान कहा गया है. अब देखना ये है कि साल 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार की किसान हितैषी योजनाओं और डिफाल्टर किसानों को कर्ज की राशि चुकाने पर ब्याज नहीं देने की सुविधा देने वाली सरकार असर डालती है या फिर कांग्रेस का किसान कर्ज माफी का वादा असर करता है.


बीजेपी कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर 


मध्य प्रदेश में साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सत्ता में आई थी, हालांकि सत्ता में रहते हुए कुछ एक दिन ही बीते की ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में जा मिले और मध्य प्रदेश की सरकार गिर गई. इसके बाद एक बार यहां बीजेपी ने वापसी की और शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. सिंधिया को केंद्रीय कैबिनेट में बैलेंस कर दिया गया. 


नए चेहरे के साथ जा सकती है बीजेपी


अब राज्य में इसी साल यानी 2023 के नवम्बर में चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव में राज्य के सबसे ज़्यादा समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले शिवराज फिर उस कुर्सी के दावेदार होंगे या नहीं, इस पर क्लैरिटी नहीं है. पार्टी एन्टी इनकम्बेंसी के फैक्टर को काटने के लिए पार्टी नए चेहरे के साथ जा सकती है. 


फिर राज्य में बीजेपी के और चेहरों को भी शिवराज का इतने लंबे समय तक सीएम पद पर रहना रास नहीं आ रहा है. हालांकि शिवराज खुद भी ऐसी सम्भावना को जानते हैं तभी कई मंचों पर पिछले कुछ दिनों से लगातार कह रहे हैं, पार्टी ने मुझे जो दिया वो बहुत है. आगे भी जो देगी उससे मैं हमेशा ख़ुश रहूंगा.


बीजेपी के सबसे ज्यादा समय तक सीएम शिवराज 


मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीजेपी शासित राज्य में सबसे लंबे समय तक रहने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं. शिवराज सिंह चौहान का सबसे ज्यादा यानी 4 बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी है. उन्होंने 23 मार्च 2020 को चौथी बार इसी राज्य के मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण किया था. शिवराज ने पहली बार 29 नवंबर 2005 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इसके बाद से वह पांच बार मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं.


कभी कहलाया करते थे पांव-पांव वाले भैया 


शिवराज सिंह चौहान भले ही बीजेपी के सबसे लंबे समय तक सीएम पद पर बने रहने वाले नेता है लेकिन उनकी छवि प्रदेश की राजनीति में एक ऐसे जन नेता के तौर पर है जिन्होंने जमीन से लेकर सियासत के शिखर तक का सफर तय किया है. 


चौहान किसी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक नहीं रखते है. वह मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के छोटे से जैत गांव के हैं. शिवराज सिंह चौहान के बारे में कहा जाता है 9 साल की उम्र में ही उन्होंने पहली बार गांव के मजदूरों को दोगुना वेतन देने के लिए आंदोलन किया था. एक तरह से उनके राजनीतिक करियर की यह शुरुआत थी. अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में वह पैदल ही गांव गांव यात्रा करते थे. इससे उनका नाम ही पांव-पांव वाले भैया पड़ गया था.