मोदी सरनेम विवाद: सिर्फ गुजरात या पूरे देश में पाई जाती है मोदी जाति?
मोदी सरनेम विवाद को लेकर मानहानी मामले में राहुल गांधी की सदस्यता जा चुकी है. मानहानि के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सूरत में मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष दलील दी है.
मानहानि के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सूरत में मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष दलील दी है. राहुल ने कहा है कि मैंने याचिकाकर्ता भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी को कोई व्यक्तिगत नुकसान नहीं पहुंचाया है. राहुल गांधी ने ये कहा कि वास्तव में देश में 'मोदी' नाम का कोई खास समुदाय नहीं है.
13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी और ललित मोदी का जिक्र किया और पूछा कि सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों होता है?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अगले दिन पूर्णेश मोदी ने सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक निजी शिकायत दर्ज की, जिसमें राहुल पर मोदी नाम से सभी लोगों और जातियों को बदनाम करने का आरोप लगाया गया.
पूर्णेश मोदी ने सूरत की अदालत में ये कहा कि राहुल ने उन सभी लोगों का अपमान किया है जो मोदी समाज-मोधवानिक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. मोदी उपनाम वाले लोग पूरे भारत में पाए जाते हैं. पूर्णेश मोदी के मुताबिक ये समुदाय सिर्फ गुजरात में ही नहीं गुजरात के बाहर भी पाया जाता है.
पूर्णेश मोदी ने ये आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने सिर्फ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरनेम का अपमान नहीं किया है, उन्होंने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए 13 करोड़ मोदी उपनाम वाले लोगों को 'चोर' कहकर उनका अपमान किया है.
मोदी समुदाय कोई खास पहचान वाला समुदाय नहीं है- राहुल के वकील
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी के वकील किरीट पानवाला ने अदालत में दलील दी कि 'मोदी' नाम का कोई 'पहचाना और निर्धारित' समुदाय नहीं है. उन्होंने कहा कि पूर्णेश मोदी मोधवानिक समुदाय को मोदी समुदाय कह रहे हैं लेकिन हकीकत ये है कि इसका कोई सबूत नहीं है. अगर मोदी समुदाय में 13 करोड़ लोग शामिल हैं, तो यह एक पहचान और निर्धारित समुदाय क्यों नहीं है.
सुनवाई के लायक नहीं है ये मामला
किरीट पानवाला ये दलील दी कि केवल एक शब्द पर मानहानि का मुकदमा नहीं किया जाना चाहिए. राहुल ने किसी भी समुदाय का अपमान नहीं किया है. मोदी उपनाम केवल मोधवानिक समुदाय का नहीं है, बल्कि अन्य जातियों के लोगों का भी है. अगर समुदाय को लेकर उचित पहचान साबित की जाती है, तो यह मामला सुनवाई के लायक है, लेकिन यहां पर इस समुदाय की कोई खास पहचान ही नहीं है.
गुजरात में मोदी सरनेम वाले लोग कौन हैं?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में कई लोग मोदी उपनाम का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह किसी विशिष्ट समुदाय या जाति को नहीं दर्शाता है. गुजरात में मोदी उपनाम का इस्तेमाल हिंदू, मुस्लिम और पारसी धर्म के लोग करते हैं. वैष्णवों (बनिया), खारवास (पोरबंदर के मछुआरे), और लोहाना ( व्यापारियों का एक समुदाय हैं) के बीच भी मोदी उपनाम वाले लोग हैं.
कौन होते हैं मोधवानिक समुदाय के लोग
पूर्णेश मोदी के वकील हंसमुख लालवाला के अनुसार, गुजरात में लगभग 10 लाख मोधवानिक हैं, जो पूरे गुजरात में पाए जाते हैं. ये लोग मुख्य रूप से उत्तर और दक्षिण गुजरात में रहते हैं.
राहुल गांधी मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी सूरत के मोधवानिक समुदाय से आते हैं. पूर्णेश मोदी के वकील हंसमुख लालवाला और राहुल के वकील किरीट पानवाला भी मोधवानिक समुदाय से ही ताल्लुक रखते हैं.
मोधवानिक सुमदाय के सदस्य मोधेश्वरी माता की पूजा करते हैं. मोधेश्वरी माता का मंदिर मेहसाणा जिले में मोढेरा सूर्य मंदिर के पास है. पिछले साल अक्टूबर में गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मोधेश्वरी मंदिर का दौरा किया था.
क्या सभी मोदी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) होते हैं ?
नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के लिए ओबीसी की केंद्रीय लिस्ट में "मोदी" नाम का कोई समुदाय या जाति नहीं है. गुजरात के ओबीसी के 104 समुदायों की केंद्रीय लिस्ट में प्रविष्टि संख्या 23 पर लिखा है कि घांची (मुस्लिम), तेली, मोढ़ घांची, तेली-साहू, तेली-राठौड़ समुदाय पारंपरिक रूप से खाद्य तेलों के व्यापार से जुड़े काम करते हैं.
घांची (मुस्लिम), तेली, मोढ़ घांची, तेली-साहू, तेली-राठौड़ समुदाय के ये लोग पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी पाए जाते हैं. यहां पर ये लोग अपने नाम के पीछे ( सरनेम) गुप्ता लिखते हैं. कुछ लोग मोदी सरनेम का इस्तेमाल भी करते हैं.
ओबीसी की केंद्रीय लिस्ट में शामिल बिहार के 136 समुदायों में कोई मोदी सरनेम वाला नहीं है. बिहार की ओबीसी की केंद्रीय लिस्ट में प्रविष्टि संख्या 53 में बिहार के तेली समुदाय को ओबीसी में रखा गया गया है. बता दें कि बिहार के बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का एक अलग मामला दायर किया है.
केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में राजस्थान के 68 समुदायों को 51 वीं प्रविष्टि तेली का दर्जा दिया गया है. यहां पर भी मोदी के रूप में सूचीबद्ध कोई समुदाय नहीं है.
गुजरात में इन समुदायों को केंद्रीय ओबीसी सूची में कब शामिल किया गया था?
गुजरात की कुछ जातियां मंडल आरक्षण के समय से ही ओबीसी की केंद्रीय लिस्ट में शामिल थे. 27 अक्टूबर, 1999 को मुस्लिम घांची समुदाय को ओबीसी की केंद्रीय लिस्ट में शामिल किया गया. इसके साथ ही दूसरे राज्यों के कुछ अन्य समान समुदायों को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया. 4 अप्रैल, 2000 को एक अधिसूचना जारी की गई. इसके मुताबिक गुजरात के अन्य समुदायों जैसे घांची, तेली, मोध गांची, तेली साहू, तेली राठौड़ और तेली राठौर को ओबीसी की केंद्रीय सूची में जोड़ा गया.
इस तरह प्रधानमंत्री मोदी घांची जाति से संबंधित हैं . इस जाति को 7 अक्टूबर, 2001 को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल किया गया था. यानी मोदी के पहली बार गुजरात का मुख्यमंत्री बनने से लगभग 18 महीने घांची जाति को ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल किया गया था.
मोदी सरनेम वाले लोग (गुजरात के अलावा) और कहां रहते हैं?
मोदी जाति यूपी और बिहार के अलावा हरियाणा के हिसार के अग्रोहा, हरियाणा के महेंद्रगढ़ और राजस्थान के झुंझुनू और सीकर जैसे जिलों में रहते हैं. हरियाणा के हिसार के अग्रोहा में मोदी सरनेम मरवाड़ियों में इस्तेमाल किया जाता है.
क्या ये मशहूर मोदी गुजरात के 'मोदी ' समुदाय से जुड़े हैं ?
- ललित मोदी के दादा राय बहादुर गुजरमल मोदी महेंद्रगढ़ से मेरठ चले गए और बाद में शहर का नाम बदलकर मोदीनगर कर दिया गया.
- भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी गुजरात के जामनगर का रहने वाला है, जो एक ऐसे समुदाय से है जो पारंपरिक रूप से हीरे का व्यापार कर रहा है.
- टाटा स्टील के पूर्व अध्यक्ष रूसी मोदी और थिएटर और फिल्मी दुनिया में बड़ा नाम रह चुके सोहराब मोदी, बॉम्बे (मुंबई) के पारसी थे.
जिस मामले में राहुल को सजा हुई वो मामला क्या है?
वायनाड से सांसद रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक बयान दिया था. इस बयान में राहुल ने ये कहा था कि सभी चोरों का उपनाम (सरनेम) मोदी क्यों है?
इसी बयान को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज किया गया था. धारा 499 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज किया जाता है. मामले में ज्यादा से ज्यादा दो साल की सजा का प्रावधान है.
याद दिला दें कि नरेंद्र मोदी ने बीते लोकसभा चुनावों में खुद को देश-जनता का "चौकीदार" बताकर प्रचार किया था. राहुल गांधी ने इसी लाइन को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा था और कहा था कि " चौकीदार 100 फीसदी चोर है."
राहुल ने रैली में राफेल विवाद के सौदे का जिक्र करते हुए कहा था कि आपने 30,000 करोड़ रुपये चोरी करके अपने दोस्त अनिल अंबानी को दे दिए. जाहिर है आपने पैसे चुराए हैं. चौकीदार चोर है. राहुल गांधी ने आगे कहा था कि नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ललित मोदी, माल्या, अनिल अंबानी और नरेंद्र मोदी- चोरों का एक समूह है."
इसके बाद राहुल ने तंजिया लहजे में ये कहा था कि मेरा एक सवाल है. ये सारे चोरों के नामों में मोदी क्यों होता है, नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी? हमें ये जानकारी नहीं है कि ऐसे और कितने मोदी आएंगे?"
राहुल पर मानहानि के तकरीबन 6 केस
इस केस के अलावा राहुल गांधी पर मानहानि से जुड़े करीब 6 मामले अभी भी चल रहे हैं. ज्यादातर केसों की सुनवाई गुजरात की अदालतों में चल रही है.
पहला मामला : ये मामला महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी के दिए एक बयान का है. इस बयान में राहुल ने महात्मा गांधी की हत्या के पीछे आरएसएस का हाथ बताया था. मामले में आरएसएस की भिवंडी इकाई के आरएसएस सचिव राजेश कुंटे ने राहुल गांधी पर 2018 में मानहानि का मुकदमा दायर किया था.
दूसरा मामला : दिसंबर 2015 में राहुल के खिलाफ असम में आरएसएस के एक स्वयंसेवक ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. आरएसएस के इस स्वयंसेवक ने केस दर्ज कर ये कहा था कि उन्हें असम के बरपेटा सतरा में जाने से ये कह कर रोक दिया गया था कि वो आरएसएस से जुड़े हुए हैं. इसे लेकर राहुल पर मानहानि का केस दर्ज किया गया था.
तीसरा मामला : ये मामला नोटबंदी से जुड़ा हुआ है. 23 जून, 2018 के एक ट्वीट के आधार पर राहुल के खिलाफ अमित शाह पर एक टिप्पणी को लेकर केस दर्ज है.
चौथा मामला: महाराष्ट्र भाजपा नेता महेश श्रीश्रीमल ने नवंबर 2018 में 'कमांडर-इन-चोर' वाले बयान को लेकर राहुल पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था. महेश श्रीश्रीमल का ये कहना था कि राफेल विवाद के दौरान दिया गया राहुल का ये बयान नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना था.
पांचवा मामला: आरएसएस कार्यकर्ता और वकील धृतिमान जोशी ने ये केस दर्ज किया है. उनका कहना है कि पत्रकार गौरी लंकेश की मौत के बाद राहुल ने ये बयान दिया था कि कोई आरएसएस और भाजपा की विचारधारा के खिलाफ बोलता है, तो उसे चुप कराने की कोशिश की जाती है. उस पर दबाव डाला जाता है. उसे पीटा जाता है. उसपर हमले कराए जाते हैं .यहां तक की उसे जान से भी मार दिया जाता है्.
छठवां मामला : अहमदाबाद से भाजपा के एक निगम पार्षद कृष्णवदन ब्रह्मभट्ट ने राहुल के खिलाफ मई 2019 में अहमदाबाद की एक अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया था. राहुल पर ये मुकदमा अमित शाह को "हत्या का आरोपी" बताने को लेकर दायर किया गया था.