सरकारी मदद से घर पर सोलर पैनल लगवाने वाली क्या है योजना?
कोयले के स्टॉक में कमी और बिजली कटौती से परेशान लोगों की मुश्किलों को आसान बनाने के लिए अब आप अपने छत पर आसानी से सोलर पैनल लगवाकर बिजली पैदा कर सकते हैं.
देश में बिजली संकट और बढ़ रही गर्मी से निपटने के लिए सरकार ने रूफ टॉप योजना शुरू की है जिसके तहत साल 2026 के 31 मार्च तक आम जनता अपने घर की छतों पर कम लागत में सोलर पैनल लगवा सकेगी. नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की और से सभी घरों में सोलर पैनल लगाए जाने के लिए प्रति किलोवाट 14,588 रुपए की सब्सिडी दी जा रही है. यह सब्सिडी तीन किलोवाट तक की पैनल लगाने के लिए ली जा सकती है.
बिजली संकट, कोयले के स्टॉक में कमी और बिजली कटौती से परेशान लोगों की मुश्किलों को आसान बनाने के लिए अब आप अपने छत पर आसानी से सोलर पैनल लगवाकर बिजली पैदा कर सकते हैं. आइये जानते है कि इस काम में सरकार हमारी मदद कैसे कर रही है और सोलर पैनल को लगवाने में कितना खर्च आएगा.
किस पोर्टल की मदद से सोलर पैनल लगवा सकते हैं
छतों पर सोलर पैनल लगाने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए जुलाई 2022 में एमएनआरई की तरफ से एक नेशनल पोर्टल की शुरुआत की गई है. इस वेबसाइट के माध्यम से उपभोक्ता ऑनलाइन आवेदन कर सकता है. आवेदन देने लिए आपको आपके राज्य, बिजली बिल नंबर, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और बिजली वितरण कंपनी की जानकारी देनी होगी. इस वेबसाइट पर आपके काम को आसान बनाने के लिए सोलर पैनल लगाने वाले वेंडर की जानकारी भी उपलब्ध कराई गई है.
सरकार दे रही है सब्सिडी
हमारे देश में बिजली की कमी की पूर्ति और सौर्य ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने सोलर रूफटॉप योजना की शुरुआत की है. इसके तहत आप डिस्कॉम पैनल में शामिल कोई भी विक्रेता के जरिये अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवा सकता है. इसे लगवाने के बाद उपभोक्ता को सब्सिडी के लिए अप्लाई करना होता है और एक महीने के भीतर उपभोक्ता के खाते में सब्सिडी की राशि आ जाती है.
कितनी मिल सकती है सब्सिडी
कोई भी 3 किलोवाट का सोलर पैनल लगवाने पर सरकार की तरफ से उपभोक्ता को 40 फीसदी तक सब्सिडी मिलेगी. वहीं 10 किलोवाट का सोलर पैनल लगवाने पर 20 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी.
सोलर पैनल लगवाने में कितना खर्च
2 किलोवाट का सोलर पैनल लगवाने वाले उपभोक्ता को लगभग 1.20 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है. लेकिन 40 फीसदी सब्सिडी मिलने पर यही खर्च घटकर 72 हजार रुपये रह जाएगी और सरकार की ओर से आपको 48,000 रुपये की सब्सिडी मिल जाएगी.
पोर्टल पर कैसे करें अप्लाई
अपने छत पर सोलर पैनल लगवाने के लिए सबसे पहले आपको इसकी अधिकारिक वेबसाइट https://solarrooftop.gov.in/ पर जाना होगा. इसके बाद यहां से अप्लाई ऑप्शन पर जाना होगा. अप्लाई पर क्लिक करने के बाद उपभोक्ता के सामने एक और नया पेज खुल जाएगा. इस पेज में सारी जानकारी डाल दें. एमएनआरई के मुताबिक नेशनल पोर्टल पर आवेदन करने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.
कितने लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन
एमएनआरई के अनुसार इस योजना को शुरू करने के बाद से अबतक कुल 73,594 उपभोक्ताओं ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया है. वहीं छतों पर सोलर पैनल की स्थापना के लिए 29,000 से अधिक एप्लिकेशन आ चुके हैं. एमएनआरई के मुताबिक नेशनल पोर्टल पर आवेदन करने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.
सोलर पैनल क्या है?
सोलर पैनल एक ऐसा उपकरण है जो जिसकी मदद से सूरज से मिल रही ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता जाता है. इसके लिए किसी भी तरह के ईंधन जैसे पेट्रोल या डीजल की आवश्यकता नहीं होती.
सोलर पैनल क्या है और ये कैसे काम करता है
छतों पर लगाकर बिजली प्राप्त किए जाने वाले सोलर पैनल फोटोवोल्टिक सेल्स से बना होता है. ये वह सेल जो सूरज की रोशनी को बिजली में बदलता है. फोटोवोल्टिक सेल्स को सिलिकॉन जैसे सेमी-कंडक्टिंग पदार्थ की परतों के बीच फिट कर दिया जाता है. इन सभी परतों के अलग इलेक्ट्रॉनिक गुण हैं जो सूरज की रोशनी में मौजूद फोटॉन के साथ संपर्क में आने के बाद एक्टिव हो जाता है और एक्टिव होने के साथ ही एक इलेक्ट्रिक फील्ड बनाता है. इसे फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट के रूप में जाना जाता है इसी से बिजली पैदा करने के लिए जरूरी करंट बनाता है.
सोलर पैनल का फायदा
इस पैनल को अपने घर पर लगाने के कई फायदे कई हैं. यह पावर ग्रिड से उत्पन्न की गई बिजली से काफी सस्ती और सुविधाजनक है. सोलर सिस्टम की मदद से हम बिजली को अपने घर में पैदा कर सकते हैं. सोलर पैनल की जिंदगी 25 साल के लिए होती है और इन 25 सालों में इसे किसी तरह की मरम्मत या मेंटेनेंस की जरूरत नहीं पड़ती. एक बार पैनल लगा लें तो लगातार बिजली पाते रहेंगे. इस सिस्टिम को लगाना भी बेहद आसान है. पैनल को लगाने के लिए हमें जमीन की जरूरत नहीं पड़ती आप इसे छत के किसी भी कोने पर लगा सकते हैं. इससे कोई प्रदूषण नहीं होता. सौर ऊर्जा से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आती है जिससे कि पर्यावरण संरक्षण होता है.