महाराष्ट्र: केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के विवादित बयान के बाद से महाराष्ट्र में सियासत तेज हो गई है. राणे के खिलाफ तीन अलग-अलग पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज कर दी गई है. अब उन पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही है. राणे ने एक भाषण के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को 'कान के नीचे थप्पड़ मारने' की बात कही थी. इसी बयान के बाद से सियासत तेज हो गई है.


नारायण राणे को हाल ही में केंद्र सरकार में मंत्री पद दिया गया है. राणे कभी शिवसेना के सिपाही हुआ करते थे, आज शिवसेना और उद्धव ठाकरे के बड़े आलोचक के तौर पर देखा जाता है. जानकर मानते है की इन्हीं कारणों को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें केंद्र में मंत्री पद दिया है. शिवसेना को उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए बीजेपी ने राणे को अपनी टीम में लिया है. कहा जाता है जब से शिवसेना में उद्धव ठाकरे की दखलअंदाजी बड़ी है तभी से राणे ने शिवसेना से दूरी बनाना शुरू कर दी थी. इसलिए ये कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र में ये लड़ाई शिवसेना बनाम बीजेपी कम, बल्कि शिवसेना बनाम राणे ज्यादा है.


नारायण राणे की ऐसे फिसली जुबान


उद्धव ठाकरे के स्वतंत्रता दिन के मौके पर दिए भाषण पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की जुबान ऐसी फिसली कि उन्होंने मुख्यमंत्री को थप्पड़ मारने तक कि बात कह दी. दरअसल, 15 अगस्त के मौके पर मुंबई के मंत्रालय में ध्वजारोहण करने पहुंचे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण के दौरान देश को स्वतंत्रता मिले कितने वर्ष हुए इसकी जानकारी पीछे खड़े चीफ सेक्रेटरी से मांगी जिसे लेकर नारायण राणे ने यह बयान दिया.


नारायण राणे इस वक्त महाराष्ट्र के कोकण में अपनी जन आशीर्वाद यात्रा पर हैं. सोमवार देर शाम उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. उस वक्त उनसे पत्रकारों ने सवाल पूछा कि 'दहीहंडी उत्सव मनाने पर सरकार ने रोक लगा दी, तो वहीं मंदिर भी राज्य के अब भी बंद हैं.' इसका जवाब देते हुए राणे ने कहा कि वह ऐसे मुख्यमंत्री पर कोई जवाब नहीं देंगे जिन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं होती कि देश को स्वतंत्रता का ये अमृत महोत्सव है या नहीं ये भी चीफ़ सेक्रेटरी  से पुछना पड़ता है.


इस बात को कहते हुए उनकी जुबान कुछ ऐसी फिसली जिसे लेकर सियासी हलकों में नाराजगी जताई जा रही है. केंद्रीय मंत्री के नाते कम से कम राणे ने एक डेकोरम मेंटेन करना चाहिए. मुख्यमंत्री पद पर बैठे किसी व्यक्ति के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करना ठीक नहीं.


शिवसेना के सिपाही रह चुके हैं राणे


नारायण राणे राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं. वह बाल ठाकरे के समय से राजनीति में है. उन्होंने अपने राजनीति करियर की शुरुआत 1960 के दशक में बाल ठाकरे के साथ की थी. साल 1990 में शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद, 1999 में महाराष्ट्र के 13वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. साल 2005 में बाल ठाकरे के साथ उनका कुछ मतभेद हो गया, तो शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए.


महाराष्ट्र में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें में राजस्व मंत्री बनाया गया था. लेकिन 2017 में उन्होंने कांग्रेस भी छोड़ दी और अपनी नई राजनीति पार्टी बना ली. बाद में महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष पार्टी का बीजेपी में मर्जर हो गया.


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