नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वयोवृद्ध नेता और पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी 93 बरस के हो चुके हैं लेकिन आज भी उनके जोश व सक्रियता में कमी नहीं आई है. आमतौर पर उम्र के इस पड़ाव पर आते-आते इंसान के शरीर में शिथिलता आ जाती है पर उन्हें इस मामले में अपवाद मान सकते हैं. देश-दुनिया की खबरों से रुबरु होने के लिए न्यूज़ चैनल देखने के साथ ही अंग्रेजी लेखकों की ताजातरीन पुस्तकें पढ़ने की आदत को उन्होंने अब भी बरकरार रखा है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आख़िर उनकी सेहत का राज क्या है?
करीब बारह साल पहले खुद उन्होंने ही इसका खुलासा किया था. साल 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया था. तब वह देशव्यापी प्रचार के लिए पार्टी द्वारा किराये पर लिए गए चार्टर्ड प्लेन या हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते थे. हर दिन सुबह नौ बजे दिल्ली एयरपोर्ट से उनका विमान उड़ान भरता और देश के अलग-अलग हिस्सों में तीन-चार चुनावी सभाएं करने के बाद देर रात दिल्ली लौट आते. अगले दिन फिर वही सिलसिला.
तब आडवाणी ने एक नियम बना रखा था कि वे अपने इस दौरे पर हर दिन दो पत्रकारों को अपने साथ ले जाते एक प्रिंट से और दूसरा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जिन्हें विमान में ही वे इंटरव्यू देते. हमेशा साये की तरह साथ रहने वाले उनके पारिवारिक मित्र और निजी सचिव दीपक चोपड़ा भी प्रतिदिन आडवाणी के साथ ही इस दौरे पर रहते.
एक दिन भुवनेश्वर में चुनावी सभा को संबोधित करने के बाद उनकी अगली सभा ओडिशा के एक सुदूर इलाके में होनी थी और उसके बाद जगन्नाथ पुरी में देर शाम का कार्यक्रम तय था. सो,अगली यात्रा हेलीकॉप्टर के जरिये होनी थी. वहां के पार्टी कार्यकर्ताओं ने भुवनेश्वर एयरपोर्ट के VIP लाउंज में ही भोजन का इंतज़ाम कर रखा था.यह भोजन किसी रेस्तरां या बड़े होटल से नहीं आया था,बल्कि चार-पांच स्थानीय नेता इसे अपने घर से बनवाकर लाये थे. जाहिर है कि वह पारंपरिक भोजन स्वादिष्ट तो होना ही था.
खाने की मेज पर मैंने उनसे एक अनौपचारिक सवाल करने की अनुमति मांगी. वे बेझिझक जवाब देने के लिए राजी हो गए. तब आडवाणी 81 बरस के हो चुके थे. उनसे पूछा गया कि इतनी व्यस्त दिनचर्या के बाद भी आप अगले दिन फिर से एकदम फ्रेश और ऊर्जावान नजर आते हैं? आखिर आपकी सेहत का राज क्या है?
आडवाणी का जवाब था, "मैं ताउम्र शाकाहारी रहा, कभी भी किसी भी तरह के नशे को छुआ तक नहीं और तीसरी व अहम बात ये कि मैं हमेशा जितनी भूख होती है,उससे एक रोटी कम खाता हूं. अब देखिये, कितना स्वादिष्ट भोजन है और मेरी इच्छा भी हो रही है और खाने की लेकिन स्वाद के लिये मैं अपना नियम नहीं तोड़ सकता."
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