क्या है सामाजिक प्रगति सूचकांक, बिहार-झारखंड सबसे पीछे, जानिए आपका राज्य किस नंबर पर
अन्य राज्यों की तुलना में बिहार के आर्थिक रूप से कमजोर होने के कई कारण हैं. जिसमें जनसंख्या, कृषि पर निर्भर आर्थिक जीवन, प्राकृतिक आपदा, औद्योगिक पिछड़ापन शामिल है.
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देश में कुछ रैंकिंग और रिपोर्ट्स ऐसे जारी किए जाते हैं, जिससे राज्यों के बीच बेहतरी के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा की जा सके. ऐसी ही एक रिपोर्ट है- सामाजिक प्रगति सूचकांक यानी एसपीआई. इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) जारी करती है. साल 2022 का एसपीआई रिपोर्ट 20 दिसंबर को जारी किया गया.
इस रिपोर्ट में कई मापदंडों को ध्यान में रखा गया है और ये तय किया गया है कि सामाजिक प्रगति के मामले में कौन सा राज्य किस स्तर पर है. रिपोर्ट में पुडुचेरी, लक्षद्वीप और गोवा को सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य बताया गया है. वहीं बिहार और झारखंड सबसे पीछे है.
क्या है सामाजिक प्रगति सूचकांक?
सामाजिक प्रगति सूचकांक एक रिपोर्ट है, जिसमें देश के सभी राज्यों के प्रदर्शन को आंका जाता है. यह आकलन तीन बुनियादी मानवीय जरूरतों, बेहतर जीवनशैली के आधार और अवसरों के लिहाज से किया जाता है. इस सूचकांक को तैयार करते वक्त सर्वे कर पता लगाया जाता है कि किन राज्यों में पोषण और स्वास्थ्य देखभाल, जल और स्वच्छता, व्यक्तिगत सुरक्षा और रहने की स्थिति कैसी है.
इसमें कैसे किया जाता है सर्वे?
इस रिपोर्ट में 36 राज्यों एवं संघ-शासित प्रदेशों और देश के 707 जिलों को सामाजिक प्रगति के विभिन्न मानकों पर उनके प्रदर्शन के आधार पर आंका जाता है. एसपीआई स्कोर के आधार पर देश के सभी राज्यों और जिलों को सामाजिक प्रगति के छह स्तरों के तहत स्थान दिया गया है. ये 6 स्तर हैं बहुत उच्च सामाजिक प्रगति, उच्च सामाजिक प्रगति, ऊपरी मध्य सामाजिक प्रगति, निम्न मध्य सामाजिक प्रगति, निम्न सामाजिक प्रगति और बहुत कम सामाजिक प्रगति हैं.
सर्वे के दौरान सभी राज्यों में रहने वालों के जीवन स्तर के मामले में मूल ज्ञान, सूचना तक पहुंच, संचार, स्वास्थ्य और पर्यावरण की गुणवत्ता भी देखी जाती है. सर्वे के दौरान अवसर के मामले में व्यक्तिगत आजादी, निजी अधिकार और चयन, समावेशन और आधुनिक शिक्षा के पहुंच की स्थिति को मापा जाता है.
सर्वे में इस बार क्या है?
रिपोर्ट के अनुसार सभी राज्यों की तुलना में पुडुचेरी का एसआईपी स्कोर सबसे ज्यादा 65.99 रहा. दूसरे स्थान पर 65.89 स्कोर के साथ लक्षद्वीप रहा और तीसरे स्थान पर स्कोर के साथ गोवा का नाम दर्ज है. वहीं आइजोल (मिजोरम), सोलन और शिमला (हिमाचल प्रदेश) सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले तीन जिले हैं.
एसआईपी स्कोर 43.95 के साथा लिस्ट में सबसे कम प्रगति वाले राज्य के रूप में झारखंड का नाम दर्ज किया गया है. वहीं बिहार नाम भी का भी सबसे कम प्रगति वाले राज्यों में दर्ज किया गया है. बिहार का एसआईपी स्कोर 44.47 दर्ज किया गया है.
जानिए आपका राज्य किस नंबर पर
सामाजिक प्रगति सूचकांक के अनुसार पुडुचेरी, लक्षद्वीप, गोवा, सिक्किम, मिजोरम, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, केरल और जम्मू कश्मीर को प्रगति के मामले में अन्य राज्यों से अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य बताया गया है. इन राज्यों को लिस्ट के टॉप 10 में स्थान दिया गया है. वहीं उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, असम, बिहार, झारखंड का नाम लिस्ट में सबसे निचले स्तर पर रहा.
बिहार सबसे पीछे क्यों, 3 प्वाइंट्स
- केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के मुताबिक- बिहार में 33.74 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं और अगर वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) की बात करें तो यह फीसदी बढ़कर 52.5 हो जाता है.
- बिहार में 42 फीसदी 5 वर्ष के कम उम्र के बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. 15 वर्ष से ऊपर के लोगों की साक्षरता दर 64.7% है. ये भी एक बड़ी वजह है.
- पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विक्षवेक के मुताबिक कृषि पर निर्भर आर्थिक जीवन और प्राकृतिक आपदा भी बड़ी वजह है, इसमें पीछड़ने का. उत्तर बिहार के लोग बाढ़ और दक्षिण बिहार के लोग हर साल सुखाड़ से परेशान रहता है.
फिर इसका निदान क्या है?
प्रोफेसर विवेक कहते हैं- बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कृषि तकनीक और आधारभूत संरचना के विकास पर काम करने की जरूरत है. इसके अलावा राज्य में शिक्षा एवं जागरूकता की भी कमी है. इस सभी के लिये प्रभावकारी कदम उठाए जाते हैं तो ही बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन को दूर किया जा सकता है.
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