कालगणना का केंद्र माने जाने वाली धार्मिक नगरी उज्जैन में विश्व की पहली वैदिक घड़ी लगाई जाएगी. इसे लेकर उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने भूमि पूजन कर दिया है. मध्य प्रदेश सरकार इस प्रोजेक्ट पर करीब 1.58 करोड़ रुपये खर्च करेगी. यह घड़ी गुड़ी पड़वा के अवसर पर जंतर मंतर वेधशाला में लगाई जाएगी. 


उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि प्राचीन भारत में काल गणना अत्यंत शुद्ध पद्धति से की जाती थी. उज्जैन में समय-समय पर कई खगोलशास्त्र के विद्वान हुए, जो समय, घड़ी, नक्षत्रों और तिथियों की एकदम सटीक गणना किया करते थे. शासकीय जीवाजी वेधशाला में वर्तमान में जो यंत्र लगे हैं, उनसे सूर्य की पल-पल की स्थिति, समय और सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय की बिल्कुल सटीक जानकारी प्राप्त होती है.


यहां बनाई जाने वाली वैदिक घड़ी को एप्लिकेशन के माध्यम से मोबाइल, एलईडी, स्मार्ट टीवी, टैब, डिजिटल घड़ी आदि पर अवश्य देखा, दिखाया जा सकेगा. वैदिक घड़ी के बैकग्राउंड ग्राफिक्स में सभी ज्योतिर्लिंग, नवग्रह, राशि चक्र, सूर्योदय, सूर्यास्त आदि रहेगा.




टावर में लगाया जाएगा टेलीस्कोप
 
वैदिक घड़ी के टॉवर के ऊपर टेलीस्कोप भी लगवाया जायेगा, जिससे रात्रि में आकाश में होने वाली खगोलीय घटनाओं का नजारा लोग देख सकेंगे. वैदिक घड़ी वैदिक काल गणना के सिद्धांतों पर स्थिर होगी. प्रतिदिन सूर्योदय में होने वाले परिवर्तन तथा देश और दुनिया में अलग अलग स्थानों पर अलग अलग समय पर होने वाला सूर्योदय भी सिंक्रोनाइज होगा. 


यह भी रहेगी विशेषता


वैदिक घड़ी की एप्लिकेशन में विक्रम पंचांग भी समाहित रहेगा, जो प्रतिदिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त, विक्रम संवत मास, ग्रह स्थिति, योग, भद्रा स्थिति, चंद्र स्थिति, पर्व, शुभाशुभ मुहूर्त, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्योहार, चौघड़िया, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, प्रमुख अवकाश, आकाशस्य ग्रह, नक्षत्र, धूमकेतु आदि ज्योति:स्वरूप पदार्थों का स्वरूप, संचार, परिभ्रमण, काल ग्रहण आदि घटनाओं का निरूपण, तिथि वार, नक्षत्र, योग, करण, आदि की विस्तृत जानकारी अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराएगी. 




इस परियोजना का उद्देश्य वैदिक समय गणना से परिचित कराना है


बता दें कि इस परियोजना का उद्देश्य लोगों को भारतीय (वैदिक) समय गणना से परिचित कराना है. इस वैदिक घड़ी की खास बात यह भी है कि यह समय की वैदिक गणना पर आधारित होगी, जिसमें दिन के 24 घंटों को मुहूर्तों में बांटा गया है. वैदिक घड़ी को सूर्य की स्थिति के साथ-साथ दुनिया भर में विभिन्न स्थानों पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के साथ समन्वयित किया जाएगा.


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