भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर 7-8 नवंबर को रूस की आधिकारिक यात्रा कर रहे हैं. उनके इस यात्रा पर ना सिर्फ इन दो देशों की बल्कि दुनियाभर के अन्य देशों की भी निगाहें टिकी हुई है. यूक्रेन रूस युद्ध शुरू होने के बाद से पहली बार विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं. ऐसे में दोनों मंत्री द्विपक्षीय संबंधों की मौजूदा स्थिति और अंतरराष्ट्रीय एजेंडे पर चर्चा कर सकते हैं. 


दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म कराने के लिए वर्तमान में भारत मजबूत और प्रभावशाली स्थिति में है. भारत ना सिर्फ रूस का रणनीतिक साझेदार है बल्कि पुराना और सच्चा दोस्त भी है, इसके अलावा विश्व राजनीति में भारत की बढ़ती धमक को देखते हुए ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस यात्रा के साथ पिछले आठ महीनों से चल रहे पुराने रूस यूक्रेन युद्ध पर विराम लगाया जा सकता है. 


इन उम्मीदों के बीच सोमवार यानी 7 अक्टूबर को रूस ने कहा, "भारत और रूस न्यायपूर्ण व्यवस्था कायम करने का समर्थन करते हैं. रूसी मंत्रालय ने कहा कि रूस और भारत ज्यादा न्याय वाले और मल्टी-सेंटर्ड (दुनिया में कई देशों का प्रमुख होना) विश्व व्यवस्था को बनाने पर यकीन रखते हैं. हालांकि, दोनों ही मुल्क ऐसे मुद्दों पर साथ आए हैं, जिन्हें लेकर दुनियाभर में उन पर दबाव बनाया गया है.




इस यात्रा से पहले रूस और भारत के बीच सालाना उच्चस्तरीय बैठक होनी थी जो नहीं हो पाई थी. वहीं दूसरी तरफ पिछले 8 महीने से चल रहे रूस यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिमी देशों में रूस को एक 'आक्रमणकारी' देश के रूप में देखा जा रहा है. यहां तक की भारत के तटस्थ रुख को देखते हुए लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि वह रूस की आलोचना करे लेकिन भारत ने अब तक इस मामले में निष्पक्षता रखी है. 


पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर दबाव बनाए जाने का ताजा उदाहरण ब्रिटेन की संसद में बीते गुरुवार को नजर आया है. दरअसल वहां की सरकार ने ये स्वीकार किया कि हाल में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच फ़ोन पर हुई बातचीत में ब्रिटेन ने भारत के रवैए पर एतराज़ जताया था.


यूक्रेन युद्ध के बीच क़रीब आए ये दो देश?


पिछले 8 महीने में रूस यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच पश्चिमी देशों ने रूस को कूटनयिक तौर पर अलग करने की पूरी कोशिश की है. इन महीनों में रूस पर तमाम प्रतिबंध लगाए गए. पश्चिमी कंपनियों ने इस देश में अपना कारोबार बंद कर दिया और निवेश भी रोक दिया. इस युद्ध के दौरान एक तरफ जहां पश्चिम देश रूस से दूर हो गए वहीं दूसरी  तरफ भारत-रूस संबंध गहरे होते नजर आए.


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में यानी सितंबर महीने में शंघाई सहयोग संगठन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर से मुलाकात की थी. इसके अलावा पिछले साल दिसंबर के महीने में रूस के राष्ट्रपति भारत यात्रा पर आए थे और 2021 के जुलाई महीने में ही विदेश मंत्री ने रूस का दौरा किया था. इसके अलावा अप्रैल 2022 में भी रूसी विदेश मंत्री दिल्ली पहुंचे थे. 




बढ़ रहा है भारत रूस व्यापार 


बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत और रूस के बीच चल रहे उच्च स्तरीय यात्राओं के बीच पिछले कुछ समय में दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार में 500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो एक चौंका देने वाला आंकड़ा है. साल 2022 के अप्रैल से लेकर अगस्त के बीच द्विपक्षीय व्यापार 18.2 अरब डॉलर रहा जो कि पिछले साल सिर्फ आठ अबर डॉलर था. 


दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ने की खास वजह भारी मात्रा में कच्चे तेल और फर्टिलाइजर का आयात है. सरकारी आंकड़ों की माने तो 5 महीने के कुल व्यापार के आंकड़े का 91 प्रतिशत कच्चा तेल और फर्टिलाइजर का आयात है. विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले सालों में कच्चे तेल का आयात और बढ़ेगा. 


क्यों बढ़ा कच्चे तेल का आयात 


भारत रूस से भारी मात्रा में कच्चे तेल खरीद रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह रूस पर लगे प्रतिबंधों के बाद रूसी तेल की कीमत में भारी गिरावट है. जब अन्य देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाया गया तब रूस ने भारत को भारी छूट देना शुरू कर दिया. हालांकि रूस से कच्चे तेल आयात करने पर अमेरिका ने आपत्ति जताई लेकिन भारत ने खामोशी बनाई रखी. 




7-8 को होने वाले यात्रा में इन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है


रूस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 7-8 नवंबर को होने वाली वार्ता के दौरान एस जयशंकर और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव व्यापार-निवेश के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग, ऊर्जा क्षेत्र में 'आशाजनक परियोजनाओं' और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक सुरक्षा तंत्र स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे. रूस और भारत एक अधिक न्यायपूर्ण और बहु केंद्रित विश्व व्यवस्था कायम करने का समर्थन करते हैं. वैश्विक स्तर पर साम्राज्यवाद को बढ़ावा देने वालों से आगे बढ़ चुके हैं.


क्यों अहम है जयशंकर का रूस दौरा?


जयशंकर के मॉस्को दौरे पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं. विदेश मंत्री के दौरे के दौरान दोनों पक्षों के बीच बातचीत में द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने और विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय विकास पर विचारों का आदान-प्रदान करने की उम्मीद है. जयशंकर की यात्रा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की भारतीयों की तारीफ करने के बाद हुई है.


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