Historic Republic Day: भारत ने आज पूरे उत्साह और गर्व के साथ 76वां गणतंत्र दिवस मनाया. कर्तव्य पथ पर आयोजित मुख्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने हिस्सा लिया. इस वर्ष का विषय "स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास" रखा गया जो संविधान लागू होने के 75 वर्ष पूरे होने पर केंद्रित था. इस खास मौके पर तिरंगे थीम वाले भव्य बैनरों और झांकियों ने समारोह को और भी खास बना दिया.
भारत का पहला गणतंत्र दिवस समारोह राजपथ (कर्तव्य पथ) पर नहीं बल्कि इरविन एम्फीथिएटर में आयोजित किया गया था. 26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 31 तोपों की सलामी के बीच देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्य अतिथि थे. इस वर्ष 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के वर्तमान राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.
पहले गणतंत्र दिवस पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ली थी राष्ट्रपति पद की शपथ
गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी ने भारत के "गणराज्य" बनने की घोषणा की थी. सुबह 10:18 बजे ये घोषणा की गई और छह मिनट बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली. उनके शपथ ग्रहण के बाद 31 तोपों की सलामी दी गई. तीनों सेनाओं और पुलिस के 3,000 जवानों ने इस मौके पर एक भव्य परेड का आयोजन किया था. इरविन एम्फीथिएटर में उपस्थित 15,000 लोग इस ऐतिहासिक अवसर का गवाह बने.
शपथ ग्रहण के बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश को संबोधित करते हुए कहा था "आज हमारे लंबे इतिहास में पहली बार ये विशाल भूभाग एक संविधान और एक संघ के अधीन है जो 32 करोड़ से ज्यादा नागरिकों के कल्याण की जिम्मेदारी लेता है." उनके इस भाषण ने देशवासियों में नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार किया.
क्या है इरविन एम्फीथिएटर का इतिहास?
1933 में भावनगर के महाराजा ने इरविन एम्फीथिएटर के निर्माण के लिए 5 लाख रुपये का दान दिया था. इसका उद्घाटन वायसराय लॉर्ड विलिंगडन ने किया था. इस इमारत को रॉबर्ट टोर रसेल ने डिजाइन किया गया था जिन्होंने कनॉट प्लेस को भी डिजाइन किया है 1951 में इसे राष्ट्रीय स्टेडियम के रूप में पुनर्नामित किया गया जहां एशियाई खेलों का आयोजन हुआ.
26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक विशेष रूप से तैयार की गई 35 वर्षीय गाड़ी में इरविन एम्फीथिएटर पहुंचे. गाड़ी को छह मजबूत घोड़ों ने खींचा और इस पर अशोक चिह्न अंकित किया गया था. जैसे ही उनका काफिला गुजरा सड़कों पर "जय" के नारों की गूंज सुनाई दी.
76वें गणतंत्र दिवस पर सांस्कृतिक विविधता की झांकियां
76वें गणतंत्र दिवस समारोह में देश की सांस्कृतिक विविधता और गौरवशाली विरासत को झांकियों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया. तिरंगे की झलक और "स्वर्णिम भारत" की थीम ने पूरे देश को एकता और समृद्धि के लिए प्रेरित किया. ये दिन न केवल भारत की प्रगति का जश्न है बल्कि उसकी ऐतिहासिक परंपराओं का भी उत्सव है.