प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चर्चित बाघम्बरी गद्दी पीठ के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि और कभी उनके प्रिय शिष्य रहे आनंद गिरि के बीच आख़िर क्या विवाद था? क्या दोनों गुरु-शिष्य के बीच सम्पत्ति को लेकर विवाद था? अगर हां तो किस संपत्ति को लेकर विवाद था? जानिए इस विवाद से जुड़ी पूरी कहानी.
ज़मीन को लेकर थी गुरू और शिष्य में अनबन
महंत नरेंद्र गिरि जिस मठ के मुखिया थे, वो करोड़ों नहीं बल्कि अरबों की संपति वाली पीठ है. जिस जगह बाबा नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की उसी के आसपास की ज़मीन को लेकर दोनों में अनबन थी. बाघम्बरी गद्दी पीठ पहले जर्जर अवस्था में थी, जिसका जीर्णोद्धार नरेंद्र गिरी कराना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने पीठ की कुछ ज़मीन बेचने का फैसला किया, लेकिन आनंद गिरी ज़मीन बेचने के फैसले के ख़िलाफ़ थे.
बाघम्बरी गद्दी पीठ की लंबाई क़रीब 300 मीटर है. पीठ के मुख्य द्वार के दक्षिण दिशा में सबसे पहले सबसे किनारे की ज़मीन बेची गई. साल 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद एक हिस्सा महंत जी ने हंडिया से विधायक रहे महेश नारायण सिंह को बेचा. साल 2012 में ही महंत नरेंद्र गिरी ने मठ का सबसे बड़ा हिस्सा जो क़रीब 11 हज़ार स्क्वायर मीटर का था, उसको बेचना चाहते थे.
ये ज़मीन लेने के लिए संगम रियल एस्टेट के शैलेन्द्र सिंह सामने आए. इस डील में मदद विधायक रहे महेश नारायण सिंह ने की. इस जमीन पर शैलेन्द्र सिंह अपार्टमेंट बनाकर बेचना चाहते थे. ज़मीन रजिस्ट्री होने के बाद महेश नारायण सिंह से कुछ पैसे के लेनदेन को लेकर विवाद हुआ. बाद में महंत नरेंद्र गिरी, शैलेन्द्र सिंह और महेश नारायण सिंह ने बैठकर सुलह की और ज़मीन पर शैलेन्द्र सिंह का कब्ज़ा हो गया.
साल 2018 में नरेंद्र गिरी ने आनंद के नाम पर की पेट्रोल पंप खुलवाने की कोशिश
इन सारी ज़मीनों की बिक्री के बाद गुरु महंत नरेंद्र गिरी और शिष्य आनंद गिरी में असहमति थी, वो दूर हो गई और दोनों मिलकर आगे बढ़ने लगे. कुछ सालों तक सबकुछ बेहतर चलता रहा और साल 2018 में महंत नरेंद्र गिरी ने मठ के उत्तरी हिस्से में स्थित गौशाला की 10 हज़ार स्क्वायर ज़मीन पर अपने शिष्य आनंद गिरी के नाम से पेट्रोल पंप खुलवाने के प्रयास शुरू किए.
ऑस्ट्रेलिया में गिरफ्तार हुआ था आनंद गिरी
पेट्रोल पंप की अनुमति लेने की कागज़ी कार्रवाई शुरू भी हुई, लेकिन 2019 में कुम्भ की व्यस्तता की वजह से पूरी नहीं हो पाई. कुम्भ के बाद आनंद गिरी ऑस्ट्रेलिया गए और वहां गिरफ़्तार कर किये गए. कोर्ट से छूटकर जब आनंद गिरी वापस आये तो महंत नरेंद्र गिरी का मन पेट्रोल पंप खोलने को लेकर बदल चुका था. उन्होंने इस हिस्से पर पेट्रोल पंप बनाने की कार्रवाई रुकवा दी, जिससे आनंद गिरी नाराज़ था.
बताया ये भी जाता है कि आनंद गिरी ने पेट्रोल पंप न खुलने पर सहमत होने के लिए कुछ पैसों की भी मांग की, लेकिन नरेंद्र गिरी ने उसके लिए भी मना कर दिया. इसके बाद से गुरु-शिष्य का विवाद बढ़ता ही चला गया.